LagatarDesk : देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर लगातार बढ़ती ही जा रहा है. कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए कई राज्यों में आंशिक लॉकडाउन लगा दिया गया. जिसका असर देश की आर्थिक गतिविधियां पर पड़ रहा है. साथ ही अर्थव्यवस्था पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है. कोरोना के बढ़ते संक्रमण और लॉकडाउन के कारण कई लोगों की नौकरियां छीन गयी. कई लोग अपने घर चले गये. वहीं लॉकडाउन के कारण कई कारोबारियों का कारोबार पूरी तरह ठप हो गया. रोजगार जाने के कारण अप्रैल में राष्ट्रीय बेरोजगारी दर में भी वृद्धि हुई है.
शहरी क्षेत्रों में लोग सबसे अधिक हुए बेरोजगार
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन एकोनॉमी (CMIE) ने सोमवार को रिपोर्ट जारी की. रिपोर्ट में कहा गया कि लॉकडाउन के कारण 75 लाख से अधिक लोग बेरोजगार हो गये. आंकड़े के अनुसार, राष्ट्रीय बेरोजगारी दर 7.97 प्रतिशत पहुंच गयी है. मार्च में राष्ट्रीय बेरोजगारी दर 6.50 प्रतिशत थी. 1 महीने में बेरोजगारी दर में 1.47 फीसदी की बढोतरी हुई है. हालांकि ग्रामीण और शहरी इलाकों में बेरोजगारी दर अलग-अलग है. अप्रैल में शहरी इलाकों में यह दर करीब 9.78 प्रतिशत है. वहीं ग्रामीण इलाकों में 7.13 प्रतिशत है.
4 महीने की तुलना में 8 फीसदी पहुंची बेरोजगारी दर
साल 2021 में लोग सबसे अधिक बेरोजगार हुए हैं. अप्रैल महीने में बेरोजगारी दर चार महीने के उच्च स्तर पर आ पहुंच गयी. पिछले 4 महीने की तुलना में अप्रैल महीने में बेरोजगारी दर 8 फीसदी पर पहुंच गयी है.
आने वाले दिनों में बेरोजगारी दर और बढ़ने का अनुमान
CMIE के सीईओ महेश व्यास ने कहा कि आने वाले समय में भी बेरोजगारी दर बढ़ने की संभावना है. आने वाले दिनों में भी रोजगार के मोर्चे पर स्थिति चुनौतीपूर्ण बने रहने की आशंका है. उन्होंने कहा कि अप्रैल में 75 लाख लोगों की रोजगार छीन गयी. जिसकी वजह से बेरोजगारी दर बढ़ी है.
लॉकडाउन लगा तो पटरी से उतर सकती है अर्थव्यवस्था
व्यास ने कहा कि फिलहाल स्थिति उतनी बदतर नहीं है. जितनी की 2020 में लॉकडाउन थी. उस समय बेरोजगारी दर करीब 24 प्रतिशत तक पहुंच गयी थी. यदि राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लगा तो भारत की अर्थव्यवस्था फिर से पटरी से उतर सकती है.