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एक साल पहले के कोरोना और आज के कोरोना की परिस्थितियों में 7 बड़े अंतर

Girish Malviya

कोरोना: करीब एक साल पहले भी देश में इस महामारी का आतंक था. एक बार फिर से हम आतंकित हैं. लेकिन एक साल पहले के कोरोना के वक्त की परिस्थितियों और आज की परिस्थितियों में बहुत अंतर है. उतना ही अंतर सरकार के स्तर पर महामारी से निपटने में भी देखने के मिल रहा है. ऐसे सात अंतर स्पष्ट दिख रहे हैं.

- पिछली बार सरकार प्रो एक्टिव नजर आ रही थी. लोगों को पकड़-पकड़ कर टेस्ट करने के लिए ले जा रही थी. इस बार नजारा बदल गया है. लोग खुद सामने आकर टेस्ट कराने को तैयार हैं. लेकिन सरकार पर्याप्त संसाधन तक उपलब्ध नही करवा पा रही है. टेस्ट कराने के लिए लोग दिन-दिन भर इंतजार कर रहे हैं.

- पिछली बार सरकार ने कोविड सेंटर्स खोले थे. क्वेरेंटाइन करने के लिए लोगो को गाड़ियों में भर-भर कर वहां भेजा जा रहा था. उनके खाने-पीने-सोने  की सारी व्यवस्था की थी. रेल के डिब्बों को कोविड सेंटर्स में बदला गया था. लेकिन इस बार कहीं से भी कोई खबर नही आ रही कि कही भी कोई भी कोविड सेंटर काम कर रहा हो. बल्कि जो कोविड सेंटर्स चालू थे. उन्हें भी एक एक कर के बंद करवा दिया गया. अब जिनके घर मे एक ही रूम है और उनके परिवार का सदस्य पॉजिटिव हो गये हैं, वे लोग पूछ रहे हैं कि हमको अलग रखने के लिये सरकार ने क्या व्यवस्था की है. सरकार के पास कोई जवाब नही है ?

- पिछली बार सरकारी अधिकारियों ने लॉकडाउन के दौरान अपने रुकने के लिए महामारी एक्ट के नाम पर शहर के बड़े-बड़े होटलों पर कब्जा जमा लिया था. बाद में जब वो होटल खाली किये गए तो बुरी हालत में ऑनर को मिले. और सबसे बड़ी बात तो यह कि आज तक होटल के मालिकों को सरकार की तरफ से कोई भुगतान नही किया गया. बिल दिए उनको महीने बीत गए हैं. शायद इसलिए ही इस बार होटल गेस्ट हाउस के अधिग्रहण का कदम अभी तक नहीं उठाया गया है.

- पिछली बार सबसे ज्यादा हल्ला वेंटिलेटर को लेकर मचाया जा रहा था. और उस हल्ले का फायदा उठाकर घटिया वेंटिलेटर की सप्लाई की गयी, जो आज बंद पड़े हुए हैं. PM केयर के फंड की रकम से गुजरात की कंपनियों से खूब वेंटिलेटर खरीदे गए और जमकर घोटाला किया गया. इस बार कोई वेंटिलेटर का नाम भी नहीं ले रहा.

- पिछली बार एक लाख तक रोज मरीज मिल रहे थे,लेकिन किसी भी हॉस्पिटल में आक्सीजन की सप्लाई को लेकर ऐसी खबरें नही आ रही थी. जैसी खबरें अब आ रही है. कई शहरों में हॉस्पिटल में आक्सीजन सप्लाई खत्म होने की कगार पर है. यहां पूरे एक साल में सरकार सोती रही. आक्सीजन सप्लाई की व्यवस्था पर कोई ध्यान नही दिया गया.

- पिछली बार सड़कों पर मच्छर मारने का धुंआ उड़ाकर कोरोना वायरस को मारने का खूब प्रयास किया गया था. लेकिन इससे कोरोना वायरस की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा. इस बार सरकार ने वैसी कोई बेवकूफी नहीं की.

- पिछली बार आपको याद होगा कि छूने से कोरोना फैलता है,यह बात को खूब फैलाया गया कई शहरों में तो सब्जियों को बिकने से रोक दिया गया था. पिछली बार तो आलू-प्याज में भी कोरोना वायरस निकल रहा था. इस बार सरकार को थोड़ी अकल आयी है. इस तरह की बेवकूफियां नहीं की जा रही. अब यह कहा जा रहा है कि यह सिर्फ सांस के जरिए फैल रहा है. छूने से नहीं फैल रहा है.

डिस्क्लेमर- यह लेखक के निजी विचार हैं.





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