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मार्च 2021 तक करना था 66 जलापूर्ति योजनाओं को पूरा, काम अब तक अधूरा, कैसे मिलेगा पानी

Ranchi : पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने 172 सरफेस वाटर आधारित जलापूर्ति योजनाओं पर काम शुरू कर दिया है. यह सभी योजनाएं स्टेट प्लान, वेलफेयर डिपार्टमेंट, एनआरडब्ल्यूपी और डीएमएफटी के तहत ली गई हैं. 2021 मार्च तक 46 और 2020 दिसंबर तक 20 योजनाओं को पूरा करने का लक्ष्य था. मार्च 2021 तक कुल 66 जलापूर्ति योजनाओं को पूरा हो जाना था. जिसमें एक दर्जन योजना चालू नहीं हो पायी. पेयजल विभाग के इंजीनियरों ने जहां सरफेस वाटर आधारित जलापूर्ति योजना का चयन किया, वहां जलापूर्ति के लिए पर्याप्त पानी ही नहीं है. जल संकट की स्थिति सरफेस वाटर आधारित जलापूर्ति योजना के लिए परेशानी बन सकती हैं.

44.45 लाख लोगों को मिलेगा 172 योजना से पानी

पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा सरफेस वाटर आधारित 172 जलापूर्ति योजना को स्वीकृति मिली है. इन योजनाओं पर 4 हजार 706 करोड़ रूपए खर्च होंगे. योजनाओं से राज्यभर में 44 लाख 45 हजार लोगों को शुद्ध पीने का पानी उपलब्ध कराने का लक्ष्य है. एक ओर प्रदेश में सरफेस वाटर की कमी है, ऐसे में इन योजनाओं से लोगों को पर्याप्त पानी मिल पाएगा, इस सवाल का जबाब जिम्मेदारों के पास नहीं है.

मॉनसून के समय 80 प्रतिशत सरफेस वाटर हो जाता है बेकार

प्रदेश में 25876 एमसीएम सरफेस वाटर की उपलब्धता है. 23800 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) सरफेस वाटर व 500 एमसीएम ग्राउंड वाटर बारिश से मिलता है. जिसमें 80% सरफेस वाटर और 74 प्रतिशत ग्राउंड वाटर बहकर बेकार चला जाता है. गर्मियों में राज्य का 80% भूभाग सूखे की चपेट में आ जाता है. पूरे प्रदेश में जल संकट की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. रांची सहित कई जिलों में डैम सूखने की कगार पर आ जाता है. ऐसे में सरफेस वाटर आधारित जलापूर्ति योजना कितनी सफल होती है, यह समय बताएगा.

तेजी से गायब हो रहा ग्राउंड व सरफेस वाटर

सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड की वार्षिक रिपोर्ट की मानें तो रांची में बड़ी ही तेजी से भूमिगत जल का दोहन हो रहा है. जिसका असर आने वाले 10 सालों में साफ तौर से देखने को मिलेगा. अभी ही गर्मी में रांची के हटिया,रूक्का व कांके डैम में जलसंकट की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. कई छोटी नदियां सूख जाती हैं. हर साल भूगर्भ जल स्तर औसतन छह फीट कम होता जा रहा है. बेहतर बारिश के बाद भी राजधानी में पानी के दोहन के प्रतिशत के हिसाब से महज 4.46 प्रतिशत पानी ही रिचार्ज हो पाता है. 80 प्रतिशत से भी अधिक बारिश का पानी सड़कों पर बह जाता है. ऐसे में सरफेस वाटर जलापूर्ति योजना का लंबे समय तक संचालन भी बड़ा सवाल है.

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