ABHILASHA SHAHDEO
LagatarDesk: कोरोना काल का देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ा है. इसके साथ ही लोगों की जिंदगी पर भी इसका प्रभाव पड़ा है. 2021 में मिडिल क्लास लोगों के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है. हजारों लोगों की नौकरियां जा सकती हैं. लाखों लोगों की आय में भी कमी हो सकती है. महंगाई के तेजी से बढ़ने का खतरा है.
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न नौकरियों और न ही आम लोगों की औसत आय में हुई वृद्धि
अभी कुछ दिनों पहले समाचारों की सुर्खियों में था कि जुलाई से सितंबर में कॉरपोरेट सेक्टर को रिकार्ड मुनाफा हुआ था. लेकिन इस मुनाफे का मिडिल क्लास पर कोई असर नहीं पड़ा. न नौकरियों की संख्या बढ़ी और न ही आम लोगों की औसत आय में किसी तरह की वृद्धि हुई.
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कॉरपोरेट का लाभ घटने का असर प्रोडक्ट और रोजगार पर
2021 में कॉरपोरेट कंपनियों का लाभ घटने का अनुमान अर्थशास्त्री और बाजार विशेषज्ञ लगा रहे हैं. कंपनियों का मुनाफा घटेगा, तो उत्पादों की कीमतें बढ़ेंगी और वहां कार्यरत लोगों के रोजगार पर इसका असर पड़ेगा. कोई भी कंपनी तीन बातों पर निर्भर करती है.
पहला कच्चे माल की उपलब्धता और कीमत. दूसरा इंप्लाइज की सैलेरी और तीसरा कंपनी का प्रतिदिन होनेवाला खर्च. अन्य प्रकार के खर्च के लिए कंपनी बैंक और वित्तीय संस्थाओं से लोन लेती है.
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लॉकडाउन में कंपनियों ने कामगारों की छंटनी
22 मार्च की रात से हुए लॉकडाउन के कारण कंपनियों का काम पूरी तरह से बंद हो गया. इसके कारण कच्चे माल की मांग कम हो गयी और इसकी कीमतों में भारी कमी देखने को मिली. दूसरा कारण यह था कि चीन हमारे देश के कच्चे माल का सबसे बड़ा आयातक है. लॉकडाउन में चीन को निर्यात किये जानेवाले कच्चे माल की आपूर्ति बंद हो गयी.
इससे देश में कच्चे माल की कीमतों में जबर्दस्त गिरावट दिखी. लेकिन बाजार में उत्पादों की मांग नहीं होने के कारण इसका असर उत्पादन पर पड़ा. कच्चे माल की डिमांड भी इससे प्रभावित हुई. कंपनियों का उत्पादन और बिक्री ठप हुई, तो उन्होंने कामगारों की छंटनी शुरू कर दी.
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रिकार्ड बिक्री और रिकॉर्ड मुनाफा का झूठा शोर
लॉकडाउन के समय कंपनियों की Total Sales घटी है. हालांकि कुछ समय पहले शोर था कि कोरोना काल में रिकार्ड बिक्री और रिकॉर्ड मुनाफा हुआ है. ऑटो और इलेक्ट्रॉनिक सेक्टर में उत्पादन और बिक्री के खूब आंकड़े दिखाये गये.
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लॉकडाउन खुलते ही कच्चे माल की कीमत और अन्य चीजों के दाम बढ़े
लेकिन जैसे ही लॉकडाउन खुला, कच्चे माल का दाम भी बढ़ने लगा. स्टील, कोयला, सीमेंट आदि चीजों के दाम नवंबर-दिसंबर में तेजी से बढ़े हैं. और कच्चे माल के दाम बढ़ने से उत्पाद भी महंगे हो रहे हैं. Festive season में लोगों ने खरीदारी की थी, जो अब काफी कम हो गयी है. कंपनियां सामान तो बना रही हैं, लेकिन खरीदार नदारद हैं. कंपनी का खर्चा बढ़ रहा है. जब प्रोडक्ट नहीं बिकेगा, तो कंपनी के पास नुकसान उठाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.
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2021 में कर्मचारियों की वेतन कटौती और छंटनी होगी जोर पर
कोई भी कॉरपोरेट कंपनी अपना मुनाफा कम नहीं करना चाहती. ऐसे में वह वेतन कटौती और कर्मचारियों की छंटनी जैसे विकल्पों को आजमाती है. जब लोगों के पास रोजगार और आय के साधन ही नहीं होंगे, तो वे खर्च करने के लिए पैसा कहां से लायेंगे.
लोगों की क्रय शक्ति कम होगी तो कंपनियों का मुनाफा घटता जायेगा. इसका असर देश की प्रति व्यक्ति आय और सकल घरेलू उत्पाद पर पड़ेगा. बेरोजगारी और महंगाई बढ़ेगी तथा इससे सबसे ज्यादा प्रभावित मिडिल क्लास ही होगा.
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