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मजदूरी के बाद भी मजदूरों को 20 लाख का भुगतान नहीं

Bermo (Bokaro) : मनरेगा के तहत मजदूरी तो करा ली, मगर काम का भुगतान नहीं किया गया. 20 लाख रुपये का भुगतान लंबित है. इससे मजदूर बेहाल हैं. यह हुआ है बोकारो जिले के गोमिया प्रखंड के ग्रामीण इलाकों में. यहां काम कराने के बाद भी मजदूरी नहीं देने से पीड़ित लाभुकों के खाने के लाले पड़ गए हैं. गोमिया में करीब बीस लाख रुपये का मजदूरी भुगतान लंबित है, जबकि जिला में करोड़ों रुपये बकाया है. मनरेगा योजना भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है. सरकार ने इस योजना को लाकर देश के 70% ग्रामीण क्षेत्रों में बसने वाले ग्रामीणों को गांव में ही रोजगार देने की गारंटी की थी, लेकिन इन दिनों गोमिया में इस योजना के तहत किये गए काम के एवज में उन्हें मजदूरी नहीं मिल रही है, जिसके कारण उनकी हालत बदतर होती जा रही है. इसे भी पढ़ें : बोकारो:">https://lagatar.in/bokaro-retired-employees-of-bsl-protested-against-cell-chairmans-coup/26516/">बोकारो:

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गोमिया के बीपीओ ने कहा, जनवरी से लंबित है भुगतान

इस संबंध गोमिया बीपीओ राकेश कुमार ने बताया कि दिसंबर महीने तक की राशि उपलब्ध थी, जिसका भुगतान हो चुका है. लेकिन जनवरी माह से सरकार द्वारा मनरेगा योजना में आवंटन के आधार पर राशि नहीं भेजी है, लिहाजा मजदूरों का मजदूरी भुगतान नही हो सका है.

कई योजनाओं के तहत कराए गए थे काम

क्षेत्र में कुआं, डोभा और टीसीबी योजना के तहत प्रखंड की सभी पंचायत में काम कराये गए थे. इन योजनाओं के कार्यान्वयन के कारण गांव में ही ग्रामीणों को रोजगार के साधन मिलने लगा था. लॉकडाउन के बाद बड़ी संख्या में मजदूर अपने घर लौट आए थे, जिसके कारण उन्हें भी मनरेगा योजना से काम दिया गया था. बेरोजगारी की समस्या हल होने के कारण मजदूर काम के लिए बाहर नहीं गए. सरकार की भी यही मंशा थी कि ग्रामीण क्षेत्र के किसान मजदूर को गांव में ही रोजगार मिले, लेकिन इन मनरेगा मजदूरों को काम करने के बाद उन्हें मजदूरी नहीं मिली.

गोमिया में हैं 36 पंचायत

गोमिया प्रखंड में 36 पंचायत हैं. इस पंचायत में तीन-चार पंचायतों को छोड़ दें तो अमूमन सभी पंचायत ग्रामीण क्षेत्रों में आते हैं. पिछले दिनों सरकार की योजना अंतर्गत प्रत्येक पंचायत में कम से कम दो सौ मानव दिवस सृजन करने का  लक्ष्य रखा गया था, ताकि हर बेरोजगार को काम मिल सके. इसी प्रकार कुआं, टीसीबी, दीदी बाड़ी योजना के अलावा मिट्टी के अन्य तरह के काम कराये गए. इन कार्यों के वजह से ग्रामीणों को गांव में ही काम मिल गया, और वे पलायन को विवश नहीं हुए. लेकिन पिछले जनवरी माह से इन मजदूरों का मजदूरी भुगतान नहीं होने के कारण उनकी आर्थिक स्थिति गड़बड़ा गई है. इसे भी पढ़ें : सिमडेगा">https://lagatar.in/congressmen-gunned-against-simdega-dc-burnt-effigy/26550/">सिमडेगा

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