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तांत्रिक विधि से करायी जाती है माता की पूजा-अर्चना
गंवाली पूजा में तांत्रिक विधि से माता की पूजा-अर्चना करायी जाती है. वहीं तारा मंदिर के सामने स्थित हवन कुंड में शहर के लोगों द्वारा मंदिर धूमना चढ़ा कर अपने परिवार के सुखमय जीवन की कामना की जाती है. गंवाली पूजा में मंदिर प्रांगण में हवन और इसके बाद नगर कुंवारी एवं बटुक भोजन का आयोजन किया गया है. इसमें नगर के सभी कुंवारी कन्याओं को भोजन कराया जाता है.तीन दिनों तक होती है माता की पूजा
मान्यताओं के अनुसार प्राचीन समय में चैत के महीने में अक्सर महामारी फैल जाती थी. धार्मिक मान्यताओं को मानने वाले लोग अप्रील के महीने महामारी के प्रकोप से बचाव के लिए गंवाली मां की पूजा करते थे. इसमें तीन दिनों तक माता की आराधना की जाती है. सैकड़ों साल से चली आ रही इस परंपरा का आज भी निर्वहन हो रहा है. इस पूजा में प्रथम दिन नगर बांधा जाता है. इस दिन लोग नगर से बाहर नहीं जाते हैं. उसके बाद से माता को शर्बत एवं जल अर्पित किया जाता है. दूसरे दिन शोभा यात्रा निकालकर आजाद चौक पर स्थित माता शीतला को निमंत्रण देने के लिए पंडा धर्मरक्षिणी सभा के नेतृत्व में ज्यादा संख्या में लोग गाजा-बाजा लेकर मंदिर पहुंचते हैं. तीसरे दिन मां की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. इसमें शाम को बाबा मंदिर प्रांगण स्थित मां काली मंदिर के सामने धूमना जलाया जाता है. इसे भी पढ़ें: लेखिका">https://english.lagatar.in/writer-wrote-on-facebook-post-soldier-killed-in-maoist-attack-not-martyr-arrested/46382/">लेखिकाने फेसबुक पोस्ट पर लिखा, माओवादी हमले में मारे गये सैलरी पाने वाले जवान शहीद नहीं, गिरफ्तार https://english.lagatar.in/the-acb-court-did-not-give-bail-to-the-in-charge-of-the-khunti-woman-police-station/46398/
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