- राज्य में 20 साल में 20 गुणा बढ़ गया शराब से आने वाला राजस्व
- 2018-19 और 2019-20 में लक्ष्य से ज्यादा हुई राजस्व की प्राप्ति
Satya Sharan Mishra
Ranchi: झारखंड में शराब की जमकर खपत है. राज्य बनने के बाद 20 साल में 11,603.74 करोड़ रुपये की शराब गटक गये राज्य के लोग. सरकार के 20 साल के राजस्व के आंकड़े यह बता रहे हैं. साल दर साल शराब की खपत आश्चर्यजनक रूप से बढ़ती गई है. साल 2001 में उत्पाद विभाग ने जहां 101.98 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त किया था, वहीं 2019-20 में 2009.19 करोड़ रुपये का राजस्व शराब से सरकार को प्राप्त हुआ. यानी 20 साल में 20 गुना ज्यादा शराब की खपत राज्य में हुई और 20 गुना ज्यादा राजस्व सरकार को प्राप्त हुआ.
देशी और विदेशी और कंपोजिट शराब की बिक्री प्राप्त हुए राजस्व के ये आंकड़े हैं. अगर अवैध तरीके से बनने वाले महुआ की देशी शराब की बात करें तो लगभग हर साल उसकी भी उतनी ही खपत हुई है, जितनी सरकारी शराब की, लेकिन उसका कोई अनुमानित डाटा सरकार के पास उपलब्ध नहीं है.
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झारखंड में शराब की खूब खपत , 2018-20 हुई जबरदस्त बिक्री
शराब से राजस्व की सबसे कम प्राप्ति 2003-04 में हुई. उत्पाद विभाग ने 252.47 करोड़ रुपये का लक्ष्य 2003-04 में रखा था. इसके विरुद्ध सिर्फ 94.50 करोड़ की राजस्व की प्राप्ति हुई थी. वहीं 2018-19 और 2019-20 में शराब राज्य में शराब की जबरदस्त बिक्री हुई. वार्षिक लक्ष्य से काफी ज्यादा राजस्व की प्राप्ति हुई. 2018-19 में 1000 करोड़ रुपये राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य था, जबकि राजस्व प्राप्ति हुई 1082 करोड़ रुपये की. वहीं 2019-20 में 1800 करोड़ रुपये राजस्व प्राप्ति के लक्ष्य को पार करते हुए उत्पाद विभाग ने 2009.19 करोड़ रुपये राजस्व प्राप्त किया.
कोविड के बावजूद 2020 में शराब से मिला अच्छा राजस्व
बात अगर वित्तीय वर्ष 2020-21 की करें तो कोविड के बावजूद राज्य में शराब की खपत कम नहीं हुई. 22 मार्च 2020 से 19 मई 2020 तक राज्य की सभी शराब दुकानें बंद थीं. इसके बावजूद 2300 करोड़ रुपये के सालाना लक्ष्य का पीछा करते हुए उत्पाद विभाग ने फरवरी 2021 तक 1469.90 करोड़ रुपये के राजस्व की प्राप्ति की और शराब गटक गये झारखंड के लोग.
रांची में सबसे ज्यादा 187, लोहरदगा में सबसे कम 14 शराब की दुकानें
झारखंड में शराब की जमकर खपत है और सबसे ज्यादा तो राजधानी रांची में है, जबकि सबसे कम खपत वाला जिला लोहरदगा है. रांची में शराब की 187 दुकानें हैं. इनमें से देशी शराब की 66, विदेशी की 87 और कंपोजिट शराब की 34 दुकानें हैं. वहीं लोहरदगा में शराब की कुल 14 दुकानें हैं. इनमें से देशी शराब की 6, विदेशी की 6 और कंपोजिट शराब की 2 दुकानें हैं. जाहिर है राज्य में शराब के मामले में सबसे ज्यादा राजस्व देने वाला जिला रांची और सबसे कम राजस्व देने वाला जिला लोहरदगा है.
बिहार से सटे 10 जिलों में शराब की सबसे ज्यादा खपत
वित्तीय वर्ष 2020-21 में राज्य की 1499 शराब दुकानों से 2300 करोड़ रुपये के राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य रखा गया था. इनमें से देशी की 490, विदेशी की 604 और कंपोजिट शराब की 405 दुकानें शामिल हैं. राज्य के 10 जिले जो बिहार से सटे हैं उन जिलों में शराब की सबसे ज्यादा खपत है. बिहार में शराबबंदी के कारण इन जिलों में शराब कि बिक्री बहुत बढ़ी है. इन जिलों पर गौर करें तो पलामू में 86, गढ़वा में 46, हजारीबाग में 75, कोडरमा में 40, चतरा में 42 और गिरिडीह में 86 सरकारी शराब की दुकानें हैं. जबकि संथाल के दुमका में 84, गोड्डा में 48, देवघर में 103 और साहेबगंज में 64 शराब की दुकानें हैं.
किस वर्ष कितने की बिकी शराब
वर्ष राजस्व प्राप्ति
- 2001-02 101.98 करोड़
- 2002-03 101.88 करोड़
- 2003-04 94.50 करोड़
- 2004-05 152.00 करोड़
- 2005-06 159.00 करोड़
- 2006-07 127.43 करोड़
- 2007-08 149.91 करोड़
- 2008-09 204.54 करोड़
- 2009-10 329.87 करोड़
- 2010-11 407.62 करोड़
- 2011-12 492.13 करोड़
- 2012-13 593.00 करोड़
- 2013-14 643.70 करोड़
- 2014-15 764.55 करोड़
- 2015-16 915.68 करोड़
- 2016-17 957.62 करोड़
- 2017-18 847.24 करोड़
- 2018-19 1082.00 करोड़
- 2019-20 1469.00 करोड़
- 2020-21(फरवरी तक) 1469.90 करोड़
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