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17,000 करोड़ लोन फ्रॉड केस : अनिल अंबानी ED के समक्ष उपस्थित. अधिकारियों ने शुरू की पूछताछ

Lagatar Desk :  प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कथित तौर पर 17,000 करोड़ रुपये के ऋण धोखाधड़ी मामले में अनिल अंबानी को एक अगस्त को समन जारी किया था. एजेंसी ने समन जारी कर रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन और एमडी  को आज दिल्ली स्थित ED मुख्यालय में पेश होने का निर्देश दिया था. जिसके लिए वे ईडी ऑफिस पहुंच गए हैं. जहां ईडी के अधिकारी उनसे धोखाधड़ी मामले की पूछताछ शुरू की.  

 

 

 

रिलायंस ग्रुप से जुड़ी कंपनियों और लोगों के ठिकानों पर कई दिनों तक चली थी छापेमारी 

गौरतलब है कि कथित बैंक लोन धोखाधड़ी मामले में ईडी ने इससे पहले 24 जुलाई को मुंबई और दिल्ली के 35 से अधिक ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की थी, जो 50 व्यावसायिक संस्थाओं और 25 लोगों से जुड़े थे. ईडी की यह छापेमारी कई दिनों तक चली थी. रिलायंस ग्रुप से जुड़ी कंपनियों और व्यक्तियों के खिलाफ की गई छापेमारी के बाद अब ईडी ने अनिल अंबानी से पूछताछ करने के लिए समन जारी किया है. 

 

रिलायंस ग्रुप ने स्टॉक एक्सचेंज को दी सफाई

रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने 26 जुलाई को स्टॉक एक्सचेंज को जानकारी दी कि वे ईडी की कार्रवाई में सहयोग कर रहे हैं. साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि छापेमारी का उनके व्यापार, वित्तीय प्रदर्शन, शेयरधारकों या कर्मचारियों पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ा है. 

 

CBI की दो FIR के बाद खुली जांच की परतें

यह मामला तब गंभीर रूप से सामने आया, जब CBI ने दो प्राथमिकियां दर्ज कीं, जिसमें धोखाधड़ी, गबन और बैंकों से फर्जी तरीके से लोन लेने के आरोप लगाए गए हैं. इसके बाद ED ने मनी लॉन्ड्रिंग एंगल से जांच शुरू की. ईडी जांच का फोकस उन लोन पर है, जो 2017 से 2019 के बीच यस बैंक ने अनिल अंबानी की कंपनियों को दिए थे, जिसमें भारी अनियमिताएं सामने आयीं.  ईडी की शुरुआती जांच में सामने आया कि एक संगठित और सुनियोजित योजना के तहत बैंक, निवेशक और सरकारी संस्थानों को धोखा दिया गया. 

 

बैकडेट से तैयार किए गए दस्तावेज सहित कई चौंकाने वाले खुलासे

सबसे चौंकाने वाली बात ये रही कि 2017 से 2019 के बीच यस बैंक ने रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी (RAAGA) ग्रुप को बिना उचित मूल्यांकन के कर्ज मंजूर कर दिए. जांच में सामने आया कि कर्ज मंजूरी से पहले ही कुछ रकम कथित तौर पर निजी कंपनियों के माध्यम से बैंक अधिकारियों तक पहुंचाई गई थी. 

 

जांच में पाया गया कि क्रेडिट अप्रूवल मेमोरैंडम (CAM) जैसे दस्तावेज बैकडेट में तैयार किए गए. साथ ही  लोन अप्रूवल में किसी क्रेडिट एनालिसिस या ड्यू डिलिजेंस का पालन नहीं हुआ. इसके अलावा एक ही पते, डायरेक्टर और कमजोर बैलेंस शीट वाली शेल कंपनियों को लोन ट्रांसफर किया गया और  कई मामलों में लोन की राशि पहले ट्रांसफर हो चुकी थी, अप्रूवल बाद में हुआ. 

 

RHFL में भी बड़े पैमाने पर गड़बड़ी, SEBI ने खोला राज

इस मामले में SEBI ने भी ED के साथ RHFL (Reliance Home Finance Limited) से जुड़ी जानकारी साझा की है. रिपोर्ट के अनुसार,  2017-18 में RHFL ने 3,742.60 करोड़ रुपये के कॉरपोरेट लोन दिए, 2018-19 में यह बढ़कर 8,670.80 करोड़ रुपये हो गया. 

 

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