बिहार के रहने वाले युवक आयुष जायसवाल ने खुद की पहचान नासिर पठान बता कर कुंभ मेले में विस्फोट करने की धमकी दी. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है. मुसलमानों के प्रति फैलती नफरत ने युवा वर्ग को अब इस राह पर धकेलना शुरु कर दिया है. आयुष की खबर ट्रेंड में हैं. इस घटना के बाद मो जाहिद ने अपने फैसबुक एकाउंट पर लंबी टिप्पणी लिखी है. हम उसे यहां हू-ब-हू प्रकाशित कर रहे हैं- संपादक
Mohd Zahid
कहीं आपके घर में आयूष तो नहीं? 5G, 6G, गुगल मैप, नेविगेशन और स्टारलिंक के दौर में पता करिए कि कहीं आपके घर में कोई बच्चा “आयूष कुमार जायसवाल” तो नहीं है ?
क्योंकि उसके मुसलमानों से घृणा करने से अधिक गंभीर मामला उसकी अज्ञानता है और उसी अज्ञानता के कारण उसका और आपका भविष्य अंधकारमय होने वाला है, भविष्य में वह डीलिवरी ब्वाय भी नहीं बन सकता है, क्योंकि उसमें भी नेविगेशन और ऐप इस्तेमाल करने का गुण तो कम से कम होना ही चाहिए.
दरअसल, अब ऐसे आयूष कुमार जायसवालों की संख्या बढ़ती जा रही है और कोई ताहर सिंह और कोई ओमप्रकाश मिश्र मुस्लिम नाम की आईडी से अयोध्या स्थिति राम मंदिर, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, स्पेशल टास्क फोर्स के चीफ़ अमिताभ यश जैसों को बम से उड़ाने की धमकी देते हैं.
तो कोई मुस्लिम आईडी बनाकर हवाई जहाजों को उड़ाने की धमकी दे रहा है तो कोई देश की संसद को उड़ाने की धमकी मेल कर रहा है तो कोई देश में होते महत्वपूर्ण आयोजनों में ब्लास्ट की धमकी दे रहा है.
पुलिस हरकत में आती है और छानबीन में वह कोई आयूष तो कोई ताहर सिंह या कोई ओमप्रकाश मिश्र निकलते हैं. ऐसे ही तमाम ध्रुव सक्सेना और राम सिंह जैसे सैकड़ों लोग इंटरनेट के जरिए ISI के लिए जासूसी करते गिरफ्तार हुए हैं.
2016 मे राज्यसभा में सरकार द्वारा दिये आंकड़ों के अनुसार 2013 से 2016 तक ऐसे 46 लोग ISI और पाकिस्तान के लिए जासूसी करते पकड़े गये जो इंटरनेट के माध्यम से भारतीय सेना और देश की जासूसी करते रहे हैं.
इनमें कोई हरप्रीत सिंह है, कोई ब्रह्मोस एयरोस्पेस के पूर्व इंजीनियर निशांत अग्रवाल, विदेश मंत्रालय की कर्मचारी माधुरी गुप्ता, कोई विक्रम सिंह, कोई नारायण लाल गदरी और कोई कुलदीप सिंह शेखावत हैं, जिनकी संख्या 2024 तक सैकड़ों में है और यह लोग आए दिन पकड़े जा रहें हैं.
दरअसल इंटरनेट के माध्यम से आप देश की सुरक्षा एजेंसियों के द्वारा कहीं अधिक सुलभता से ट्रेस किए जा सकते हैं, बल्कि बिना इंटरनेट के आपको पकड़ना फिर भी मुश्किल है. क्योंकि तब पुलिस को आप तक पहुंचने के लिए लिंक ढूंढना पड़ता है. लोगों से आपके पता ठिकाने की जासूसी करानी पड़ती है.
वहीं इंटरनेट आपकी मुठ्ठी में बैठा स्वयं एक जासूस है जो आपकी पल पल की लोकेशन और गतिविधियों को सुरक्षा एजेंसियों तक पहुंचा रहा होता है और आपके गैरकानूनी गतिविधियां करने के कारण कुछ मिनटों में ही गुगल मैप और नेविगेशन के आधार पुलिस आपको पकड़ सकती है.
यहां तक कि सेटेलाइट के जरिए तकनीक इतनी एडवांस हो चुकी है कि यह भी पता लगाया जा सकता है कि किसी कमरे में बैठ कर आप क्या कर रहे हैं, क्या खा रहे हैं और पिछले कई घंटों दिनों महीनों में आपने क्या-क्या किया है. इसराइल ने ईरान में बैठे हमास चीफ हानियां को इसी तकनीक के आधार पर मार गिराया था.
दरअसल हर इंटरनेट डिवाइस का एक IP ऐड्रेस होता है. IP अर्थात “इंटरनेट प्रोटोकॉल” इंटरनेट से जुड़े हर डिवाइस को दिया जाने वाला एक खास नंबर होता है. यह एक डाक पते की तरह होता है और आपकी ऑनलाइन गतिविधियों से जुड़ा होता है. IP पते के जरिए आपके मोबाइल नंबर या किसी कंप्यूटर के भौगोलिक स्थान का पता लगाया जा सकता है.
इसी तरह ई-मेल द्वारा की गई मेल या सोशल मीडिया पर की गई किसी भी पोस्ट और कमेंट के लिंक में भी उस प्रोफाइल का IP ऐड्रेस होता है, जिसके सहारे उस प्रोफाइल को जिस फोन नंबर से क्रिएट किया गया है, तुरंत पता लगाया जा सकता है और फोन नंबर के माध्यम से आधार और आधार से लिंक के सारे कर्मकांड सामने आ जाते हैं.
अगर इतनी सी बात आपके घर का बच्चा नहीं समझ पा रहा है और वह अपने डिवाइस से मुस्लिम आईडी बनाकर किसी को उड़ाने और बम ब्लास्ट की धमकी दे रहा है तो उस आयूष जायसवाल जैसों की बुद्धि और ज्ञान मुस्लिम घृणा के मुकाबले अधिक चिंताजनक है.
तो अपने घर में ऐसे आयूषों को ढूंढिए और उन्हें यह सब डिटेल बताकर शिक्षित करिए क्योंकि वह अपने भविष्य के साथ देश का संसाधन और समय भी बर्बाद करते हैं.
मुर्खता किस हद तक है कि राम मंदिर, मुख्यमंत्री योगी, राम मंदिर और अमिताभ यश को बम से उड़ानें की धमकी देने वाले ताहर सिंह और ओम प्रकाश मिश्रा ने अपने उस मोबाइल को जलाकर नष्ट कर दिया.
उन मुर्खों को यह भी नहीं पता कि उन्होंने जो किया वह ही उन तक पहुंचने के लिए बहुत है और उस मेल/ट्वीट/फेसबुक/इंस्टाग्राम की गतिविधियों से ही उनका कच्चा चिट्ठा सुरक्षा एजेंसियों को प्राप्त हो जाएगा.
इसीलिए कहा कि अपने घर के आयूष को पहचानिए, कहीं वह मुस्लिम विरोध में खुद को, आपको और आपके परिवार को फंसा तो नहीं रहा है? और रही मुसलमानों से घृणा करने की बात तो मुसलमानों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला, पिछले 75 सालों से वह इसी के बीच रह रहा है और अब आदी हो चुका है. आप तो बस अपने आयूष को बचा लो.
डिस्क्लेमरः यह टिप्पणी मो जाहिद के फेसबुक से लिया गया है.