- ● रिनपास पर आधारित पोस्टल स्टाम्प जारी. किया गया
- ● रिनपास की स्मारिका तथा चार पुस्तकों का विमोचन.
- ● टेली मेन्टल हेल्थ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का शुभारंभ.
- ● डिजिटल अकादमी की हुई शुरुआत.
Ranchi : रिनपास के 100 वर्ष पूरा होने पर आयोजित शताब्दी वर्ष समारोह के उद्घाटन सत्र में आज गुरुवार को सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि रांची इंस्टीट्यूट ऑफ़ न्यूरो साइकेट्री एंड एलाइड साइंस (रिनपास) में जल्द कई बदलाव देखने को मिलेंगे.
उन्होंने कहा कि रिनपास में आधारभूत संरचना तथा शैक्षणिक व्यवस्था मजबूत की जायेगी. कमियो की विस्तृत समीक्षा कर उसे दूर किया जाएगा. यहां मानसिक मरीजों को बेहतर सुविधाएं मिले, उनका अत्याधुनिक तरीके से इलाज की समुचित व्यवस्था हो, इस दिशा में राज्य सरकार आवश्यक कदम उठाएगी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज के समय में रिनपास जैसे संस्थानों की भूमिका तेजी से बढ़ रही है. जिस तरह लोग मानसिक अवसाद की गिरफ्त में आ रहे हैं, वैसे में उन्हें बेहतर काउंसलिंग और इलाज की सुविधा उपलब्ध कराना बेहद जरूरी है. हालांकि कोई भी व्यक्ति यह नहीं चाहेगा कि उसे रिनपास जैसे संस्थान में आना पड़े,
लेकिन मानसिक परेशानी, मजबूरी और परिस्थिति कई लोगों को यहां तक आने को विवश करती है. यहां आने वाले मनोरोगी पूरी तरह स्वस्थ होकर जायें, इसके लिए यहां इलाज की बेहतर से बेहतर व्यवस्था की जायेगी.
मुख्यमंत्री ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि मानसिक समस्याओं से जूझ रहे लोगों के इलाज में अत्याधुनिक तकनीकों के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने की दिशा में हमें आगे बढ़ना होगा. रिनपास में मरीजों की मानसिक समस्याओं के समाधान के लिए जो भी डिजिटल चिकित्सा तकनीक की जरूरत होगी, उसे उपलब्ध कराया जाएगा .
मरीजो को छोड़कर चले जाते हैं कई परिजन, वापस नहीं आते उन्हें लेने
मुख्यमंत्री ने इस बात पर चिंता जताई कि कई परिजन अपने मरीजों को यहां छोड़ कर चले जाते हैं और फिर उन्हें कभी लेने भी नहीं आते. कई बार घरों में ही मनोरोगी को अलग-अलग तरीके से कैद कर रखा जाता है, जो हमारे परिवार और समाज के लिए अच्छा नहीं है.
ऐसी परिस्थिति में मानसिक मरीजों की मनःस्थिति कैसी होती होगी, उसकी कल्पना हम नहीं कर सकते हैं. ऐसे में मानसिक समस्या से ग्रसित मरीजों तक सहजता और सरलता के साथ हमारी व्यवस्थाएं पहुंचे, इसके लिए गंभीरता से पहल करने की जरूरत है.
रिनपास की स्थापना का दूरदर्शी लोगों ने की होगी
सीएम ने कहा कि 1925 में जब मनोचिकित्सा के क्षेत्र में इस संस्थान की स्थापना हुई थी, उस वक़्त इसकी क्या जरूरत रही होगी, यह हम तो नहीं बता सकते हैं, लेकिन आज जिस तरह ऐसे संस्थानों की अहमियत बढ़ चुकी है,
वह यह बताने के लिए काफी है कि जिन्होंने भी आज से सौ वर्ष पहले रिनपास की नींव रखी होगी, वे कितने दूरदर्शी रहे होंगे. यह संस्थान पिछले 100 वर्षों से लोगों की सेवा में समर्पित है . यह सेवा भाव अनवरत जारी रहे, इसे और भी बेहतर बनाएंगे.
समारोब में रिनपास के अवकाश प्राप्त निदेशक डॉ पीके चक्रवर्ती, डॉ एनएन अग्रवाल, डॉ अशोक कुमार प्रसाद, डॉ अशोक कुमार नाग एवं डॉ केके सिंह, रिटायर्ड मेडिकल सुपरीटेंडेंट डॉ प्रवीण कुमार, सेवानिवृत फैकल्टी मेंबर डॉ एएन वर्मा तथा डॉ केसी सेंगर अहम सेवा तथा योगदान के लिए सम्मानित किये गये.
कार्यक्रम में उपस्थिति दर्ज कराई
कार्यक्रम में रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ, स्वास्थ्य मंत्री डॉ इरफान अंसारी, विधायक राजेश कच्छप, विधायक सुरेश कुमार बैठा, झारखंड राज्य समन्वय समिति के सदस्य राजेश ठाकुर, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय, स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज बेंगलुरु की निदेशक डॉ प्रतिमा मूर्ति, चीफ पोस्ट मास्टर जेनरल, झारखंड परिमंडल विधान चंद्र रॉय, रिनपास के निदेशक डॉ अमूल रंजन सिंह समेत कई गणमान्य मौजूद थे.
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