Ranchi: राज्य के चार कोयला खदानों से खनन पट्टों के निबंधन शुल्क और स्टांप ड्यूटी के रूप में 188.75 करोड़ रुपये कम की वसूली हुई. सरकार को इस नुकसान का मूल कारण निबंधन के समय निबंधन शुल्क और स्टांप ड्यूटी की वसूली के लिए निर्धारित नियमों का पालन नहीं करने के अलावा संबंधित विभागों में तालमेल की कमी है.
महालेखाकार ने खनन पट्टों के निबंधन के समय वसूले गये शुल्क से संबंधित दस्तावेज की जांच की. इसमें कम वसूली का मामला पकड़ में आया. चारों मामले पाकुड़ और पलामू के कोयला खदान से संबंधित है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि पलामू के लोहारी कोल ब्लॉक और कठुआ कोयला खदान के खनन पट्टा के निबंधन के समय निबंधन शुल्क और स्टांप ड्यूटी के रुप में 81.90 करोड़ रुपये कम की वसूली की गयी. पलामू के ही लोहारी कोल ब्लॉक के खनन पट्टा के निबंधन के समय 14.80 करोड़ रुपये कम लिये गये.
रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकुड़ जिला के पचवारा नॉर्थ कोल ब्लॉक के निबंधन के समय 50.63 करोड़ और पचवारा सेंट्रल के निबंधन के समय 41.42 करोड़ रुपये कम लिये गये.
किससे कितने कम की वसूली हुई
जिला | कोल ब्लॉक | राशि (करोड़ में) |
पलामू | लोहारी | 14.8 |
पलामू | कठुआ | 81.90 |
पाकुड़ | पचवारा, नार्थ | 50.63 |
पाकुड़ | पचवारा सेंट्रल | 41.42 |
रिपोर्ट में कहा गया है कि रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 में एक साल से अधिक समय के लिए किसी अचल संपत्ति को लीज पर देने के लिए उसका निबंधन कराना जरूरी करार दिया गया है. इंडियन स्टांप एक्ट 1899 में इस संपत्ति पर निबंधन शुल्क और स्टांप ड्यूटी वसूलने का प्रावधान है.
इसके तहत अगर लीज लेने वाला व्यक्ति सरकारी राजस्व का भुगतान एक निर्धारित समय सीमा के अंतराल पर करने के लिए तैयार हो तो निबंधन शुल्क और स्टांप ड्यूटी की गणना, वार्षिक औसत रेंट और लीज़ की अवधि के आलोक में की जायेगी. इस क्रम में लीज धारक द्वारा दी जाने वाली सभी तरह के टैक्स और हिस्सेदारी को वार्षिक रेंट माना जायेगा.
ऑडिट के दौरान पाया गया कि पलामू और पाकुड़ के कोल ब्लॉक के मामले में पट्टे का निबंधन अक्तूबर 2016 और दिसंबर 2022 के दौरान किया गया. निबंधन के समय निबंधन शुल्क और स्टांप ड्यूटी की गणना सिर्फ रॉयल्टी के आधार पर की गयी.
स्टांप ड्यूटी और निबंधन शुल्क की गणना के समय DMFT, FPO सहित सरकार द्वारा वसूले जाने वाले दूसरे राजस्व को नहीं जोड़ा गया. इससे स्टांप ड्यूटी और निबंधन शुल्क के रूप में संबंधित लीज धारकों से 188.75 करोड़ रुपये कम की वसूली की गयी. दोनों जिलों के जिला खनन पदाधिकारियों ने सिर्फ रायल्टी के आधार की गयी गणना निबंधन कार्यालय को दिया. निबंधन कार्यालय ने इसे स्वीकार कर लिया.
Leave a Comment