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झारखंड में मलेरिया के 52 प्रतिशत मरीज सिर्फ दो जिले में

Shakeel Akhter Ranchi : झारखंड में मलेरिया के कुल मरीजों में से 52 प्रतिशत मरीज़ सिर्फ दो जिलों में हैं. इन जिलों में पूर्वी सिंहभूम और पश्चिम सिंहभूम का नाम शामिल है. जामताड़ा में मलेरिया के मरीजों की संख्या सबसे कम पायी गयी है. देवघर में मलेरिया के सिर्फ 13 मरीज़ पाये गये हैं.  राज्य मे मलेरिया के बाद दूसरी सबसे बड़ी बीमारी कुत्तों का काटना है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार हर 100 में से 28 मरीज कुत्ता काटने का होता है. इसके अलावा 100 में तीन मरीज सांप काटने के भी पाये जाते हैं. राज्य में वर्ष 2024 में जांच के दौरान मलेरिया के कुल 17,273 मरीज पाये गये. सरकार द्वारा एकत्रित जिलावार मलेरिया का आंकड़ों के अनुसार मलेरिया का सबसे ज्यादा प्रकोप पूर्वी सिंहभूम और पश्चिम सिंहभूम में पाया गया है.  पूर्वी सिंहभूम में मलेरिया के 4727 और पश्चिम सिंहभूम में 4368 मरीज पाये गये हैं. मलेरिया प्रभावित इन दो जिलों में मलेरिया के कुल 9095 मरीज हैं. यह राज्य में मिले मलेरिया के कुल मरीजों का 52.65 प्रतिशत है. 

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राज्य के चार जिलों में मलेरिया के सबसे कम मरीज पाये गये. इन जिलों में देवघर, जामताड़ा, धनबाद और कोडरमा का नाम शामिल है.  मलेरिया के बाद राज्य में कुत्ता काटने से प्रभावित लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार राज्य में 100 में से 37 मरीज मलेरिया के और 28 मरीज कुत्ता काटने से पीड़ित पाये जाते हैं.  कुत्तों के काटने ने रैबीज नामक बीमारी होती है. रैबीज का लक्षण दिखने में कभी कभी महीनों का समय लगता है. रैबीज से मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डियां प्रभावित होती है. रैबीज जान लेवा बीमारी है.  रैबीज होने के बाद इसका कोई इलाज नहीं है. कुत्तों के काटने के बाद रैबीज से बचने के लिए इंजेक्शन (एंटी रैबीज) लगाया जाता है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार राज्य में 100 में से 10 मरीज टॉईफायड के और 9 मरीज इंफ्लूएंजा के पाये जाते हैं.

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