alt="" width="600" height="400" /> यहां मड़ुआ और गेहूं का आटा तैयार किया जाता है. इसके अलावा शहद, सरसों तेल, मिर्ची पाउडर, इमली, ज्वार और बाजरा का आटा, लेमन ग्रास जैसे चीज़ों को अलग-अलग जगहों से मंगाकर यहां पैक किया जाता है. शहद अनगढ़ा और लातेहार की महिला समूहों से आता है, जबकि सरसों तेल हजारीबाग के दरू पंचायत की महिलाओं द्वारा बनाया जाता है और फिर यहां लाकर पैक किया जाता है.
alt="" width="600" height="400" /> सेंटर में सहजन के पत्ते, कालमेघ चूर्ण, अश्वगंधा और तिसी जैसे औषधीय पौधों की भी पैकेजिंग की जाती है. यहां पलाश स्टोर में मिलने वाले लगभग सभी प्रोडक्ट्स तैयार होते हैं.
alt="" width="600" height="400" /> इस सेंटर की सबसे बड़ी ताकत यहां की 10 महिलाएं हैं, जो आज अपने दम पर इस काम को आगे बढ़ा रही हैं. पिछले साल सेंटर का टर्नओवर करीब 15 लाख रुपये था और अब महिलाएं इसे बढ़ाकर 20 से 25 लाख तक ले जाने की तैयारी में हैं. एक महिला ने मुस्कुराते हुए कहा कि पहले तो घर से बाहर निकलना भी मुश्किल था, अब खुद कमाई कर रहे हैं और घर भी चला रहे हैं.जेएसएलपीएस की योजनाओं की वजह से ना सिर्फ महिलाएं आगे बढ़ रही हैं, बल्कि अब गांव के लोग भी अपनी बेटियों और बहुओं को घर से बाहर निकलने और कुछ करने की आज़ादी देने लगे हैं.