alt="" width="600" height="400" /> अभियान के तहत विश्वविद्यालय के मैनेजमेंट और जूलॉजी विभागों में संग्रह केंद्र (कलेक्शन सेंटर) स्थापित किए गए हैं. जहां छात्र, शिक्षक और स्थानीय नागरिक अपनी पुरानी, लेकिन उपयोगी किताबें दान कर सकते हैं. पूरनचंद फाउंडेशन के सचिव अभिजीत कुमार ने बताया कि इस अभियान का उद्देश्य ऐसे विद्यार्थियों को किताबें उपलब्ध कराना है जो आर्थिक तंगी के कारण शैक्षणिक सामग्री खरीदने में असमर्थ हैं. उन्होंने कहा कि आज भी देश के अनेक हिस्सों में बच्चे आवश्यक पुस्तकों के अभाव में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित हैं. यह अभियान `पूरन की पाठशाला` कार्यक्रम का हिस्सा है, जिसके अंतर्गत विभिन्न जिलों में नि:शुल्क पुस्तकालय स्थापित किए जा रहे हैं फाउंडेशन की योजना है कि इन एकत्रित पुस्तकों को जरूरतमंद बच्चों में वितरित कर उनके लिए सामुदायिक पुस्तकालयों की स्थापना की जाए, ताकि वे निरंतर अध्ययन कर सकें इस अभियान को विश्वविद्यालय प्रशासन का भी पूर्ण सहयोग प्राप्त है. कुलपति प्रो. तपन कुमार शांडिल्य ने आयोजन की अनुमति प्रदान की, वहीं मैनेजमेंट विभाग के निदेशक एवं जूलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. गणेश चंद्र बास्के ने इस पहल की सराहना करते हुए इसे समाज के हित में एक सकारात्मक कदम बताया. अभिजीत कुमार ने विश्वविद्यालय प्रशासन एवं सभी सहयोगियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए समाज के सभी वर्गों से अपील की कि वे इस पुनीत कार्य में भाग लेकर अपनी उपयोगी पुरानी पुस्तकें दान करें और शिक्षा के क्षेत्र में समानता लाने के लिए योगदान दें.
जरूरतमंद बच्चों के लिए DSPMU परिसर में पांच दिवसीय बुक डोनेशन कैंपेन शुरू

Ranchi : आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों तक शैक्षणिक सामग्री पहुंचाने की पहल के तहत पूरनचंद फाउंडेशन और डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय (DSPMU) के संयुक्त तत्वावधान में सोमवार से विश्वविद्यालय परिसर में पांच दिवसीय बुक डोनेशन कैंपेन की शुरुआत हुई. यह अभियान 30 मई 2025 तक चलेगा.
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alt="" width="600" height="400" /> अभियान के तहत विश्वविद्यालय के मैनेजमेंट और जूलॉजी विभागों में संग्रह केंद्र (कलेक्शन सेंटर) स्थापित किए गए हैं. जहां छात्र, शिक्षक और स्थानीय नागरिक अपनी पुरानी, लेकिन उपयोगी किताबें दान कर सकते हैं. पूरनचंद फाउंडेशन के सचिव अभिजीत कुमार ने बताया कि इस अभियान का उद्देश्य ऐसे विद्यार्थियों को किताबें उपलब्ध कराना है जो आर्थिक तंगी के कारण शैक्षणिक सामग्री खरीदने में असमर्थ हैं. उन्होंने कहा कि आज भी देश के अनेक हिस्सों में बच्चे आवश्यक पुस्तकों के अभाव में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित हैं. यह अभियान `पूरन की पाठशाला` कार्यक्रम का हिस्सा है, जिसके अंतर्गत विभिन्न जिलों में नि:शुल्क पुस्तकालय स्थापित किए जा रहे हैं फाउंडेशन की योजना है कि इन एकत्रित पुस्तकों को जरूरतमंद बच्चों में वितरित कर उनके लिए सामुदायिक पुस्तकालयों की स्थापना की जाए, ताकि वे निरंतर अध्ययन कर सकें इस अभियान को विश्वविद्यालय प्रशासन का भी पूर्ण सहयोग प्राप्त है. कुलपति प्रो. तपन कुमार शांडिल्य ने आयोजन की अनुमति प्रदान की, वहीं मैनेजमेंट विभाग के निदेशक एवं जूलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. गणेश चंद्र बास्के ने इस पहल की सराहना करते हुए इसे समाज के हित में एक सकारात्मक कदम बताया. अभिजीत कुमार ने विश्वविद्यालय प्रशासन एवं सभी सहयोगियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए समाज के सभी वर्गों से अपील की कि वे इस पुनीत कार्य में भाग लेकर अपनी उपयोगी पुरानी पुस्तकें दान करें और शिक्षा के क्षेत्र में समानता लाने के लिए योगदान दें.
alt="" width="600" height="400" /> अभियान के तहत विश्वविद्यालय के मैनेजमेंट और जूलॉजी विभागों में संग्रह केंद्र (कलेक्शन सेंटर) स्थापित किए गए हैं. जहां छात्र, शिक्षक और स्थानीय नागरिक अपनी पुरानी, लेकिन उपयोगी किताबें दान कर सकते हैं. पूरनचंद फाउंडेशन के सचिव अभिजीत कुमार ने बताया कि इस अभियान का उद्देश्य ऐसे विद्यार्थियों को किताबें उपलब्ध कराना है जो आर्थिक तंगी के कारण शैक्षणिक सामग्री खरीदने में असमर्थ हैं. उन्होंने कहा कि आज भी देश के अनेक हिस्सों में बच्चे आवश्यक पुस्तकों के अभाव में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित हैं. यह अभियान `पूरन की पाठशाला` कार्यक्रम का हिस्सा है, जिसके अंतर्गत विभिन्न जिलों में नि:शुल्क पुस्तकालय स्थापित किए जा रहे हैं फाउंडेशन की योजना है कि इन एकत्रित पुस्तकों को जरूरतमंद बच्चों में वितरित कर उनके लिए सामुदायिक पुस्तकालयों की स्थापना की जाए, ताकि वे निरंतर अध्ययन कर सकें इस अभियान को विश्वविद्यालय प्रशासन का भी पूर्ण सहयोग प्राप्त है. कुलपति प्रो. तपन कुमार शांडिल्य ने आयोजन की अनुमति प्रदान की, वहीं मैनेजमेंट विभाग के निदेशक एवं जूलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. गणेश चंद्र बास्के ने इस पहल की सराहना करते हुए इसे समाज के हित में एक सकारात्मक कदम बताया. अभिजीत कुमार ने विश्वविद्यालय प्रशासन एवं सभी सहयोगियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए समाज के सभी वर्गों से अपील की कि वे इस पुनीत कार्य में भाग लेकर अपनी उपयोगी पुरानी पुस्तकें दान करें और शिक्षा के क्षेत्र में समानता लाने के लिए योगदान दें.
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