Ranchi : शनिवार को भगवान महावीर मेडिका सुपरस्पेशलिटी अस्पताल में एक कैंसर सर्वाइवर टॉक प्रोग्राम का आयोजन किया गया. जिसमें झारखंड, बिहार और पड़ोसी क्षेत्रों के 45 से अधिक कैंसर को मात दे चुके लोग शामिल हुये. ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. गुंजेश कुमार ने कहा कि हमारे क्षेत्र में पित्ताशय की थैली में कैंसर के सबसे अधिक मरीज पाए जाते हैं. उन्होंने साथ ही बताया कि झारखंड में वर्तमान में युवा रोगियों में ब्लड कैंसर के काफी मामले हैं. जबकि वृद्धों में फेफड़े और मल्टीपल मायलोमा (एक प्रकार का रक्त कैंसर) होने का खतरा होता है. उन्होंने साथ ही बताया कि कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसका इलाज नहीं किया जा सकता है, लेकिन हमें यह समझने की जरूरत है कि यह इलाज योग्य है और अगर सही समय पर उचित इलाज किया जाए तो व्यक्ति एक जिंदा रह सकता है.
22 साल के सोनात खो चुके थे जीने की उम्मीद
कैंसर को मात देने वालों में युवा, अधेड़ के साथ-साथ बूढ़े भी शामिल थे. सभी ने कैंसर से लड़ने के बारे में अपने अनुभवों को साझा किया. जिसमें साहेबगंज के एक 22 वर्षीय युवक सोनात मडैया भी शामिल है. जो ब्लड कैंसर से उबरने के रास्ते पर है. जबकि बरियातू निवासी कुंदन जिसने मुंबई से लौटने के बाद सारी उम्मीदें खो दी थीं, पेट में ट्यूमर के साथ-साथ टेस्टिकुलर कैंसर का पता चलने के बाद उसने जबरदस्त रिकवरी दिखाई है. सोनात ने बताया कि इस साल की शुरुआत में कैंसर का पता चलने के बाद मैंने सभी उम्मीदें खो दी थीं, लेकिन डॉ गुंजेश कुमार ने मुझे एक नया जीवन दिया. डॉ साहब ने हर तरह से हमारी मदद की और हौसला बढ़ाया. अस्पताल फीस और दवाओं में भी छूट दी. मुख्यमंत्री गंभीर बीमा योजना के तहत मेरा इलाज शुरू हुआ. अब काफी सुधार है. डॉक्टर का कहना है कि मैं जल्द ही ठीक हो जाऊंगा.
वहीं बरियातू निवासी कुंदन का इलाज डॉ गुंजेश ने किया. कुंदन ने बताया कि टीएमएच मुंबई से लौटने के बाद डॉ गुंजेश ने ही इलाज के लिए प्रोत्साहित किया. इलाज के बाद अब जीने की उम्मीद जगी है. 70 साल के डोमन बाबा ने कहा कि मुझे चार लोगों द्वारा उठाए जाने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन आज मैं यहां अपने अनुभव को अपने पैरों पर साझा करने आया हूं. डॉक्टर ने एक परिवार के सदस्य की तरह मेरा इलाज किया और हौसला बढ़ाया. जिसकी बदौलत आज मैं अपने पैरों पर खड़ा हूं.