Raipur (Sukesh Kumar) : जन संस्कृति मंच की ओर से छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में 16वां राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ शनिवार को केसरी भवन में हुआ. दो सत्र में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान देश के विभिन्न राज्यों से बुद्धिजीवी और संस्कृति से जुड़े कलाकार शामिल हुए. सम्मेलन का शुभारंभ सर्वप्रथम वंदना के साथ हुआ. इसके बाद जन सस्कृति मंच का उद्देश्य और इतिहास की जानकारी दी गई. इस दौरान बताया गया कि जन संस्कृति मंच का 16वां सम्मेलन एक ऐसे दौर में हो रहा है, जब भारत की जनता फासीवाद के हमले का सामना कर रही है. 8 वर्ष पहले सत्ता में आई आरएसएस संचालित भाजपा ने लोकतंत्र के चारों स्तंभों पर लगभग पूर्ण नियंत्रण प्राप्त कर लिया है और देश के संविधान लोकतंत्र को खत्म करने की कोशिश करते हुए देश को अघोषित हिंदू राष्ट्र बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
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आरएसएस भाजपा अपने सांप्रदायिक फासीवादी एजेंडे के तहत देश की विविधता बहु धार्मिक, बहुभाषी सामाजिक ढांचे पर लगातार हमले कर रहे हैं. अल्पसंख्यक को विशेषकर मुसलमानों को हर तरह के अधिका और न्याय से वंचित करते हुए उन्हें देश का दोयम दर्जे का नागरिक बनाने की कोशिश की जा रही है. सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों को मुसलमान विरोधी नीतियों व कार्यक्रमों में तब्दील कर दिया गया है. उनकी देशभक्ति जांचने के लिए रोज नए-नए फरमान जारी किए जाते हैं. खान-पान पहनावा और उनकी पहचान को निशाना बनाते हुए लींचिंग की घटनाएं न्यूनार्म बना दी गई है. मुसलमान के खिलाफ नफरत और हिंसा को जायज ठहराने को दूसरे समुदायों के लिए देशभक्ति का पैमाना बनाया जा रहा है और सत्ता के इस कृत्य और नजरिए को मीडिया का एक बड़ा वर्ग, जिसे आज लोकप्रिय भाषा में गोदी मीडिया कहा जाता है, दिन-रात प्रचलित करने में लगा है. सीएए, एनआरसी के जरिए मुसलमानों सहित देश के गरीबों आदिवासियों की नागरिकता छीनने की कोशिश की गई है.
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जब इसके प्रतिरोध में अल्पसंख्यक समुदाय के साथ देश के नागरिक, लेखक, बुद्धिजीवी, नौजवान सांस्कृतिक कार्यकर्ता खड़े हुए तो उन पर कार्रवाई की गई. आंदोलनों में सीधे पुलिस फायरिंग करना और घायलों को अस्पताल से इलाज से वंचित करना इस क्रूर निजाम को दुनिया के फासीवाद तानाशाह के साथ खड़ा करता है. कहने को सीएए एनआरसी की कार्रवाई आगे नहीं बढ़ाई जा रही है, लेकिन अघोषित रूप से ग्रामीण और शहरी गरीबों अल्पसंख्यक, आदिवासियों को आए दिन बड़े पैमाने पर जारी है. बुलडोजर इसी का विस्तार है. देश के किसान, मजदूर, छात्र, नौजवान, महिला, दलित, आदिवासी भी कम दमन नहीं झेल रहे हैं. पहले से खेती में बढ़ती लागत की वाजिब दाम नहीं मिलने से परेशान किसानों की जमीन हड़पने और कृषि क्षेत्र को पूंजीपतियों के हाथ में देने की गरज से इस सरकार ने तीन कृषि कानून थोप दिए. मौके पर राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेंद्र कुमार, राष्ट्रीय महासचिव मनोज सिंह, जन संस्कृतिक मंच के के पांडे, जनमत की प्रबंध संपादक मीना राय, छत्तीसगढ़ के सामाजिक कार्यकर्ता सोनी, हिमांशु कुमार, झारखंड के सचिव बलभद्र, झारखंड से अनिल अंशुमन के अलावा काफी संख्या में सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित थे.
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