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आप देश भक्त बने रहिये, मोदी काल में आपकी जिंदगी तबाह होती जा रही है!

https://twitter.com/Surjit_Lagatar">

style="color: #800080;">Surjit Singh
परसो यानी 16 मार्च को दो खबरें आयीं. पहली खबर- 71 लाख पीएफ">http://www.epfindia.gov.in/site_en/index.php">पीएफ

(प्रोविडेंट फंड) एकाउंट बंद हो गये और दूसरी खबर- एजुकेशन लोन में बैंकों का एनपीए 9.95 प्रतिशत (8,587 करोड़) हो गया. दोनों खबरें महत्वपूर्ण. आपकी-हमारी जिंदगी की तकलीफों की असली तस्वीर. लेकिन, मेन स्ट्रीम मीडिया में इन दोनों खबरों को प्रमुखता नहीं दी. आपको पता भी नहीं चला होगा, ये दोनों खबरें देश की आर्थिक स्थिति की कैसी दुर्दशा बयां कर रही है. बात पहली खबर की. एक साल के भीतर 71 लाख पीएफ">http://www.epfindia.gov.in/site_en/index.php">पीएफ

खाते
बंद हो गये. लोगों ने अपनी व अपने परिवार की नियमित जरुरतों को पूरा करने के लिए पीएफ के पैसे निकाल लिये. जिस पीएफ की राशि को बुढ़ापे (रिटायरमेंट के बाद) के लिए जमा कर रखा था, उसे निकालकर खर्च करना पड़ा. सब जानते हैं कि कोई भी व्यक्ति पीएफ के पैसे तभी निकालता है, जब कहीं से भी पैसे की जुगाड़ ना हो सके. 71 लाख का आंकड़ा, देश के कुल पीएफ खातों का करीब 6.6 प्रतिशत होता है. दूसरी खबर. एजुकेशन">https://www.livemint.com/news/india/education-loan-npas-surge-to-9-55-as-jobs-and-income-dry-up-11615831204594.html">एजुकेशन

लोन में बैंकों का एनपीए 9.55 प्रतिशत हो गया है. करीब 10 प्रतिशत. यह आंकड़ा दिसंबर 2020 तक का है. बैंकों का करीब 8, 587 करोड़ रुपया एनपीए हो गया है. क्योंकि जिन छात्रों ने पढ़ाई पूरी करने के लिये लोन लिया, वह किस्त नहीं चुका सके. या तो उनकी नौकरी छूट गई. या फिर जो पढ़ाई कर रहे थे, उन्हें नौकरी नहीं मिली. उनके माता-पिता की आर्थिक स्थिति भी ऐसी नहीं रही कि वह बैंकों को किस्त दे सकें. तभी यह स्थिति उत्पन्न हुई है. इससे पहले एजुकेशन लोन में एनपीए का आंकड़ा इतना ज्यादा कभी नहीं रहा. वर्ष 2017-18 में यह आंकड़ा 8.11 प्रतिशत था, वर्ष 2018-19 में 8.29 प्रतिशत और वर्ष 2019-20 में 7.61 प्रतिशत. इसे भी पढ़ेंः मनमोहन">https://lagatar.in/manmohan-singh-again-criticized-the-modi-government-saying-the-bad-effects-of-demonetisation-still-continue-unemployment-at-peak/33147/">मनमोहन

सिंह ने फिर मोदी सरकार की आलोचना की, कहा, नोटबंदी का बुरा असर अभी भी जारी,  बेरोजगारी चरम पर   कुछ दिन पहले खबर आयी थी कि 25">https://economictimes.indiatimes.com/hindi/news/indias-jobless-rate-jumps-to-27-1-survey-says/articleshow/75554110.cms?from=mdr">25

मार्च 2020 के बाद 12 करोड़ लोगों को नौकरी गंवानी पड़ी. Money">https://www.moneycontrol.com/">Money

control की इस खबर में ट्रैवल एजेंसी, टूरिज्म, हॉस्पिटेलिटी, एविएशन, ऑटोमोबाइल, ट्रांसपोर्ट, रिटेल, आइटी और स्टार्टअप सेक्टर का आंकड़ा शामिल किया गया था. खबर में यह भी बताया गया था कि वर्ष 2007 से वर्ष 2009 के बीच जो विश्वव्यापी मंदी आयी थी, उसमें करीब 50 लाख लोगों की नौकरी छूट गई थी. मतलब पिछले एक साल में उस मंदी काल से 11 करोड़ अधिक लोगों ने नौकरी गंवायी है. इसी महीने के पहले हफ्ते देश की खराब आर्थिक स्थिति पर एक और बड़ी खबर आयी थी. वह खबर थी-15वें वित्त आयोग ने अप्रैल 2020 से जून 2022 तक का जीएसटी कलेक्शन में 7.1 लाख करोड़ रुपये की कमी का अनुमान लगाया है. यह मामूली सूचना नहीं थी. नोटबंदी और गलत तरीके से लागू जीएसटी की वजह से पहले से खराब चल रही आर्थिक स्थिति के और खराब होने के संकेत थे. क्योंकि 7.1 लाख करोड़ रुपये का मतलब, देश के कुल बजट का 20 प्रतिशत हिस्सा और कुल जीडीपी का 3.5 प्रतिशत. मतलब कुल बजट का 20 प्रतिशत कम राजस्व वसूली होने वाली है. राज्यों को उसका हिस्सा कम ही मिलेगा. इसे भी पढ़ेंः भारत">https://lagatar.in/indias-economic-situation-worse-than-war-economist-arun-kumar/19607/">भारत

की आर्थिक स्थिति युद्ध से भी बदतर: अर्थशास्त्री अरुण कुमार साफ है कि इस स्थिति में मोदी सरकार या राज्य सरकार भी आपके कल्याण के लिए ज्यादा कुछ नहीं करने वाली. इन सबके बीच हमें बताया क्या जा रहा है. मोदी सरकार ने कोरोना काल में दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले बेहतर काम किया. हिन्दुओं को उनका हक देने के लिए देश भर में सीएए-एनआरसी लागू करना जरुरी है. कृषि को कॉरपोरेट के हाथ में देने का विरोध करने वाले खालिस्तानी हैं. पेट्रोल-डीजल की कीमत में बढ़ोतरी को रोकना केंद्र सरकार के हाथ में नहीं है. दुनिया में मोदी का डंका बज रहा है. मोदी और भाजपा का विरोध करने वाले देशद्रोही हैं, आतंकवादी हैं. दरअसल, राष्ट्रवाद की आड़ में मोदी सरकार अपनी नाकामी को छिपा रही है. लोगों को अंध राष्ट्रवाद की घुट्टी पिलाकर असली समस्या से ध्यान भटकाया जा रहा है. जबकि असल समस्या तो यह है कि मोदी सरकार की गलत नीतियों के कारण आपकी जिंदगी बड़ी आर्थिक तबाही की तरफ तेजी से बढ़ती जा रही है. वैसे, कुछ लोग इस पर भी गर्व कर सकते हैं.

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