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देवघर बाबा मंदिर में मनाई गई गंवाली पूजा, नगर शांति के लिए लोगों ने धूमन की दी आहुति

Deoghar: नगर शांति और महामारी के प्रकोप से बचाव के लिए गंवाली पूजा का आयोजन किया गया. यह सैकड़ों साल पुरानी परंपरा के तहत की जाती है. विश्वप्रसिद्ध बाबा बैधनाथ मंदिर के प्रांगण में स्थित माता काली मंदिर में किया में किया गया. पंडा धर्मरक्षिणी सभा के तत्वावधान में नगर पूजा का आयोजन बड़े ही धूमधाम से किया गया. कोरोना वायरस से रक्षा, सुख-शांति और लोगों के कल्याण की कामना के लिए मंगलवार को बाबा बैधनाथ मंदिर में यह पूजा की गई. इस अवसर पर पूजा माँ काली सहित 22 मंदिरों में विशेष पूजा की गई.  इस पूजा में शामिल होने हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे. भक्तों ने धूप-धूमना जलाया.  इस दौरान पूरा मंदिर परिसर मंत्रो उच्चारण से गुंज रहा था. मंगलवार देर शाम माता की विशेष पूजा अर्चना शुरु की गई. इसे भी पढ़ें: दुमका">https://english.lagatar.in/31-peoples-including-five-health-workers-corona-positive-in-dumka/46385/">दुमका

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तांत्रिक विधि से करायी जाती है माता की पूजा-अर्चना

गंवाली पूजा में तांत्रिक विधि से माता की पूजा-अर्चना करायी जाती है. वहीं तारा मंदिर के सामने स्थित हवन कुंड में शहर के लोगों द्वारा मंदिर धूमना चढ़ा कर अपने परिवार के सुखमय जीवन की कामना की जाती है. गंवाली पूजा में मंदिर प्रांगण में हवन और इसके बाद नगर कुंवारी एवं बटुक भोजन का आयोजन किया गया है. इसमें नगर के सभी कुंवारी कन्याओं को भोजन कराया जाता है.

तीन दिनों तक होती है माता की पूजा

मान्यताओं के अनुसार प्राचीन समय में चैत के महीने में अक्सर महामारी फैल जाती थी. धार्मिक मान्यताओं को मानने वाले लोग अप्रील के महीने महामारी के प्रकोप से बचाव के लिए गंवाली मां की पूजा करते थे. इसमें तीन दिनों तक माता की आराधना की जाती है. सैकड़ों साल से चली आ रही इस परंपरा का आज भी निर्वहन हो रहा है. इस पूजा में प्रथम दिन नगर बांधा जाता है.  इस दिन  लोग नगर से बाहर नहीं जाते हैं. उसके बाद से माता को शर्बत एवं जल अर्पित किया जाता है. दूसरे दिन शोभा यात्रा निकालकर आजाद चौक पर स्थित माता शीतला को निमंत्रण देने के लिए पंडा धर्मरक्षिणी सभा के नेतृत्व में ज्यादा संख्या में लोग गाजा-बाजा लेकर मंदिर पहुंचते हैं. तीसरे दिन मां की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. इसमें शाम को बाबा मंदिर प्रांगण स्थित मां काली मंदिर के सामने धूमना जलाया जाता है. इसे भी पढ़ें: लेखिका">https://english.lagatar.in/writer-wrote-on-facebook-post-soldier-killed-in-maoist-attack-not-martyr-arrested/46382/">लेखिका

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