
भारत की विदेश नीति ट्रंप के ट्वीट की मोहताज क्यों?

Apoorv Bhardwaj एक बार फिर ट्रंप ने कर दिया. भारत का विदेश मंत्रालय कुछ बोले उससे पहले ट्रंप ट्वीट कर देते हैं. प्रधानमंत्री देश को संबोधित करें उससे पहले ट्रंप बता देते हैं कि "उनकी धमकी से भारत-पाकिस्तान में युद्ध टल गया."इतना ही नहीं. सऊदी अरब में ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों को एक ही तराजू में तौल दिया. और फिर दोनों को एक ही टेबल पर खाने का ऑफर दे दिया. यह वही अमेरिका है, जो 1999 में कारगिल के दौरान और 2002 में संसद हमले के बाद बैक चैनल से मध्यस्थता करता रहा है. लेकिन ऐसा बेशर्मी भरा डोमिनेंस डिस्प्ले पहले कभी नहीं हुआ था. तो आज ऐसा क्यों हो रहा है? क्योंकि भारत के प्रधानमंत्री ने वैश्विक मंचों पर कभी अपनी गरिमा की रक्षा नहीं की. ट्रंप के लिए “Howdy Modi” जैसे इवेंट करके उन्होंने उनकी चुनावी रैली में हिस्सा लिया. और अमेरिका में भारत को एक राजनीतिक मोहरे की तरह पेश कर दिया. जब आप विदेश नीति को “गले पड़ने की डिप्लोमेसी” बना देते हैं. तो कुछ देर के लिए घरेलू दर्शक वाहवाही जरूर कर देते हैं, लेकिन दुनिया आपको गंभीरता से लेना बंद कर देती है. ओबामा को “बराक” बोलना. पुतिन का कोट पहन लेना. शिंजो आबे के साथ झूला झूलना. ये विदेश नीति नहीं, चीप पॉलिटिक्स है. और उसका नतीजा है- आज भारत की विदेश नीति अपने ऑल टाइम लो पर है. विदेश नीति कोई इवेंट मैनेजमेंट नहीं होती. उसे बनाने में दशकों लगते हैं और बर्बाद करने में एक दिन. आज भारत के साथ जो ट्रंप कर रहे हैं, उसका जिम्मेदार कोई और नहीं, एक ही आदमी है, जिसे चुनाव लड़ना आता है, पर दुनिया जीतने और सम्मान अर्जित करने का फर्क नहीं पता.