- 76 हजार आंगनबाड़ी सेविका-सहायिकाओं को छह महीने से मानदेय नहीं
- केंद्र ने छह माह से तो राज्य ने तीन माह से नहीं दिया अपना-अपना हिस्सा
Kaushal Anand
Ranchi : सरकारी योजनाओं का लाभ जन-जन तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाने वाली आंगनबाड़ी सेविका-सहायिकाओं को विगत छह माह से नियमित रूप से वेतनमान नहीं मिल रहा है. इनके मानदेय की लगभग 238 करोड़ रुपये से भी अधिक की राशि केंद्र और राज्य सरकारों पर बकाया है. बता दें कि आंगनबाड़ी सेविका और सहायिकाओं के मानदेय का एक हिस्सा राज्य सरकार जबकि दूसरा हिस्सा केंद्र सरकार की ओर से दिया जाता है. राज्य सरकार ने जहां तीन माह का राज्यांश नहीं दिया है. वहीं केंद्र सरकार ने छह माह से केंद्रांश नहीं दिया है. इसके चलते राज्य सरकार पर सेविकाओं का 57.6 करोड़ और सहायिकाओं का 35.13 करोड़ रुपये बकाया है. वहीं केंद्र पर सेविकाओं का 103.68 और सहायिकाओं का 41.47 करोड़ रुपये बकाया है. यह पूरी राशि 238 करोड़ रुपये से भी अधिक बनती है.
सभी जिलों में भेजा जा रहा राज्यांश : मंत्री
महिला एवं बाल समाज कल्याण मंत्री जोबा मांझी ने कहा कि राज्य सरकार के हिस्से का जो बकाया है, वह सभी जिलों को भेजा जा रहा है. रही बात केंद्रांश की तो जब तक केंद्र की राशि नहीं आयेगी तब तक हम कुछ नहीं कर सकते हैं. विभागीय सचिव लगातार केंद्र से संपर्क बनाये हुए हैं. राशि विमुक्त कराने का प्रयास कर रहे हैं.
हेमंत सरकार ने बढ़ाया था मानदेय
हेमंत सोरेन सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में सेविका और सहायिकाओं के मानदेय में बढ़ोतरी की घोषणा की थी. इसमें सेविका का मानदेय राज्यांश से 500 रुपये बढ़ाया गया है. नये मानदेय के तहत उन्हें 10000 रुपये मिलने हैं. वहीं, सहायिकाओं के मानदेय में भी राज्य सरकार ने 250 रुपये की बढ़ोतरी की है. इस प्रकार उन्हें कुल 5000 रुपये मानदेय मिलना है. लेकिन अभी तक उन्हें नया मानदेय नहीं मिला है.
एक साल पूर्व किया था प्रदेश व्यापी आंदोलन
आंगनबाड़ी सेविका-सहायिकाओं को मानदेय नहीं मिलना कोई नयी बात नहीं है. जुलाई 2022 में भी जब छह माह से उन्हें मानदेय नहीं मिला था तो उन्होंने लगभग 15 दिन तक राज्यव्यापी आंदोलन किया था. इसके बाद उन्हें मानदेय का कुछ हिस्सा जारी किया गया था. अब एक बार फिर से वही स्थिति आ गयी है.
आंगनबाड़ी सेविका-सहायिकाओं के कार्य
- 3-6 साल तक के बच्चों को पढ़ाना
- आंगनबाड़ी में आने वाले बच्चों को खिलाना
- पल्स पोलियो अभियान चलाना
- धातृ एवं गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण में सहयोग, राशन मुहैया कराना
- बच्चों से संबंधित सभी प्रकार के टीकाकरण अभियान
- कुपोषण मुक्ति अभियान को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाना
- मातृ वंदना योजना, सुकन्या योजना, कन्यादान योजना, लक्ष्मी लाडली योजना, विधवा-वृद्ध, विकलांग पेंशन योजना, सावित्री फुले बाई बालिक शिक्षा योजना का फार्म भरना, उसे योजना का लाभ दिलाना.
- मतदाता पुनरीक्षण और सरकार का नियत समय में चलने वाले सर्वे काम
- समेकित बाल विकास परियोजना तहत संचालित विभिन्न प्रकार की योजनाओं से संबंधित रजिस्टर बनाना, डाटा बनाना, सर्वे करना आदि.
कुल बकाया मानदेय : 238 करोड़ रुपये
बकाया राज्यांश (रुपये में)
सेविका
- एक माह का बकाया : 19.2 करोड़
- तीन माह का बकाया : 57.6 करोड़
सहायिका
- एक माह का बकाया : 11.71 करोड़
- तीन माह का बकाया : 35.13 करोड़
बकाया केंद्रांश (रुपये में)
सेविका
- एक माह का बकाया : 17.28 करोड़
- छह माह का बकाया : 103.68 करोड़
सहायिका
- एक माह का बकाया : 6.91 करोड़
- छह माह का बकाया : 41.47 करोड़
सेविकाओं को मिलने वाला मानदेय (रुपये में)
पदनाम | संख्या | मानदेय | केंद्रांश | राज्यांश |
सेविका | 38,400 | 9500 | 4500 | 5000 |
सहायिका | 38,400 | 4500 | 1800 | 3050 |
- राज्य में कुल आंगनबाड़ी केंद्र : 38,400
- किस उम्र के बच्चे पढ़ते हैं : 3-6 वर्ष
- कुल अध्ययनरत बच्चे : 21 लाख से अधिक
- निबंधित धातृ एवं गर्भवती महिलाएं : 30 लाख
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