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50 लाख करोड़ का बजट, 15.68 लाख करोड़ कर्ज, 12.76 लाख करोड़ ब्याज

SURJIT SINGH केंद्रीय बजट अच्छा है. सरकार कह रही - बहुत अच्छा है. विपक्ष कह रहा - कुछ खास नहीं. इनकम टैक्स में राहत की चर्चा खूब है. नौकरीपेशा खुश हैं. पर, जरा रूकिये, बजट की जो सबसे बड़ी बातें हैं, उसके 3 महत्वपूर्ण तथ्य हैं. पहली- इस बार का बजट 50.65 लाख करोड़ का है. पिछले साल का बजट 47 लाख करोड़ का था. दूसरी - पैसे कहां से आएंगे. अन्य श्रोतों के अलावा सरकार 15.68 लाख करोड़ रुपये कर्ज लेगी. तीसरी- पैसा खर्च कहां होगा. अन्य कामों के अलावा 12.76 लाख करोड़ रुपया ब्याज के रुप में चुकायेगी. यानी कुल बजट का करीब 25 प्रतिशत राशि. पिछले साल 11.37 लाख करोड़ रुपया ब्याज चुकाने पर खर्च हुआ था. सबसे बड़ा सवाल यह है कि 50 लाख करोड़ आएंगे कहां से. 15.68 लाख करोड़ रुपया का कर्ज बढ़ा करके आयेगी. 58 हजार करोड़ रुपया कंपनियों के शेयर या कंपनियों की संपत्ति को बेच कर जुटाया जायेगा और 28.37 लाख करोड़ रुपया टैक्स से आएंगे. इसमें इनकम टैक्स, कॉरपोरेट टैक्स और इंडाइरेक्ट टैक्स शामिल हैं. जीएसटी समेत तमाम तरह के टैक्स इंडाइरेक्ट टैक्स के दायरे में आते हैं. इस तरह 50 लाख करोड़ की बजट में 44.63 लाख करोड़ रुपया कर्ज, संपत्ति बेचकर और टैक्स से सरकार को मिलेगा. बाकी 5.37 लाख करोड़ रुपया आरबीआई, सरकार बैंक व सरकारी कंपनियों की कमाई से होगी. अब यह समझ लीजिये कि 50 लाख करोड़ रुपये खर्च कहां होंगे. बजट की भाषा में कैपिटल इंवेस्टमेंट, यानी पुल, पुलिया, भवन, अस्पताल, सड़क आदि के निर्माण पर 11.21 लाख करोड़ रुपया खर्च होगा. जबकि 39.44 लाख करोड़ रुपया वो खर्च हैं, जिसे सरकार को देना ही हैं. इसमें सरकार चलाने का खर्च, वेतन, पेंशन आदि पर खर्च और ब्याज चुकाने पर होने वाले खर्च शामिल हैं. आंकड़े के मुताबिक, पेंशन पर सरकार 2.76 लाख करोड़ खर्च होंगे. डिफेंस पर 2.82 लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे, सब्सिडी पर सरकार के पहले इतना ही 4.72 लाख करोड़ खर्च होंगे. ब्याज चुकाने पर 12.76 लाख करोड़ खर्च होंगे. जबकि गांवों में विकास पर 1.90 लाख करोड़ रुपये और स्वास्थ्य पर 98 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे. कुल मिलाकर सरकार जिस तरह कर्ज ले रही है. वह एक चिंताजनक पहलू है. आंकड़ों की बाजीगरी के बीच सरकार की आर्थिक स्थिति को बताने के लिए यह तथ्य महत्वपूर्ण है कि बजट का करीब 25 प्रतिशत राशि सिर्फ ब्याज चुकाने पर खर्च हो रहा है और सरकार जितना कर्ज ले रही है, उसका बड़ा हिस्सा ब्याज चुकाने में ही खर्च हो जायेगा. [wpse_comments_template]  

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