- मनिका में पांच साल से मजदूरों को नहीं मिला बेरोजगारी भत्ता
- मामला कोर्ट में जाने के बाद दोषियों पर सर्टिफिकेट केस दर्ज
- बेरोजगारी भत्ता का 2 लाख 73 हजार 463 रुपये बकाया
Ranchi: सरकारी सिस्टम में बैठे अधिकारी सुसज्जित मंचों से मजदूरों को कानूनी अधिकार दिलाने की बात करते हैं. लेकिन धरातल पर ऐसा होता नहीं दिखता. मनरेगा योजना के तहत निबंधित मजदूरों को काम मांगने पर समय पर काम नहीं दिया दिया जाता. मनरेगा नियमों के तहत जिन मजदूरों को काम नहीं मिलता उन्हे बेरोजगारी भत्ता देने का प्रावधान है. लेकिन प्रशासन का रवैया इस मामले उदासीन ही दिखता है. ताजा मामला लातेहार जिले के मनिका प्रखंड से जुड़ा है जहां 256 मजदूरों को पांच वर्षों से बेरोजगारी भत्ता नहीं मिला है. जिसे लेकर अब उन्होंने झारखंड हाईकोर्ट से न्याय की गुहार लगायी है.
दोषी रोजगार सेवकों पर सर्टिफिकेट केस
मनिका प्रखंड के 256 मजदूरों का मानदेय पिछले पांच सालों से बकाया है. यह राशि 2 लाख 73 हजार 463 रूपये है. झारखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर किये जाने के बाद लातेहार जिला प्रशासन सक्रिय हुआ. इसके बाद दोषी रोजगार सेवकों पर सर्टिफिकेट केस दर्ज किया गया है.
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सितंबर 2017 से मजदूरों को नहीं दिया गया काम
बता दें कि सितंबर 2017 से इन मनरेगा मजदूरों को काम नहीं दिया गया है. मनरेगा के प्रावधान के तहत ये सभी 256 मजदूर बेरोजगारी भत्ता के हकदार हैं. इन मजदूरों ने कई बार प्रशासन से काम मांगा. जिसके बाद प्रशासन उन्हें काम देने में विफल रहा. इसके बाद मजदूरों ने दस्तावेजों के साथ बेरोजगारी भत्ते का दावा कर दिया. जिसपर जिले के उप विकास आयुक्तों ने इसपर दोषी कर्मियों से राशि वसूली कर मजदूरों को भुगतान करने का निर्देश दिया. लेकिन कर्मियों ने उच्चाधिकारियों से पैरवी कर मामले को अधर में लटका दिया. जिसके बाद मजदूरों ने हाईकोर्ट से न्याय की गुहार लगायी है.
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