Palamu : मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (MMCH) के एमबीबीएस 2022 बैच के करीब 30 छात्र परीक्षा में फेल हो गए हैं. इस बैच में कुल लगभग 100 छात्र नामांकित हैं. फाइनल परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद इन छात्रों को तीसरे वर्ष में प्रवेश मिलना था. लेकिन यूनिवर्सिटी की कथित लापरवाही ने उनके भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
MMCH नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित होता है. परीक्षा परिणाम जारी होते ही विश्वविद्यालय परिसर में हंगामा मच गया. छात्रों का आरोप है कि वे किसी भी तरह से फेल नहीं हुए हैं. बल्कि विश्वविद्यालय की चूक के कारण उन्हें असफल घोषित किया गया है.
इंटरनल के नंबर चढ़ा दिए, प्रैक्टिकल के अंक गायब
छात्रों के अनुसार, एमबीबीएस 2022 बैच के विद्यार्थियों ने फार्माकोलॉजी, पैथोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी विषयों की परीक्षा दी थी. एमबीबीएस परीक्षा प्रणाली में थ्योरी पेपर-1 और पेपर-2 के साथ-साथ प्रैक्टिकल परीक्षा के अंक जोड़े जाते हैं.
लेकिन यूनिवर्सिटी द्वारा जारी फाइनल टेबुलेशन शीट में प्रैक्टिकल परीक्षा के अंकों की जगह मेडिकल कॉलेज के इंटरनल असेसमेंट के अंक जोड़ दिए गए. इंटरनल असेसमेंट केवल परीक्षा में बैठने की पात्रता तय करने के लिए होता है. इसे अंतिम परिणाम में नहीं जोड़ा जाता. इस गंभीर त्रुटि के कारण 30 छात्रों को फेल घोषित कर दिया गया.
छात्रों का भविष्य दांव पर
छात्रों का कहना है कि यदि समय रहते सुधार नहीं किया गया तो उनका एक पूरा वर्ष बर्बाद हो जाएगा. बताते चलें कि नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय पूर्व में भी परीक्षा परिणाम, मूल्यांकन में गड़बड़ी और प्रशासनिक लापरवाहियों को लेकर चर्चा में रहा है. इसके बावजूद सुधार की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए.
ताजा मामले में एक बार फिर विश्वविद्यालय की गंभीर चूक सामने आई है. इस चूक से मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज के एमबीबीएस छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है. छात्रों का कहना है कि यदि समय रहते गलती में सुधार नहीं किया गया, तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे.
विश्वविद्यालय प्रशासन पर उठे सवाल
इस पूरे मामले ने नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय की परीक्षा व्यवस्था और मूल्यांकन प्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं. छात्र संगठनों ने भी इस लापरवाही की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है और चेतावनी दी है कि यदि जल्द समाधान नहीं हुआ तो आंदोलन किया जाएगा. फिलहाल छात्र न्याय की उम्मीद में विश्वविद्यालय के चक्कर काटने को मजबूर हैं. वहीं प्रशासन की ओर से अब तक कोई स्पष्ट जवाब सामने नहीं आया है.

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