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जनहित में आदित्यपुर के 111 सेव लाईफ अस्पताल न हो बंद, सरकार करे पहल : सरयू राय

Ranchi : पूर्व मंत्री व जमशेदपुर के वर्तमान विधायक सरयू राय ने आदित्यपुर स्थित 111 सेव लाईफ अस्पताल की बदहाल स्थिति और इसके बंद होने की चर्चा के बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है. उन्होंने कहा है कि विगत कई दिनों से अस्पताल से जुड़ी खबरें जमशेदपुर से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों में प्रमुखता से प्रकाशित हो रही हैं. यह विडम्बना है कि एक ओर कोरोना में अस्पतालों के बेड की संख्या एवं गुणवत्ता बढ़ाने की हर कोशिश हो रही है और दूसरी ओर अस्पतालों के बंद होने की स्थिति भी पैदा हो रही है. यही स्थिति 111 सेव लाईफ अस्पताल की हो रही है. जनहित में, खासकर आदित्यपुर के हित में यह अस्पताल चलना चाहिए. उनकी सरकार से अपील है कि उपर्युक्त विषयक समस्या का शीघ्र समाधान करने की दिशा में पहल करेंगे.

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मोमेंटम झारखंड करने वाले को पता ही नहीं, रोल मॉडल आज किस स्थिति में

सरयू राय ने कहा कि 27 अप्रैल, 2018 को तत्कालीन सरकार के मुख्यमंत्री द्वारा देवघर में आयोजित मोमेंटम झारखंड कार्यक्रम में हुए ग्लोबल इंवेस्टमेंट समिट के दौरान इस अस्पताल का शिलान्यास हुआ था. कहा गया था कि यह अस्पताल एक रोल मॉडल होगा. यह रोल मॉडल बिखर रहा है. इसे रोल मॉडल बनाने की घोषणा करने वालों को शायद पता नहीं कि यह रोल मॉडल आज किस स्थिति में पहुंच गया है. वे लोग अपने रोल मॉडल का बचाव से कतरा रहे हैं.

प्रशासनिक हस्तक्षेप के कारण बंद होने की कगार पर

सीएम को लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि आज की खबर से लग रहा है कि प्रशासनिक हस्तक्षेप के कारण यह अस्पताल बंद होने की कगार पर है. पिछले साल भी जमशेदपुर का मेडिका अस्पताल अकारण बंद हो गया था. सरकार, प्रशासन, टाटा स्टील नहीं बता पाया कि इस अस्पताल के बंद होने की नौबत क्यों आई? सरयू राय ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री के मौखिक आदेश पर बीते दिनों इस अस्पताल की जांच करने आयी टीम के साथ अस्पताल संचालक ने दुर्व्यवहार किया था. मंत्री के प्रति अभद्र शब्दों का इस्तेमाल किया, जो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ.

बाद में अपनी गलती महसूस कर अस्पताल संचालक ने अशिष्टता के लिये माफी मांग लिया. होना तो चाहिये था कि अपशब्द व्यक्त करने के लिये कानून की प्रासंगिक धाराओं में अस्पताल संचालक के उपर मुकदमा दर्ज होता. उनपर विधिसम्मत कार्रवाई होती. परंतु ऐसा होने की जगह अस्पताल के बंद होने की नौबत आ गई है. क्लिनिकल जांच की जगह प्रशासनिक जांच चलने लगी है, जो आपराधिक दंड विधान की कार्रवाई की ओर बढ़ती प्रतीत हो रही है. इसका प्रतिकुल प्रभाव सरकार की छवि पर पड़ रहा है.

सरकार जितनी गहन जांच कराना चाहती है, कराये

जमशेदपुर विधायक ने मांग का है कि सरकार 111 लाईफ अस्पताल की जितनी गहन जांच कराना चाहती है, कराये. साथ ही जमशेदपुर-आदित्यपुर के अन्य अस्पतालों की भी इसी मापदंड पर जांच करा ले. शायद आदित्यपुर के मेडिट्रिना अस्पताल में किसी प्रकार की जांच हुई भी है, परंतु सेव लाईफ अस्पताल को चलने दे. मेडिका की तरह इसे बंद नहीं कराये.

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