- 20 प्रशिक्षुओं पर महज एक मशीन संचालित
- 19 प्रशिक्षु खड़े होकर लेते हैं ज्ञान, 84 वर्षों में नहीं बदली गईं मशीनें
- वर्ष 1972 के बाद 1992 में दी गई दर्जन भर नई मशीनें
Pramod Upadhyay
Hazaribagh : हजारीबाग आईटीआई कॉलेज (औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान) हजारीबाग में प्रशिक्षुओं का भविष्य कैसे संवरेगा, इसके लिए प्रबंधन भी चिंतित है. दरअसल यहां स्थापना काल के वक्त ही वर्ष 1959 और 1972 की लेथ मशीनें अब भी संचालित है. इनमें महज एक मशीन काम करती है. 20-20 विद्यार्थियों के बैच को यहां ट्रेनिंग दी जाती है. इनमें एक मशीन पर एक विद्यार्थी काम करता है और शेष 19 प्रशिक्षु उन्हें देखकर ही ज्ञान अर्जित करने को विवश है. कुल 24 मशीनें काम के लायक हैं, जो ट्रेनिंग के लिए पर्याप्त नहीं है. वहीं शिक्षकों की भी काफी कमी है. स्वीकृत पद के विरुद्ध एक चौथाई शिक्षक हैं. ऐसे में विद्यार्थी तकनीकी रूप से कैसे दक्ष होंगे, यह बड़ा सवाल है.
700 प्रशिक्षुओं पर महज 10 शिक्षक
यहां फर्स्ट और सेकंड ईयर के करीब 700 छात्र आईटीआई की ट्रेनिंग ले रहे हैं. यहां शिक्षकों का भी घोर अभाव है. यहां पहले 16 शिक्षक कार्यरत थे. इनमें छह शिक्षकों को अन्यत्र प्रतिनियोजन पर भेज दिया गया. अब इस कॉलेज में मात्र 10 शिक्षक के भरोसे ही आईटीआई केंद्र संचालित है.
यहां विभिन्न तकनीकों का मिलता है प्रशिक्षण
यहां इलेक्ट्रिशियन, फीटर, वायरमैन, इलेक्ट्रॉनिक्स, मैकेनिक, मशीनिष्ट, एमएमवी, आईटी और टर्नर के दो वर्ष के कोर्स कराए जाते हैं. वहीं कोपा, फाउंड्रीमैन, वेल्टर और शीट मेटल वर्कर एलओटी टेक्नीशियन के लिए एक वर्ष के कोर्स निर्धारित हैं. इसके अलावा छह माह का ड्रोन का कोर्स कराया जाता है. साथ ही वेल्डर, प्लंबर, फैशन डिजाइनिंग एंड टेक्नोलॉजी, फूड एंड वेजिटेबल प्रोसेसिंग समेत सालभर के कई कोर्स कराए जाते हैं.
40 शिक्षकों की जरूरत, भवन का भी अभाव : प्रभारी
आईटीआई कॉलेज के प्रभारी इम्तियाज आलम ने बताया कि यहां शिक्षकों का अभाव है. यहां कम से कम 40 शिक्षकों की आवश्यकता है. लेकिन मात्र 10 शिक्षक कार्यरत हैं. मशीनें भी सरकार की दी हुई है. 1959 एवं 1972 की कुछ मशीनें हैं. वर्ष 1992 में 12 लेथ मशीन मिली है. इनमें आठ मशीनें ही संचालित है. कुल 24 मशीन ही चालू हालत में है. आईटीआई कॉलेज में भवन का भी घोर अभाव है. वर्कशॉप में ही पढ़ाई से लेकर प्रैक्टिकल तक कराई जाती है.
‘शुभम संदेश’ में खबर छपी, तो चकाचक हो गया हॉस्टल
आईटीआई के कई छात्रों ने बताया कि पिछली बार ‘शुभम संदेश’ ने आईटीआई कॉलेज के हॉस्टल की खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था. कुछ माह के बाद भवन की मरम्मत शुरू हो गई. अब रहने में कोई खतरा नहीं है. भवन चकाचक हो गया. दीवारों के रंगरोगन से लेकर फर्श पर टाइल्स भी लगा दिए गए. बस इतनी परेशानी रह गई कि एक कमरे में चार छात्रों की रहने की जगह पर सात छात्रों को रखा जा रहा है. इसे पढ़ने में काफी दिक्कत होती है और क्लास में भी पढ़ाई नहीं के बराबर होती है.