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मोदी के 7 साल (2555 दिन), 682 दिन PMO से बाहर, 470 दिन देश में, 212 दिन विदेश में और 202 दिन चुनाव में

Surjit Singh
26 मई, यानी एक दिन पहले मोदी सरकार के सात साल पूरे हुए. यानी कि कुल 2555 दिन. 18 घंटे काम करने वाले मोदी इस दौरान 682 दिन दिल्ली और पीएमओ से बाहर रहे. आंकड़े बताते हैं, मोदी ने 212 विदेश यात्रा की. यानी हर 11वें दिन. मोदी ने दिल्ली से बाहर देश के दूसरे हिस्से में 470 दिन यात्रा की. यानी हर तीसरे दिन दिल्ली से बाहर देश के किसी दूसरे राज्य में पहुंचे. देश के भीतर हुई इस 470 दिन की यात्रा में से 202 दिन की यात्रा मोदी ने चुनाव प्रचार के लिए किया. हर 5वें दिन दिल्ली से बाहर, हर 11वें दिन विदेश यात्रा पर. हर साढ़े तीन दिन के बाद यात्रा पर रहें.
इस 2555 दिन में पीएम के प्रचार पर 7658 करोड़ रूपया खर्च हुआ. सबसे अधिक 1313 करोड़ रूपये का खर्च वर्ष 2017-18 में किया गया है. और सबसे कम 2019-20 में 713 करोड़ रूपये. यानी हर दिन पीएम के प्रचार पर सरकार ने तीन करोड़ रूपया खर्च किया.

वर्ष 2014-15 से लेकर वर्ष 2019-20 तक 6,83,655 करोड़ रूपये सरकारी बैंकों का लोन डूब गया. इसे ऐसे समझें, हर दिन सरकारी बैंकों ने 878 करोड़ रूपये लोन अमीरों ने लिये. भारत सरकार हर दिन अमीरों का लोन माफ करती रही 312 करोड़ रूपये. यह आंकड़ा सिर्फ सरकारी बैंकों का है. जिसे माफ किया गया. ऐसा शायद ही किसी सरकार ने पहले किया हो. प्राइवेट बैंकों के आंकड़े को जोड़ लें तो यह आंकड़ा 8.78 लाख करोड़ का हो जाता है.
भारत सरकार ने इस दौरान आरबीआई से कितना पैसा लिया. यह भी जान लें. आरबीआई से 7 साल में 5,44,732 करोड़ रूपये लिये. दिन के हिसाब से देखें तो मोदी सरकार ने आरबीआई से हर दिन 213.20 करोड़ रूपये डिविडेंट के रूप में लिये. इस देश ने आरबीआई की ऐसी स्थिति भी पहले कभी नहीं देखी.

प्रधानमंत्री ने इस दौरान 200 से ज्यादा योजनाओं का ऐलान किया. मतलब हर 11 वें दिन सरकार ने एक योजना का ऐलान किया. यह अलग बात है कि अधिकांश योजनाएं उतनी आगे नहीं बढ़ी, जितने दावे किये गये थे.
पब्लिक सेक्टर की कंपनी की बात करें तो पिछले सात साल में मोदी सरकार ने एक भी कंपनी शुरु नहीं किये. यह अलग बात है कि इस दौरान सरकार ने पब्लिक सेक्टर की 19 कंपनियों को बेच दिया. 3,29,570 करोड़ रूपये की कमाई की. यानी हर दिन सरकार ने पब्लिक सेक्टर की कंपनी को बेच कर हर दिन करीब 150 करोड़ रूपये की कमाई की.
बात बेरोजगारी और नौकरी की करें. मोदी सरकार ने हर साल दो लाख लोगों को नौकरी देने का वायदा किया था. इन साल सालों में केंद्र सरकार सिर्फ 8,87,335 नौकरी ही दे पायी.

वर्ष 2018 में 1,32,000, वर्ष 2019 में 1,18,000, वर्ष 2020 में 1,19,000 और वर्ष 2021 में 87433 लोगों को केंद्र सरकार ने नौकरी दी. शायद ही इतनी कम नौकरी किसी दूसरे प्रधानमंत्री के कार्यकाल में दी गयी. अगर इन सात सालों में राज्यों की सरकार के द्वारा दी गयी, सरकारी नौकरी के आंकड़े को देखें, तो यह आंकड़ा 38, 98,400 है. केंद्र व राज्यों की सरकार द्वारा दी गई नौकरी को देखें तो 47,85,735 नौकरी मिलती है. यह आंकड़ा नेशनल पेंशन स्कीम से पता चलता है.
बेरोजगारी की स्थिति पर बात करें तो यह भयावह है. पिछले साल करीब डेढ़ करोड़ लोगों की नौकरी खत्म हो गयी थी. जबकि इस साल 1.19 करोड़ लोगों की नौकरी खत्म हो चुकी है. जॉब लॉस के आंकड़े करीब 11 लाख है.

मोदी सरकार ने पहली कैबिनेट में ब्लैक मनी को लाने का फैसला लिया था. कहा था कि ब्लैक मनी विदेशों में रखने वालों का नाम कांग्रेस उजागर नहीं करती थी. हम उजागर करेंगे. आज तक किसी का नाम सरकार ने सामने नहीं लाया. ब्लैक मनी, नक्सलवाद-उग्रवाद-आतंकवाद खत्म करने के नाम पर सरकार ने नोटबंदी किया. लेकिन यह अब भी खत्म नहीं हुआ.

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