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33 कोरवा आदिम जनजाति परिवारों को मृत बताकर राशन कार्ड कर दिया डिलीट, 15 महीने से नहीं मिला राशन

Pravin Kumar Ranchi/Garhwa: राज्य में जरूरतमंदों का राशन कार्ड रद्द करने का मामला वर्तमान सरकार में चल रहा है. ताजा मामला गढवा जिले के बड़गड़ प्रखण्ड के टेहरी पंचायत का है. हेसातु और कोरवाडीह गांव के 33 आदिम जनजाति परिवारों को नवंबर 2020 से राशन नहीं दिया जा रहा है. जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने पी0 यू0 सी0 एल0 बनाम भारत सरकार, याचिका संख्या 196/2001 के मामले में 2 मई 2003 के आदेश में सरकार को यह निर्देश दिया गया है. सभी आदिम जनजाति परिवारों को अंत्योदय योजना में शामिल करें. इसके बावजूद आदिम जनजातियों के राशन को डिलीट कर दिया गया है. इसे भी पढ़ें-मैथन">https://lagatar.in/martyrdom-day-of-gandhiji-was-celebrated-in-male-office-at-maithon-mor/">मैथन

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वहीं मामला प्रकाश में आने के बाद मंत्री चंपाई सोरेन ने डीसी गढ़वा को ट्वीट कर पीड़ितों को अविलंब सहयोग का निर्देश दिया है.

कहा है गढ़वा जिले का हेसातु और कोरवाडीह

गढ़वा जिले का हेसातु और कोरवाडीह गांव बड़गड़ प्रखंड के टेहरी पंचायत में स्थित है. प्रखंड मुख्यालय से गांव की दूरी करीब 22 किलोमीटर है. यह गांव झारखंड-छत्तीसगढ़ की सीमा के नजदीक है. यह इलाका नक्सलियों का गढ़ माने जाने वाले बूढ़ा पहाड़ की तलहटी में बसा है. इन दोनों गांव में आदिम जनजाति कोरवा के 52 परिवार, दो साहू एवं 7 परिवार बिन्द अनुसूचित जाति के लोग निवास करते हैं. गांव में मनरेगा जैसी योजना का कोई आता पता नहीं है. न कोई सरकारी अधिकारी गांव जाते है. जबकि नक्सली गतिविधियों पर रोक लगाने के लिये गांव और पास पुलिस पिकेट मौजूद है. इसके बावजूद सरकार अपनी विकास योजना को गांव तक नहीं पहुंचा पा रही है. नतीजा सरकारी योजनाओं से आदिम जनजाति परिवारों को महरूम रहना पड़ता है. https://lagatar.in/wp-content/uploads/2022/01/1-57.jpg"

alt="" width="674" height="982" /> https://lagatar.in/wp-content/uploads/2022/01/2-50.jpg"

alt="" width="681" height="895" /> पीड़ित ग्रामीणों की ओर से प्रशासन को दिया गया आवेदन

क्या है पूरा मामला

गढवा जिले के बड़गड़ प्रखंड के टेहरी पंचायत के हेसातु और कोरवाडीह गांव के 33 आदिम जनजाति कोरवा परिवारों को मृत बताकर पिछले साल नवंबर 2020 से जनवरी 2022 तक यानी कुल 15 महीने का कुल राशन 17,325 किलोग्राम का घोटाला किया गया. इनमें चीनी 495 किलोग्राम, नमक 495 किलोग्राम और 495 लीटर किरासन तेल नहीं दिया गया है. ताज्जुब ​की बात है कि जिनको मृत बताया गया वे सभी परिवार जीवित हैं, सभी परिवारों के पास अंत्योदय कार्ड है. सभी के राशन कार्ड में वर्ष 2020 का अक्टूबर माह तक का राशन दर्ज है. गांव के तिरपन कोरबा ने कहा कि पिछले 15 महीनों से हम लोगों को राशन नहीं मिला है. वहीं गांव के दूसरे लोगों का कहना है कि सरकार हमें मृत बताकर राशन कार्ड डिलीट कर दिया है. इसे भी पढ़ें-जमशेदपुर">https://lagatar.in/jamshedpur-police-admitted-deranged-girl-to-mgm-hospital-injury-marks-on-face-and-body/">जमशेदपुर

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आदिम जनजाति को मृत बताकर बंद या रद्द कर दिया गया राशन कार्ड

प्राप्त सूचना के अनुसार, ग्राम हेसातु, पंचायत टेहरी, प्रखंड बड़गड़ के 33 आदिम जनजाति पररवारों को पिछले 15 माह से AAY कार्ड रहते हुए मृत बताकर राशन बंद कर दिया गया है. इनमें हेसातु के 25 परिवार और कोरवाडीह के 8 परिवार शामिल हैं.

मामला सामने आने के बाद मंत्री चंपाई सोरेन ने किया ट्वीट

मंत्री चंपाईं सोरेन ने गढ़वा डीसी को ट्वीट कर पीड़ितों को अविलंब सहयोग करने का निर्देश दिया है. लेकिन सवाल यह उठता है की आखिर बिना किसी कारण के कैसे आदिम जनजातियों का राशन कार्ड मृत बता कर रद्द किया गया. इस पूरे मामले में दोषी कौन-कौन हैं. सरकार उन पर क्या कार्रवाई करती है.

क्या कहते हैं प्रखंड विकास पदाधिकारी बड़गड़

बरगढ़ प्रखंड के बीडीओ से जब इस मामले में सवाल किया गया तो उन्होंने लगतार न्यूज को बताया कि गांव के कुछ कोरबा परिवारों का ग्रीन राशन कार्ड बना है. आदिम जनजाति परिवार का राशन कार्ड क्रॉस किया हुआ है. अगर उनका राशन कार्ड डिलीट हो गया है, तब चावल उन्हें नहीं मिलेगा. उन्होंने यह भी कहा राशन कार्ड डिलीट हुआ होगा तभी ग्रीन राशन कार्ड बन रहा है. इस पूरे मामले में शिकायत दर्ज कराया गया है. जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है. इसे भी पढ़ें-फुरकान">https://lagatar.in/furkan-said-rpn-cut-my-ticket-for-lok-sabha-how-will-i-leave-them-irfan-said-minister-should-be-changed-in-two-and-a-half-years-watch-video/">फुरकान

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