Chulbul Ranchi: कोविड महामारी ने कई लोगों और वर्गों की जिंदगियों को प्रभावित किया है. कई लोगों की नौकरी चली गयी तो कई के पास नौकरी तो थी, पर उन्हें वेतन नहीं दिया जा रहा है. रांची जिले के बाल श्रमिक पुनर्वासन विभाग के शिक्षक और कर्मी भी कुछ इसी परेशानी से गुजर रहे हैं. जिले में कुल 27 सेंटर्स हैं. इन 27 सेंटर्स के 150 शिक्षिकों और कर्मियों को पिछले 18 महीनों से वेतन नहीं मिला है. वे लगातार इसके लिए मुख्यमंत्री, श्रम विभाग और डीसी कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं, पर हर जगह उन्हें केवल आश्वासन दिया जा रहा है. उनका कहना है कि हमें वेतन नहीं मिलने का कारण बता दिया जाए. साथ ही हमें स्पष्ट कर दिया जाए कि हमें वेतन दिया भी जाएगा या नहीं. राष्ट्रीय बाल श्रमिक परियोजना (एनसीएलपी) बाल श्रमिकों के पुनर्वासन के लिए चलाया जाता है. इस योजना को श्रम एवं रोजगार मंत्रालय भारत सरकार द्वारा फंड दिया जाता है. रांची जिले में इसका संचालन 2011 से किया जा रहा है. इसे भी पढ़ें-
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में बिजली विभाग के जेई को ACB ने घूस लेने के आरोप में किया गिरफ्तार अप्रैल 2020 से नहीं मिल रहा वेतन, परिवार में भुखमरी की स्थिति
शिक्षकों का कहना है कि कोविड काल में स्कूल बंद होने के बाद भी हम आदेशानुसार ऑनलाइन क्लास और डीजी-साथ से प्राप्त ई-कंटेक्टस से पढ़ा रहे हैं. हम सरकारी स्कूलों की तरह ही हर दिन बच्चों को पढ़ा रहे हैं, लेकिन अप्रैल 2020 से अभी तक उन्हें वेतन नहीं दिया जा रहा है. इससे भुखमरी की स्थिति आ गयी है. इसके साथ ही उन्हें भविष्य में इस प्रोग्राम के बंद होने का भी डर सता रहा है, जिसमें उन्होंने सरकार के दूसरे विभागों में योग्यता के अनुसार स्थायी पद देने की मांग कर रहे हैं. इसे भी पढ़ें-
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का निर्देश: 15 अक्टूबर तक सभी जरूरतमंदों को दें आवास योजना का लाभ, मजबूर आदिवासी बहनों का करें विकास एनसीएलपी निदेशक ने कहा- फंड नहीं दिए जाने के कारण नहीं हो रहा शिक्षकों का वेतन भुगतान
एनसीएलपी निदेशक डॉ ईरा कुमारी ने बताया कि यह योजना केंद्र सरकार की है. कोविड काल में स्कूलों के बंद होने के बाद से इसके लिए सरकार से फंड आए ही नहीं है, जिससे कि शिक्षकों को वेतन बंद है. हमने कई बार डीसी के जरिए श्रम विभाग को इसकी जानकारी दी है, पर हमें इसके लिए किसी तरह का कोई जवाब नहीं दिया गया है.
जाने क्या है एनसीएलपी प्रोग्राम, बच्चों को कैसे पहुंचाया जा सकता है लाभ
फिलहाल रांची जिले में कुल 865 बाल श्रमिक चिह्नित है, जो एनसीएलपी प्रोग्राम से जुड़े हैं. इसमें 9 वर्ष से लेकर 14 वर्ष तक के बच्चे शामिल हैं. योजना के तहत बच्चों को मेनस्ट्रीम शिक्षा से जोड़ने के लिए स्पेशल ट्रेनिंग सेंटर्स में डाला जाता है. उन्हें कम से कम 5 महीने और अधिकतम दो वर्षों के लिए ट्रेनिंग दी जाती है. सेंटरों में बच्चों को पढ़ाई के साथ ही फूड प्रोसेसिंग, सिलाई-कढ़ाई, कैंडल मेकिंग, मशरूम कल्टीवेशन जैसी वोकेशनल ट्रेनिंग दी जाती है, ताकि पढ़ाई के साथ ही उन्हें भविष्य में रोजगार का जरिए मिल जाये. [wpse_comments_template]
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