Saurav Singh
Ranchi : झारखंड के विभिन्न जिलों में पिछले ढाई साल के दौरान आर्म्स एक्ट के 2742 मामले दर्ज हुए हैं. जिनमें से सिर्फ 1644 मामले में ही झारखंड पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की है. सीआईडी के आंकड़े के मुताबिक, झारखंड में साल 2021 में 964, 2022 में 228 और 2023 में जून महीने तक 730 मामले आर्म्स एक्ट के दर्ज किये गये हैं. चार्जशीट की बात करें तो साल 2021 में 758, 2022 में 663 और 2023 में 243 मामले में ही झारखंड पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की है. (पढ़ें, जेसोवा दीवाली मेला का पोस्टर रिलीज, 2 से 6 नवंबर तक लगेंगे 200 से ज्यादा स्टॉल)
जाने किस जिले में कितने आर्म्स एक्ट के मामले दर्ज और कितने में चार्जशीट दाखिल
जिला | मामले | चार्जशीट |
धनबाद | 27 | 176 |
गिरिडीह | 59 | 31 |
हजारीबाग | 122 | 47 |
जमशेदपुर | 219 | 171 |
पलामू | 158 | 46 |
रांची | 365 | 203 |
साहिबगंज | 145 | 60 |
दुमका | 43 | 09 |
चाईबासा | 111 | 75 |
बोकारो | 93 | 62 |
लातेहार | 119 | 72 |
जामताड़ा | 08 | 07 |
सरायकेला | 68 | 53 |
सिमडेगा | 24 | 23 |
रेल धनबाद | 04 | 01 |
रेल जमशेदपुर | 02 | 02 |
देवघर | 194 | 93 |
गोड्डा | 90 | 81 |
गुमला | 122 | 87 |
लोहरदगा | 54 | 36 |
चतरा | 99 | 69 |
गढ़वा | 132 | 82 |
कोडरमा | 55 | 34 |
खूंटी | 119 | 77 |
रामगढ़ | 60 | 41 |
पाकुड | 09 | 06 |
कुल | 2722 | 1644 |
हथियार के सौदागरों ने कई छोटे-बड़े शहरों में बनाया अपना ठिकाना
अवैध हथियारों का निर्माण अब बिहार के मुंगेर तक ही सीमित नहीं रहा है. पहले मुंगेर के बने हथियार के लिए झारखंड एक बड़ा बाजार हुआ करता था. लेकिन अब पुलिस की दबिश से हथियार के सौदागरों ने कई छोटे-बड़े शहरों में अपना ठिकाना बना लिया है. हथियार तस्कर अब सीधे हथियार ना बनाकर उनके पार्ट्स का निर्माण कर रहे हैं और पार्ट्स को ही अपराधियों और नक्सलियों तक पहुंचा रहे हैं. इन पार्ट्स को हथियार तस्करों का एक एक्सपर्ट हथियार के रूप में तब्दील कर देता है.
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जानिए आर्म्स एक्ट मामले में क्या है सजा:
आर्म्स एक्ट की धारा 25 के तहत (अवैध हथियारों का निर्माण करने, बिक्री करने, मरम्मत करने या उन्हें रखने के लिए) न्यूनतम सजा 14 वर्ष व अधिकतम सजा के तौर पर ताउम्र जेल में रहने का प्रावधान है. जो पहले न्यूनतम सात वर्ष व अधिकतम 14 वर्ष थी. आर्म्स एक्ट की धारा 25 (6) को भी संशोधित प्रस्ताव में शामिल किया गया है. जिसमें किसी संगठन के सदस्य द्वारा प्रतिबंधित हथियार का इस्तेमाल करने पर न्यूनतम 10 साल व अधिकतम सजा के तौर पर उम्रभर जेल में रहने का प्रावधान है. साथ ही संशोधन में प्रतिबंधित हथियार या उसके पुर्जे आयात करने, बेचने या खरीदने को अवैध व्यापार की श्रेणी में रखा गया है. इन हथियारों की मार्किंग में छेड़छाड़ करने वाले शस्त्र विक्रेता को 7 साल जेल की सजा देने का प्रावधान है.
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