Ranchi : झारखंड में हाल के दिनों में चिकित्सकों पर हो रहे हमले को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) और झारखंड स्वास्थ्य सेवा संघ (झासा) के संयुक्त आह्वान पर राज्य भर के चिकित्सकों ने स्वास्थ्य सेवाओं को ठप कर दिया है. हालांकि इमरजेंसी सेवा और इंडोर में भर्ती मरीजों के इलाज को हड़ताल से बाहर रखा गया है. एक दिवसीय कार्य बहिष्कार की शुरुआत बुधवार की सुबह 6 बजे से शुरू हो गयी है. जो गुरुवार की सुबह 6 बजे तक रहेगी. एसोसिएशन के सदस्यों ने रिम्स, सदर अस्पताल और निजी अस्पतालों में पहुंचकर ओपीडी को बंद कराया और रिमसोनियन हॉल के समक्ष धरने पर बैठ गये. (पढ़ें, डॉक्टरों के कार्य बहिष्कार से चिकित्सा व्यवस्था चरमराई, तस्वीरों में देखें कैसे हलकान हैं मरीज)
23 राज्य में मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू तो फिर झारखंड में क्यों नहीं
आईएमए के सचिव डॉ प्रदीप कुमार सिंह ने कहा कि चिकित्सकों पर हो रहे हमले को लेकर पूरे चिकित्सक समाज में आक्रोश है. राज्य में विकट परिस्थिति बन गयी है. हजारीबाग, पेटरवार, गोड्डा, लोहरदगा, गढ़वा और रांची में भी हाल के दिनों में चिकित्सकों के साथ मारपीट की घटनाओं को अंजाम दिया गया है. हड़ताल करने की हमारी मंशा नहीं है. लेकिन जब सरकार ने चिकित्सकों का सुद नहीं लिया तब मजबूरन हमें ऐसा कदम उठाना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि जब 23 राज्यों में मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू है तो फिर झारखंड में क्यों नहीं? डॉ प्रदीप ने कहा कि यदि ऐसी स्थिति बनी रही तो भविष्य में राज्य भर की चिकित्सा व्यवस्था ठप हो जायेगी.
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झारखंड की कानून व्यवस्था भगवान भरोसे
आईएमए विमेंस विंग की राष्ट्रीय सह अध्यक्ष डॉ भारती कश्यप ने कहा कि हमारी मांगों को वर्षों से सरकार अनुसना कर रही है. राजधानी रांची में चिकित्सक पर हमला हुआ है. ऐसे में समझा जा सकता है कि झारखंड की सुरक्षा व्यवस्था कैसी है. धनबाद के डॉक्टर दंपत्ति हाजरा और रिम्स के चिकित्सक डॉ सौरभ की मौत के बाद सरकार से आर्थिक सहयोग करने की भी मांग की गयी थी. लेकिन सरकार ने इस पर संज्ञान नहीं लिया है.
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भयभीत वातावरण में काम करने को मजबूर हैं डॉक्टर
रिम्स टीचर एसोसिएशन के डॉ प्रभात कुमार ने कहा कि आईएमए के आह्वान पर हमारे संघ ने भी कार्य बहिष्कार को समर्थन दिया है. सालों से इस राज्य के डॉक्टर भयभीत वातावरण में काम कर रहे हैं. वहीं आईएमए के अध्यक्ष डॉ शंभू प्रसाद सिंह ने कहा कि डॉक्टरों के साथ मारपीट की घटनाएं लगातार बढ़ रही है. 15 दिन के अंदर डॉक्टरों के साथ ऐसी 7-8 घटनाएं हुई है. ऐसे वातावरण में हम चिकित्सक असहज हैं. मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट की मांग लंबे समय से हो रही है. लेकिन सरकार को हमारी परवाह नहीं है. मजबूरन हम सभी को कार्य बहिष्कार करना पड़ रहा है.
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चिकित्सकों की मांगों पर अमल करें सरकार
रिम्स जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ जयदीप चौधरी ने कहा कि आईएमए के आह्वान को हमारे एसोसिएशन ने भी समर्थन दिया है. हाल के दिनों में चिकित्सकों के साथ कई बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया गया है. सरकार हमारी मांगों को सुने और इस पर अमल करे.
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इधर चिकित्सकों के कार्य बहिष्कार से हलकान है मरीज
देवघर से आये मरीज बालेश्वर यादव के परिजन बबलू ने कहा कि अपने दादा को मनोचिकित्सक से दिखाने के लिए रिम्स आये थे. रात भर का सफर करने के बाद रिम्स पहुंचने के पर मालूम चला कि आज डॉक्टर इलाज नहीं करेंगे. इससे परेशानी बढ़ी है.
वहीं जमशेदपुर से आये राजा राम ने कहा कि 5 साल के बेटे रोहित के बाएं हाथ में ट्यूमर हो गया है. बच्चे की इलाज के लिए रिम्स आया था, लेकिन यहां पहुंचने पर पता चला कि आज डॉक्टर इलाज नहीं करेंगे.
बिहार के मुंगेर हवेली खड़गपुर से आए महेश प्रसाद साहू ने कहा है कि अपने 16 वर्षीय बेटे आशु को चर्म रोग विशेषज्ञ से दिखाने आये थे, लेकिन यहां आने पर पता चला है कि आज इलाज नहीं होगा. खुले आसमान के नीचे इस उम्मीद में बैठा हूं कि कोई डॉक्टर को रहम आ जाये और वह मेरे बच्चे का इलाज कर दे.
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