मिडिल क्लास आदमी को शादी के लिए छुट्टी भी मांगनी हो तो ऐसे डर के मांगता है, जैसे बॉस से उसकी बीवी का हाथ मांग रहा हो. एक छुट्टी लेने में उसे इतनी Imagination लगानी पड़ती है, उससे आधी में वो घर की रसोई में कोरोना का टीका बना लेता ..
Neeraj Badhwar
क्या आपने सोचा है कि मिडिल क्लास आदमी को छोड़कर हर कोई अपना गुस्सा किसी न किसी तरह निकाल सकता है. आज किसानों को अगर लग रहा है कि नये बिल में फसलों की ठीक कीमत नहीं मिलेगी, तो वो आंदोलन कर रहे हैं. लेकिन क्या आप कभी अपने बॉस के पास जाकर कह सकते हैं कि सर, मुझे लगता है मुझे मेरी ठीक कीमत नहीं मिल रही? कीमत छोड़िए, कोरोना के टाइम इतने लोगों की सैलरियां कट गयीं, पर मज़ाल है किसी ने चूं भी की हो. उल्टा जिनकी सैलरी कटी, वो भी ये सोचकर खुश थे कि चलो नौकरी तो बच गयी. और नौकरी भी चली जाये, तो बंदा ये सोचकर बॉस को कुछ नही बोलता कि पता नहीं किसी और कंपनी में इस मनहूस से पल्ला न पड़ जाए.
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मतलब, मिडिल क्लास आदमी बेचारा घुटता रहेगा, मगर कुछ बोल नहीं सकता. लोगों को आरक्षण नहीं मिलता तो वो पटरियां उखाड़ देते हैं लेकिन मिडिल क्लास आदमी को अपनी शादी पे छुट्टी भी मांगनी हो तो ऐसे डर-डर के मांगता है, जैसे छुट्टी नहीं, बॉस से उसकी बीवी का हाथ मांग रहा हो. एक छुट्टी लेने में उसे इतनी Imagination लगाकर बहाना सोचना पड़ता है कि उससे आधी Imagination में वो घर की रसोई में कोरोना का टीका बना लेता.
आज बड़े-बड़े लोग हज़ारों करोड़ रुपये खाकर विदेशों में मौज काट रहे हैं. मगर मज़ाल है किसी का कुछ हो जाए. लेकिन मिडिल क्लास आदमी की स्कूटर की एक EMI भी लेट हो जाए, तो बैंक वाले ऐसे जलील करते हैं कि कई दिनों तक शीशा देखने पर उसे खुद में सुल्ताना डाकू दिखायी देता है. 1300 रुपये की किस्त दो दिन लेट होने पर वो आपको इतना डरा देंगे कि टीवी में भी पुलिस की जीप देखकर आप बेड के नीचे छिप जायेंगे. गली में एंबुलेंस का सायरन भी बजता है, तो आपको लगता है कि पुलिस की एनकाउंटर टीम आ गयी.
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टैक्स की बात करें तो, बिज़नेसमेन को ये छूट होती है कि पहले वो अपने खर्चे बता सकता है, उसके बाद उसकी कमाई पर टैक्स लगाया जाता है. लेकिन नौकरीपेशा आदमी को सैलरी बाद में मिलती है, पहले उस पर सरकार टैक्स काट लेती हैं. फिर टैक्स कटने के बाद मिली सैलरी से जब वो बिस्किट खरीदता है तो उस पर टैक्स लगता है. उस बिस्किट को जिस चाय में डुबोकर खाता है, उसके चाय पत्ती, दूध, चीनी सब पर वो टैक्स देता है. गाड़ी में पेट्रोल भरवाता है तो उसमें टैक्स देता है और गाड़ी में बैठकर जब हाईवे पर जाता है तो वहां भी टोल टैक्स देता है. पर आप जानते हैं, इस सबके बाद भी वो कभी आंदोलन क्यों नहीं करता? क्योंकि वो भी जानता है कि आंदोलन करने के लिए उसे कभी ऑफिस से छुट्टी नहीं मिलेगी.
व्यंग्य
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