Mumbai : मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के लेटरबम ने महाराष्ट्र में भूचाल ला दिया है. इसमें अब नया मोड़ आया है. परमबीर सिंह के पत्र को लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय ने कहा है कि मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर का पत्र शनिवार शाम 4:37 बजे एक अलग ईमेल आईडी के जरिए प्राप्त हुआ, न कि उनके आधिकारिक ईमेल आईडी से. कहा गया कि इस पत्र पर परमबीर सिंह के हस्ताक्षर भी नहीं थे. CMO महराष्ट्र का कहना है कि नये ईमेल आईडी की जांच करने की आवश्यकता है. यह भी कहा कि गृह मंत्रालय उसी के लिए उनसे संपर्क करने की कोशिश कर रहा है.
देशमुख ने सचिन वाजे को महीने में 100 करोड़ की वसूली करने को कहा
बता दें कि मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने शनिवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे एक पत्र में महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख पर गंभीर आरोप लगाये थे. परम बीर सिंह ने कहा कि देशमुख ने सचिन वाजे को एक महीने में 100 करोड़ की वसूली करने को कहा था. पत्र में लिखा है, माननीय गृह मंत्री ने वाजे से कहा कि उनका टारगेट 100 करोड़ रुपये हर महीने जमा करने का है. मुंबई में लगभग 1,750 बार, रेस्तरां हैं
इस टारगेट के लिए, गृह मंत्री ने वाजे को बताया कि मुंबई में लगभग 1,750 बार, रेस्तरां हैं और अगर उनमें से हर एक से 2-3 लाख रुपये की राशि वसूली जाती है, तो 40-50 करोड़ रुपये हर महीने हासिल किए जा सकते हैं. पत्र के अनुसार गृह मंत्री ने कहा कि बाकी अन्य स्रोतों से वसूला जा सकता है. उद्धव ठाकरे से मुलाकात के दौरान इस घटना की जानकारी दी थी
पत्र में मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर ने यह भी लिखा है कि उन्होंने सीएम उद्धव ठाकरे से मुलाकात के दौरान सीएम को इस घटना की जानकारी दी थीपत्र में लिखा है, मार्च 2021 के मध्य में एंटीलिया की घटना के मद्देनजर ब्रीफिंग के दौरान जब मुझे आपको मामले की जानकारी देने के लिए देर शाम को बुलाया गया था. मैंने गृह मंत्री द्वारा कई गलत कामों की ओर इशारा किया था. मैंने उप मुख्यमंत्री, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार और अन्य वरिष्ठ मंत्रियों को भी इसके बारे में बताया. श्री सिंह ने आरोपों पर विस्तार से कहा, सचिन वाजे को अनिल देशमुख ने पिछले महीनों में कई बार अपने सरकारी आवास बुलाया था और उन्हें बार-बार वसूली में मदद करने का निर्देश दिया था. गृह मंत्री अनिल देशमुख ने हालांकि आरोपों से इनकार किया है कहा कि अगर सिंह आरोपों को साबित नहीं कर पाते हैं तो वह उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करेंगे.
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