Shruti Singh
Ranchi: झारखंड में डायन बिसाही का आरोप लगा महिलाओं की हत्या का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. वर्ष 2015 से 31 मई 2023 तक राज्य भर में 271 महिलाओं की हत्या डायन-बिसाही का आरोप कर की गई है. अंधविश्वास के चक्कर में फंस कर ज्यादातर मामलों में सगे-संबंधियों ने ही अपनों की जान ले ली है. कुछ मामलों में तो जमीन कब्जा करने के चक्कर में महिला पर डायन बिसाही का आरोप लगा हत्या कर दी गयी है. ऐसा भी नहीं है कि प्रशासन ऐसे मामलों में कार्रवाई नहीं करता. प्रशासन आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजता है, लोगों के बीच जगारुकता अभियान भी चलाता है. लोगों को अंधविश्वास से दूर रहने की सलाह दी जाती है. लेकिन राज्य के ग्रामीण इलाकोें में सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद डायन बिसाही का आरोप लगा महिलाओं की हत्या के मामले कम नहीं हो रहे हैं. डायन बिसाही हत्याकांड में गांव के लोग या रिश्तेदार ही शामिल होते हैं. डायन हत्या के मामलों में भी 99% गिरफ्तारी पुलिस करती है, लेकिन इस तरह के हत्या के मामले कम होने का नाम नहीं ले रहे.
आठ वर्ष में 271 हत्याएं
वर्ष 2015: 46
वर्ष 2016: 39
वर्ष 2017: 42
वर्ष 2018: 25
वर्ष 2019: 27
वर्ग 2020: 28
वर्ष 2021: 22
वर्ष 2022: 32
वर्ष 2023 में 31 मई तक: 10
झोलाछाप डॉक्टरों और ओझा-गुणी के चक्कर में फंसते हैं लोग
झारखंड के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले ज्यादातर लोग किसी बीमारी के फैलने की स्थिति में पहले नीम-हकीम या ओझा के पास जाते हैं. जब झोलाछाप डॉक्टरों और ओझा से कुछ नहीं हो पाता, तब वह आस पड़ोस की किसी महिला को इसके लिए जिम्मेदार बताते हुए उसे डायन करार दे देते हैं. मौजूदा समय में गांवों में स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर नहीं हैं और ऐसी स्थिति में डॉक्टर और ओझा ही लोगों का सहारा हैं. ओझा की ओर से डायन करार दी गई महिला का उत्पीड़न शुरू होता है और कई बार लोग उनकी हत्या तक कर देते हैं. लोग अंधविश्वास के चक्कर में फंस कर अपनों की जान ले लेते हैं. घर के किसी सदस्य के बार-बार बीमार पड़ने, बुखार आने, पेट में दर्द होने, खाना न खाने, रात में रोने, नींद न आने, गांव में फसल कम होने, पानी कम गिरने या अधिक गिरने, जानवरों की तबीयत खराब होने पर यह मान लेते हैं कि किसी की नजर लगी है या किसी ने जायन बिसाही कर दी है. और फिर शुरू हो जाता महिलाओं की प्रताड़ना का सिलसिला और हत्या तक कर दी जाती है.