NewDelhi : सुप्रीम कोर्ट ने आज बुधवार को सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के कथित दुरुपयोग को लेकर दायर 14 राजनीतिक दलों की याचिका सुनने से इनकार कर दिया. कहा कि राजनेताओं को नागरिकों से ऊंचे पायदान पर नहीं रखा जा सकता है. वे कानून के तहत विशेष उपचार और गिरफ्तारी से छूट की मांग नहीं कर सकते. CJI डीवाई चंद्रचूड़ और जेबी पर्दीवाला की एससी पीठ ने सीबीआई और ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियों के कथित दुरुपयोग पर गुहार लगानेवाली याचिका पर विचार करने से मना कर दिया. SC ने याचिकाकर्ताओं से कहा, आप विशिष्ट मामलों के साथ आयें, हम इससे निपटेंगे. इस क्रम में कहा, हम कुछ आंकड़ों के आधार पर कानून को संक्षेप में नहीं रख सकते हैं. इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिकाएं वापस ले ली.
Supreme Court refuses to entertain a plea filed by 14 opposition parties, led by the Congress, alleging “arbitrary use” of central probe agencies like Central Bureau of Investigation (CBI) and the Enforcement Directorate (ED) against opposition leaders and seeking a fresh set of… pic.twitter.com/0DfvhhYxjN
— ANI (@ANI) April 5, 2023
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95 प्रतिशत जांच के दायरे में विपक्षी दलों के नेता हैं
जान लें कि आज सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस के नेतृत्व में 14 विपक्षी दलों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई शुरू की. इन याचिकाओं में विपक्षी नेताओं के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों के मनमाने उपयोग का आरोप लगाया गया था. इन दलों ने गिरफ्तारी, रिमांड और जमानत को नियंत्रित करने वाले दिशानिर्देश के एक नये सेट की मांग की थी.. विपक्षी दलों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क दिया कि 2013-14 से 2021-22 तक सीबीआई और ईडी के मामलों में 600 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. ईडी द्वारा 121 राजनीतिक नेताओं की जांच की गयी है, जिनमें से 95 प्रतिशत विपक्षी दलों से हैं. सीबीआई के लिए, 124 जांचों में से 95 प्रतिशत से अधिक विपक्षी दलों से हैं.
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नागरिकों के रूप में हम सभी एक ही कानून के अधीन हैं
सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राजनीतिक विरोध की वैधता पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा है. सुप्रीम कोर्ट ने सिंघवी से पूछा, क्या हम इन आंकड़ों की वजह से कह सकते हैं कि कोई जांच या कोई मुकदमा नहीं होना चाहिए? सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि अंततः एक राजनीतिक नेता मूल रूप से एक नागरिक होता है और नागरिकों के रूप में हम सभी एक ही कानून के अधीन हैं. सिंघवी ने कहा कि पक्षकार नहीं चाहते कि याचिका से भारत में कोई लंबित मामला प्रभावित हो और वे मौजूदा जांच में हस्तक्षेप करने के लिए यहां नहीं हो.
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