Pravin Kumar
Ranchi: कोरोना महामरी में निजी अस्पतालों की मनमानी हदें पार कर रही हैं. मामला समर नर्सिंग होम सिंह मोड़ हटिया का है. जहां 6 दिन से कोविड-19 का इलाज करा रहे नागेंद्र कुमार के परिजनों को मरीज को दूसरे अस्पताल ले जाने के लिए परिजन को मजबूर किया गया. 50 वर्षीय नागेंद्र कुमार का बदन दर्द की शिकायत के बाद कोविड टेस्ट कराया गया. जब जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो निफ्ट के डॉक्टरों के परामर्श से समर नर्सिंग होम में परिजनों एडमिट कराया. शुक्रवार को जब नागेंद्र कुमार का ऑक्सीजन लेवल घटने लगा तब अस्पताल ने वेंटिलेटर बेड की जरूरत बताई और दूसरे अस्पताल ले जाने को कहा. अस्पताल ने इस कदर नागेंद्र कुमार के परिजनों पर दबाब बनाया की रात दो बजे उन्हे अस्पताल छोड़ना पड़ा और सदर अस्पताल में उन्हें भर्ती कराना पड़ा.
क्या कहते हैं परिजन
नागेंद्र कुमार के रिश्तेदार निर्मल कुमार ने लगातार न्यूज़ नेटवर्क को बताया अस्पताल की ओर से प्रतिदिन उपचार के लिए 18 से 20 हजार प्रतिदिन चार्ज किया जाता था. जिसमें दवा, उपचार, खाने और रहने का खर्च लिया गया.
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रात दो बजे सदर अस्पताल बना सहारा
नागेंद्र का ऑक्सीजन लेवल 60 के करीब पहुंच गया. समर नर्सिंग होम प्रबंधन की ओर से लगातार…दबाब बनाये जाने के बाद परिजन रात के दो बजे सदर हॉस्पिटल पहुंचे. जहां उन्हें एडमिट कर इलाज किया जा रहा है. लेकिन सदर अस्पताल पहुंचने के पहले मदद के लिए किस कदर परिजन भटके, उसकी कहानी भी जानना जरूरी है. मरीज के साले ने बताया कि रात के दो बजे सदर अस्पताल रांची में एडमिट तो करा दिया. लेकिन अभी भी वेंटिलेटर बेड नहीं मिला है.
समर नर्सिंग होम प्रबंधन की दलील
इस मामले में समर नर्सिंग होम प्रबंधन ने किसी तरह की लापरवाही से इनकार किया है. प्रबंधन का कहना है कि मरीज का ऑक्सीजन लेवल 60 के करीब पहुंच गया था और हमारे अस्पताल में वेंटिलेटर की व्यवस्था नहीं है. इसलिए परिजनों को मरीज को कहीं और एडमिट कराने को कहा गया ताकि मरीज की जान बच सके. इसमें दबाव बनाने जैसी कोई बात नहीं है.
कोविड नियंत्रण कक्ष से भी नहीं मिली मदद
सदर अस्पताल में एडमिट होने से पहले नागेंद्र के परिजनों ने 104 पर फोन कर मदद मांगी. तो वहां से उन्हें कंट्रोल रूम का नंबर थमा दिया गया. कंट्रोल रूम ने 7 अस्पतालों का नंबर ये कहकर दिया कि पता कर लीजिए. यदि कहीं पर आपको बेड मिले तो कोशिश कर लीजिए.
नागेंद्र के रिश्तेदार निर्मल बताते हैं कि जब 104 पर फोन किया,तो कंट्रोल रूम का नंबर 0651-2200008 हमें दिया गया. कहा गया कि आप वहां से पता कर लीजिए. जब कंट्रोल रूम के नंबर पर फोन किया गया, तब सभी जानकारी मांगी गयी. कंट्रोल रूम से भी किसी तरह की कोई मदद नहीं मिली. जिन सात अस्पतालों का नंबर दिया गया.
उनमें से Orchid,Health Point,Santevita Hospital, गुलमोहर अस्पताल, सेवा सदन के अलावा अन्य का भी नाम बताया गया. निर्मल ने बताया कि रातभर अस्पतालों में फोन करता रहा, लेकिन कोई मदद नहीं मिली. उन्होंने बताया कि फिर बड़ी मुश्किल से सदर अस्पताल में जगह तो मिली है, लेकिन वो भी भगवान भरोसे ही हैं.
क्यों पड़ती है कोविड मरीजों को वेंटिलेटर की जरूरत
कोरोना वायरस ( Coronavirus ) महामारी ( Pandemic ) की वजह से दुनिया भर में हाहाकार मचा है. ऐसे में ज्यादातर मरीजों को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ रही है. इसलिए ये जानना भी जरूरी है कि आखिर कब पड़ती है वेंटिलेटर की जरूरत.
दरअसल सांस लेने में तकलीफ होने पर मरीजों को वेंटिलेटर पर रखा जाता है. वेंटिलेटर एक तरह का मेडिकल डिवाइस है, जो संक्रमित हो चुके इंसानी फेफड़ों के कमज़ोर होने पर उसे ज़रूरी ऑक्सीजन दे कर काम करने की स्थिति में बनाए रखता है. इसके इस्तेमाल से गंभीर मरीज़ों की जान बचायी जा सकती है.
 
                 
                                                             
                                         
                                 
                                             
                                         
                                         
    
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