- भू माफिया, बिल्डर और सरकारी तंत्र की मिलीभगत से लुट रहे हैं भोले भाले लोग
- राज्यभर में जारी है जमीन के गोरखधंधे का खेल
- फ्लैट निर्माण और खरीद-बिक्री में गड़बड़ी
Ranchi : राज्यभर में जमीन के गोरखधंधे का खेल जारी है. कहीं गैरमजरुआ और सरकारी जमीन बेच दी जा रही है. तो कहीं तालाबों को भरकर इमारत खड़ी की जा रही. यानी जमीन लूट का खेल जारी है. इस खेल में भू माफिया, बिल्डर और सरकारी तंत्र के शामिल होने की बात सामने आ रही है. पश्चिमी सिंहभूम जिले में खासमहल लीज की जमीन की भारी पैमाने पर धड़ल्ले से खरीद-बिक्री हो रही है, जिसमें लीज शर्तों का उल्लंघन बताया जा रहा है. उधर धनबाद शहर में फ्लैट निर्माण और खरीद-बिक्री में गड़बड़ी की शिकायतों की भरमार है. कहीं जमीन की गड़बड़ी की वजह से नगर निगम ने निर्माण पर रोक लगा दी है, तो कई जगहों पर फ्लैट बुकिंग के बाद समय पूरा होने के बावजूद बिल्डर हैंडओवर नहीं कर रहे हैं. इस पूरे खेल में भोले भाले लोग फंस कर परेशानी झेल रहे हैं. शुभम संदेश की टीम ने राज्य के विभिन्न जिलों में इस मामले में पड़ताल की है. पेश है रिपोर्ट.
जमशेदपुर :
सोमाय झोपड़ी का जल आंदोलनकारी बना बिल्डर, मिटा रहा जलस्रोत, तालाबों का अस्तित्व खत्म
सुप्रीम कोर्ट ने तालाबों के भरने पर रोक लगा रखी है. इसके बावजूद तालाबों को भर कर ईमारत खड़ी की जा रही है, कॉलोनियां बसायी जा रही हैं. कई जगहों पर सरकारी एवं निजी तालाबों का अतिक्रमण कर उसे भर दिया गया है. हरहरगुट्टू सोमाय झोपड़ी में जिन तालाबों का अस्तित्व समाप्त कर दिया गया है उनमें प्लॉट संख्या 2094, 2095, खाता संख्या 204, प्लॉट संख्या 2098, खाता संख्या 42, प्लॉट संख्या 2097 तथा 2099 शामिल हैं. ऐसी गतिविधियों में खुद को जल आंदोलनकारी बताने वाला सोमाय झोपड़ी का कृष्णा पात्रो के अलावे उसका भाई भागीरथी पात्रो, भतीजा सपन पात्रो एवं कार्तिक पात्रो शामिल है. “जल है तो कल है” का नारा बुलंद करने वाला कृष्णा पात्रो जल आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेता रहा है. घर-घर जल पहुंचाने के लिए बनी बागबेड़ा वृहद् ग्रामीण जलापूर्ति योजना को धरातल पर उतारने के लिए उसने बागबेड़ा महानगर विकास समिति के बैनर तले कई बार आंदोलन किया. यहां तक कि जिला मुख्यालय पर धरना-प्रदर्शन, झारखंड विधानसभा का घेराव एवं दिल्ली तक पैदल मार्च (तमाड़ में 25 मार्च 2022 को पैदल मार्च समाप्त) में सक्रिय भूमिका अदा की. लेकिन इन दिनों कृष्णा पात्रो एवं उसके परिवार के सदस्य जल का स्रोत (अस्तित्व) मिटाने का काम कर रहे हैं.
तालाब भरकर खोला बिल्डर का कार्यालय
जानकारी के अनुसार कृष्णा पात्रो के भाई भागीरथी पात्रो के नाम से हरहरगुटू सोमाय झोपड़ी में एक निजी तालाब था. उसे दोनों भाइयों ने मिट्टी डालकर भर दिया. भरे हुए तालाब पर अपना बिल्डिंग कारोबार का कार्यालय खोल लिया है. उक्त कार्यालय से ही भरे गए निजी एवं सरकारी तालाब की प्लॉटिंग कर बिक्री की जा रही है. दबंगई के कारण स्थानीय लोग उसके खिलाफ कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं. तालाब के समीप ही उत्तरी घाघीडीह पंचायत मुख्यालय है. मुखिया समेत तमाम पंचायत प्रतिनिधि वहां बैठते हैं, लेकिन किसी ने भी तालाब का अस्तित्व मिटाने अथवा सरकारी जमीन का अतिक्रमण रोकने की दिशा में कदम नहीं उठाया है.
निजी तालाब भरने की जानकारी नहीं है
अमित कुमार श्रीवास्तव (अंचलाधिकारी, जमशेदपुर अंचल) का कहना है कि सरकारी एवं निजी तालाब भरे जाने की जानकारी नहीं है. अगर मामला संज्ञान में आता है तो इसकी जांच कराई जाएगी एवं संबंधित व्यक्ति के खिलाफ विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी.
जमीन विवाद में हो चुकी है मारपीट
तालाब की जमीन को लेकर हिंसक संघर्ष भी हो चुका है. 5 फरवरी 2023 को इस संबंध में राजू कुमार यादव (पिता देवी प्रसाद यादव) द्वारा एक मामला राहुल प्रसाद, रोहित दास, अंकित सिंह, विनोदा आलडा, लक्ष्मण हेम्ब्रम सहित छह लोगों के खिलाफ बागबेड़ा थाना (कांड संख्या-17/23) में दर्ज कराया गया है. उक्त मामले में थाना द्वारा किसी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है. दूसरी ओर राजू कुमार यादव को आरोपियों की ओर से धमकी भी दी जा रही है.
तालाब भरने का आरोप बेबुनियाद
कृष्ण चंद्र पात्रो, सोमाय झोपड़ी, हरहरगुट्टू का कहना है कि मेरे ऊपर सरकारी तालाब भरे जाने का जो आरोप है वह बेबुनियाद है. बस्तीवासियों ने मेरे परिवार के निजी तालाब को कूड़ा-करकट एवं कचरा डालकर भर दिया है. इसका अस्तित्व वर्तमान में समाप्त हो गया है. उक्त तालाब की प्लॉटिंग कर काफी पहले बिक्री कर दी गई है, जहां वर्तमान में घर बन गए हैं. मेरे एवं मेरे परिवार द्वारा किसी भी सरकारी तालाब का अतिक्रमण करने एवं भरने की कार्रवाई नहीं की गई है.
धनबाद :
फ्लैट निर्माण में गड़बड़झाला, समय पर हैंडओवर नहीं मिलने से लोग रेरा में केस करने को हो रहे मजबूर
धनबाद शहर में फ्लैट निर्माण व खरीद-बिक्री में गड़बड़ी की शिकायतों की भरमार है. कहीं जमीन की गड़बड़ी की वजह से नगर निगम ने निर्माण पर रोक लगा दी है, तो कई जगहों पर फ्लैट बुकिंग के बाद बिल्डरों ने हैंडओवर नहीं दिया है. लोग बिल्डर व कोर्ट-कचहरी का चक्कर लगाते-लगाते थक गए हैं. कई लोगों ने पैसा वापस करने के लिए रेरा (रियल स्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी) में मामला दर्ज कराया है.
छह वर्ष बाद भी फ्लैट नहीं, पेनाल्टी लगाने से बिल्डर ने बंद किया काम : बबीता कुमारी
जयप्रकाश नगर गली नंबर 6 में किराए पर रहने वाली बबीता कुमारी ने बताया कि उन्होंने 6 वर्ष पहले 32 लाख रुपये में बिल्डर समय होम्स प्राइवेट लिमिटेड से जयप्रकाश नगर गली नंबर 7 में फ्लैट बुक कराया था, लेकिन बिल्डर ने अब तक फ्लैट की चाबी उन्हें नहीं मिली है. बिल्डर से कारण पूछने पर पता चला कि नगर निगम की ओर से 2 करोड़ 8 लाख रुपए की पेनाल्टी लगाने के कारण निर्माण कार्य बंद है . बिल्डर और निगम की इस लड़ाई में फ्लैट बुक कराने वाले लोग परेशान हैं. बबीता कुमारी ने बताया कि बैंक से लोन लेकर फ्लैट की बुकिंग कराई थी. हर महीने 10 हजार रुपए मकान किराया के साथ बैंक की ईएमआई अलग से भरनी पड़ रही है. उन्होंने पैसा रिफंड करने के लिए रेरा में मामला दर्ज कराया है.
24 लाख में बुक कराया था फ्लैट, बिल्डर ने हैंडओवर नहीं दिया : लवलीन पांडेय
जयप्रकाश नगर के ही लवलीन पांडेय ने बताया कि उन्होंने बैंक से 24 लाख रुपए लोन लेकर बिल्डर समय होम्स प्राइवेट लिमिटेड की ओर से जयप्रकाश नगर गली नंबर 7 में बनाए जा रहे अपार्टमेंट में फ्लैट बुक कराया था. फ्लैट हैंडओवर 2022 में ही करना था, लेकिन आज तक नहीं हुआ है. इससे उन्हें कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. बैंक का लोन भरने के साथ-साथ 7-8 हजार रुपए मकान का किराया भी देना पड़ रहा है. थक-हारकर उन्होंने पैसा रिफंड कराने के लिए रेरा में मामला दर्ज कराया. उन्होंने कहा कि सरकारी या सीएनटी एक्ट की जमीन पर बने अपार्टमेंटों में लोगों के फंसने की बात तो सुनी थी, लेकिन समय होम्स का मामला समझ से परे है.
निर्माण कार्य बंद होने का कारण मुझे मालूम नहीं : जमीन मालिक
जयप्रकाश नगर गली नंबर 7 में रहने वाले जमीन मालिक अजय सिंह ने कहा कि उन्होंने बिल्डर समय होम्स प्राइवेट लिमिटेड को कंस्ट्रक्शन के लिए जमीन दी है. उस पर निर्माण कार्य क्यों बंद है, इसकी मुझे जानकारी नहीं है. वहीं जमशेदपुर के रहने वाले बिल्डर राजेश सिंह ने दूरभाष पर बताया कि कंस्ट्रक्शन का कार्य जमीन मालिक और हमारे कारण बंद है. निगम की पेनाल्टी वाली बात झूठी है. उन्होंने दावा किया कि जिसने भी फ्लैट बुक कराया है, उसे समय रहते हैंडओवर कर दिया जाएगा .
चक्रधरपुर :
अतिक्रमणकारियों के कारण सिमटता जा रहा ऐतिहासिक रानी तालाब, कूड़े-कचरे से भर गया है
चक्रधरपुर का ऐतिहासिक रानी तालाब अतिक्रमणकारियों के कब्जे में है. चक्रधरपुर शहर के बीचो बीच राजबाड़ी रोड में लगभग नौ एकड़ में फैला यह तालाब दिन प्रतिदिन सिमटता जा रहा है. इससे इसका अस्तित्व खतरे में है. तालाब के आसपास कई घर बनते जा रहे हैं. रानी तालाब का जीर्णोद्धार करने और अतिक्रमण मुक्त कराने का मामला कई बार उठता रहा है, लेकिन इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा सका है. इस कारण तालाब में मिट्टी और कचरा भरकर इसे अतिक्रमित किया जा रहा है. रानी तालाब की देखरेख की जिम्मेवारी नगर परिषद की है, लेकिन नगर परिषद द्वारा भी इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. भू-माफिया भी रानी तालाब को कब्जे में करने की कोशिश में लगे हुये हैं. रानी तालाब के दूसरे छोर के अधिकांश क्षेत्र में अतिक्रमणकारियों ने कब्जा कर लिया है. रानी तालाब का जीर्णोद्धार कर वोटिंग कराने का चुनावी मुद्दा भी बनता रहा है. चुनाव के वक्त नेताओं को रानी तालाब की याद आती है, लेकिन चुनाव जीतने के बाद वादे भुला दिये जाते हैं.
फिलहाल रानी तालाब सिमटकर लगभग पांच से छह एकड़ का ही रह गया है. रानी तालाब में कूड़ा कचरा डाले जाने के कारण अधिकांश क्षेत्र समतल हो गया है. रानी तालाब से कुम्हार टोली, नागेश्वर स्कूल क्षेत्र का मोहल्ला, पुरानी बस्ती क्षेत्र, जीईएल चर्च, दंदासाई इत्यादि क्षेत्र सटे हुये हैं. इसके कारण लोगों के घरों से निकलने वाला गंदा पानी भी रानी तालाब में ही जाकर गिरता है. इससे तालाब से बदबू भी आती है. बारिश के मौसम में तालाब का पानी पुरानी बस्ती सड़क तक आ जाता है. आलम ऐसा रहता है कि तालाब और सड़क में अंतर स्पष्ट नहीं हो पाता है. वहीं इन दिनों पूरा तालाब जलकुंभियों से भरा पड़ा है, जिसकी भी साफ-सफाई नहीं करायी जाती है. बहरहाल अगर यही हाल रहा तो राजघराने की ऐतिाहासिक रानी तालाब का अस्तित्व धीरे-धीरे पूरी तरह खत्म हो जाएगा.
हजारीबाग
लुटते रहे लोग, मामले में चुप्पी साधे रहे अधिकारी
विस्मय अलंकार । हजारीबाग के कटकमदाग प्रखंड के सिरसी, खपरियावां, ढेंगुरा में हजारों लोगों के लूट जाने की कहानी में सरकारी पदाधिकारियों और कर्मचारियों की प्रमुख भूमिका रही. सरकारी गफलत का इससे बड़ा कारनामा क्या होगा कि जिस जमीन को सरकारी कह बुलडोजर चलाया गया, आज भी उसी जमीन की ऑनलाइन लगान रसीद कट रही है. महज कुछ सेकेंड में ऐसे खाते प्लॉट की रसीद कटनी बंद हो सकती है, अगर अंचलाधिकारी अपने लॉगिन से इसे बंद कर दें.
सपने टूट गए, रिटायर्ड वनकर्मी ने ली थी जमीन
वन विभाग से रिटायर हुए बंशी प्रसाद मायूस हैं. कहते हैं रिटायरमेंट के बाद मिले पैसे से पंचशील में 2010 में जमीन खरीदी थी. हमलोग सौ से अधिक लोगों ने जमीन खरीद कर यहां बाउंड्री कराई थी, लेकिन बिना नोटिस के सभी की बाउंड्री पर बुलडोजर चला दिया गया. ऐसा करना गलत था, जब अंचल के ही पूर्व के एक अंचलाधिकारी ने कर्मचारी को रसीद काटने का आदेश दिया और आज तक रसीद कट भी रही है. फिर कैसे कोई अधिकारी बगैर नोटिस बुलडोजर चला सकता है. ऐसा लोकतंत्र में नहीं होता है. वे कहते हैं कि अगर इस मामले में पुराने सीओ या कर्मी दोषी हैं तो इस पूरे मामले को ईडी में देकर उनकी सारी संपत्ति जब्त होनी चाहिए.
कई मामले आये लेकिन कार्रवाई नहीं हुई
आम आदमी जमीन लेते वक्त केवल यह देखता है कि क्या जो जमीन वह ले रहा है उसका म्यूटेशन हो रहा है, लगान रसीद काटी जा रही है और वे आस्वस्त होकर जमीन ले लेते हैं. लेकिन बाद में पता चलता है कि म्युटेशन और रसीद भी गलत तरीके से काटी जा रही थी. तब वह बेचारा लुटा हुआ महसूस करता है. ऐसे हालात क्यों बनते हैं. उसकी बानगी इन केस स्टडी से समझा जा सकता है.
केस स्टडी 1
सरकार एवं जिला स्तर से पत्र के बावजूद अवैध जमाबंदी रद्द नहीं हुई, जबकि अंचल कार्यालय कटकमदाग को सरकारी पत्र 265 दिनांक 25.01.2021 के आलोक में अंचल अंतर्गत सरकारी/सरकारी बंदोबस्ती भूमि के अवैध जमाबंदी को रद्द करने का निर्देश मिला था इसके बावजूद जिला मुख्यालय को रद्द सूची नहीं भेजा गयी.
केस स्टडी 2
उपायुक्त कार्यालय पत्रांक 964 दिनांक 16.04.2021 के आलोक में मौजा सिरसी एवं मरहंद में गैरमजरूआ जंगल झाड़ जमीन की अवैध जमाबंदी को चिह्नित कर रद्द करने का निर्देश दिया गया साथ ही उस जमीन का नामांतरण म्यूटेशन के कृत्य में जांच कर संलिप्त दोषी करने वाले के विरूद्ध आरोप पत्र गठित करने क निर्देश दिया गया लेकिन कोई करवाई नहीं हुई
केस स्टडी 3
एक पुलिसकर्मी के परिवार के प्रति सदस्यों के नाम से कई एकड़ सरकारी जमीन है.
पुलिसकर्मी दंपति ज्ञानेश्वर राम – बसंती देवी के परिवार के प्रति सदस्यों के नाम से कई एकड़ सरकारी जमीन दर्ज हैं, ये मामले पहले भी आये लेकिन दबा दिए गए.
- खाता न 251, प्लॉट 848, रकवा 1.50 एकड़, पेज नम्बर वॉल्यूम
- खाता न 251, प्लॉट 848, रकवा 70डी, पेज न। 157 वॉल्यूम 6
- खाता 251, प्लॉट 882, रकवा 50 डी, पेज नंबर 149, वॉल्यूम 4
सिरसी अंतर्गत प्रथम अतिक्रमण केस था जो अभी तक हटा नहीं, 2017 में दहन रविदास पर अतिक्रमण का आरोप है. मामला डीसी हजारीबाग के पास लंबित है.
केस स्टडी 4
दहन रविदास वो ज्ञानेश्वर राम परअब तक प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई,अतिक्रमण वाद 03/2017–18 के बावजूद दहन रविदास के द्वारा अन्य सरकारी भूमि खाता 251प्लॉट 849 पर अतिक्रमण, अंचल की रिपोर्ट एवं ज़िला पदाधिकारी के आदेश के बावजूद प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई है.केस स्टडी
केस स्टडी 5
सरकारी बंदोबस्ती भूमि जो अहस्तांतरिणीय होती है और बेची नहीं जाती है. खाता 251प्लॉट 882 रकवा 50 डी सरकारी बंदोबस्ती भूमि जो 1991–92 में मिला,जिसे चंदराज गिरी को बेच दिया गया.
केस स्टडी 6
मौजा सिरसी में अवैध जमाबंदी दर्ज मामले में वर्ष 2007 में ही अंचल अधिकारी और डीसी हजारीबाग कोर्ट के द्वारा स्पष्ट कर दिया गया. इसके बावजूद कमला देवी के नाम वर्तमान में 18.05.2023 को 5 एकड़ सरकारी जंगल झाड़ जमीन की रसीद काट दी गई. उच्च अधिकारी के आदेश के विरूद्ध किस परिस्थिति में रसीद कटी गयी यह हैरानी की बात है.
केस स्टडी 7
खपरियावां अंतर्गत खाता 542 में कितने अवैध जमाबंदी दर्ज है और अब तक कितने ऐसे अवैध जमाबंदी को रद्द करने के लिए भेजा गया. संबंधित उपायुक्त के पत्र 2216दिनांक 08.11.2021का अब तक जवाब नहीं दिया गया है.
केस स्टडी 7
लगभग सभी अंचलाधिकारी के कार्यकाल में होता रहा घालमेल
हजारीबाग के कटकमदाग अंचल भूमाफिया और पदाधिकारी के गठजोड़ का नायाब नमूना रहा. सभी बहती गंगा में हाथ धोते रहे. अंचलाधिकारी जितेंद्र मंडल के कार्यकाल में दर्ज अतिक्रमण मामला 2017 का निस्पादन नहीं किया गया . बल्कि खाता 251 प्लॉट 844रकवा 12डी भूमि का म्यूटेशन कर दिया. जिस पर जिला प्रशासन के पत्रांक 60 दिनाक 08.01.2021 को शोकॉज किया. परंतु उसका जवाब नहीं दिया गय. अंचलाधिकारी शालिनी खालको के कार्यकाल में भी कई अवैध कब्जे जुड़े रहे, यहां तक कि महिला कॉलेज का प्रस्ताव प्लॉट 848 में अतिक्रमण नहीं हटाने के वजह से धारातल पर नहीं उतर सक.अंचलाधिकारी वीरेंद्र कुमार ने तो हद ही कर दी थी. स्थानांतरित होने के बाद भी यहीं जमे रहे और एक दिन में 3 दर्जन से अधिक लगान रसीद काट दी.वर्तमान सीओ शशि भूषण सिंह ने कमला देवी और स्थानीय वार्ड पार्षद के अतिक्रमित भूमि की रसीद काटी.यहां तक कि अभी तक अपने लॉगिन से इस खाता प्लाट की रसीद काटने की प्रक्रिया को ब्लॉक नहीं किया.
डीसी नैंसी सहाय ने कहा- बड़ी कार्रवाई होगी, सरकारी कर्मी भी नपेंगे
ज़िले की उपायुक्त इतने बड़े ज़मीन के गोरखधंधे से खुद हैरत में हैं और साफ कहती है कि पहले के सरकारी कर्मिंयों के संलिप्तता के बगैर ये संभव नहीं उनके संज्ञान में मामला आया है इस पूरे मामले पर बड़ी करवाई की रूपरेखा तैयार की जा रही है जल्द इसपर करवाई होगी.
चाईबासा :
खासमहल लीज की जमीन पर भारी पैमाने पर गड़बड़ी, शर्तों के आधार पर नवीकरण नहीं
पश्चिमी सिंहभूम जिले में खासमहल लीज की जमीन की भारी पैमाने पर धड़ल्ले से खरीद-बिक्री और लीज शर्तों का उल्लंघन हो रहा है. चाईबासा-चक्रधरपुर शहरी क्षेत्रों में लीज की जमीन का भारी पैमाने पर लाखों-करोड़ों में खरीद बिक्री की गई है. रविवार को महुलसाई में सीएनटी जमीन को बचाने के लिये आदिवासियों ने एक ग्रामसभा की. उसमें महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया. चाईबासा में वर्तमान में भी लीज की जमीन की खरीद-बिक्री जारी है. लीज की जमीन की अवैध ढंग से खरीद-बिक्री के कारण लीज नवीकरण का कार्य भी नहीं हो पा रहा है. एक तरफ सरकार लीज की जमीन की अवैध खरीद-बिक्री करने वाले लोगों पर कार्रवाई की बात करती है. वहीं दूसरी तरफ सरकार और प्रशासन लीज की जमीन की अवैध ढंग से खरीद-बिक्री करने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं करती. इसके कारण लीज धारकों द्वारा लीज की जमीन की अवैध खरीद-बिक्री और लीज शर्तों का उल्लंघन किया गया है. वर्तमान में भी लीज की जमीन की खरीद बिक्री धड़ल्ले से जारी है. असली लीज धारक गायब हो गए हैं और अवैध ढंग से लीज की जमीन की खरीद करने वाले सामने हैं. कई असली लीजधारक जमीन बेचकर शहर छोड़ चुके हैं, वहीं अवैध ढंग से खरीद-बिक्री करने वाले लोगों का लीज की जमीन पर कब्जा है और लीज शर्तों का उल्लंघन किया जा रहा है.
घरेलू उपयोग के नाम पर ली गयी लीज की जमीन का हो रहा व्यावसायिक उपयोग
घरेलू उपयोग के नाम पर ली गई लीज की जमीन का धड़ल्ले से व्यावसायिक उपयोग भी किया जा रहा है और दुकान, मार्केट, मॉल और आवास बनाकर भाड़े पर लगाया जा रहा है. इससे भी सरकार को राजस्व की हानि उठानी पड़ रही है. कई असली लीज धारक अपनी जमीन बेच चुके हैं. अब वे लीज नवीकरण के पचड़े में पड़ना नहीं चाहते हैं. जिन्होंने अवैध ढंग से लीज की जमीन खरीदी है, वे लीज नवीकरण नहीं करा सकते. लीज की जमीन का पावर ऑफ अटॉर्नी और सेल डीड के नाम पर खरीद-बिक्री का खेल चल रहा है. नियमानुसार, लीज शर्तों का उल्लंघन के बाद स्वत: ही लीज समाप्त हो जाता है और वह जमीन सरकार की हो जाती है. चाईबासा सहित अन्य खासमहल की जमीन का लीज नवीकरण नहीं होना संबंधित विभाग और अधिकारियों की मिलीभगत और पूरे मामले में घालमेल और अवैध ढंग से खरीद-बिक्री की पोल खोल रहा है.
चाईबासा, चक्रधरपुर के शहरी क्षेत्रों में सरकारी जमीन की खरीद ब्रिकी
सरकार को बड़े राजस्व की हानि
डोमेस्टिक उपयोग के नाम पर ली गई लीज की जमीन का व्यावसायिक उपयोग होना भी सरकार को बड़े राजस्व की हानि पहुंचा रहा है. शहर में ऐसे कई लीज की जमीन और भूखंड हैं जिनका उपयोग नहीं हो पा रहा है और अवैध ढंग से खरीदने वालों का कब्जा है. यह भी लीज शर्तों का उल्लंघन है.
तंबाकू पट्टी सदर बाजार, न्यू कॉलोनी नीमडीह टुंगरी में अवैध तरीके से हो रही खरीद बिक्री
हाल में ही शहर के बीचो बीच घंटा घर राजस्थान भवन के सामने विशाल भूखंड, तंबाकू पट्टी, सदर बाजार नीमडीह, न्यू कॉलोनी नीमडीह, टुंगरी, आमला टोला आदि इलाकों में दर्जनों लीज की जमीन की लाखों-करोड़ों में खरीद-बिक्री हुई है. वर्तमान में भी सरकार और भूमि निबंधन राजस्व विभाग के नियम कानून को ताक पर रखकर खास महल लीज की जमीन की अवैध ढंग से खरीद-बिक्री जारी है.
अतिक्रमण कर विशाल इमारत बनी
गांधी टोला नाले के पास भी लीज की जमीन की अवैध ढंग से खरीद-बिक्री कर एक चर्चित लुटेरा ठेकेदार द्वारा हाई कोर्ट और न्यायालय ने नदी-नालों की जमीन पर अवैध कब्जा अतिक्रमण मुक्त कराने का निर्देश दिया है. इसके बावजूद नाले के जमीन पर भी अतिक्रमण और कब्जा कर विशाल इमारत खड़ी कर दी गई है. वहीं लीज की जमीन पर अवैध ढंग से फ्लैट निर्माण कर अवैध ढंग से खरीद-बिक्री का भी गोरखधंधा और खेल चल रहा है. लीज की जमीन की अवैध ढंग से खरीद-बिक्री में बड़े-बड़े पूंजीपतियों सहित जमीन माफिया, दलाल और सफेदपोश भी शामिल हैं, जो सरकार को राजस्व का चूना लगा रहे हैं और अवैध ढंग से लीज की जमीन की खरीद-बिक्री कर रहे हैं. प्रशासन और संबंधित विभाग पूरे मामले पर कुंभकरनी निद्रा में है और चंद पैसे के लालच में पड़कर सरकारी और लीज की जमीन को लुटाने में लगा है.
पश्चिम सिंहभूम में 2300 से अधिक लीज धारक, मात्र 800 का नवीकरण
पूंजीपतियों जमीन माफिया, दलालों के बीच के पास अवैध ढंग से कई एकड़ जमीन है और भूमिहीनों के पास सिर ढकने के लिए जमीन और छत तक नसीब नहीं हो रही है. जिले में लगभग 23 सौ से अधिक लीजधारी हैं. जिसमें लगभग 7-8 सौ लोगों ने ही लीज नवीकरण कराया है. कई लीजधारियों द्वारा लीज शर्तों का उल्लंघन करने और कागजात आदि नहीं देने के कारण लीज नवीकरण नहीं हो पा रहा है. जिससे सरकार को भारी राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है. वही आधे से अधिक लीज धारियों ने अपनी लीज की जमीन अवैध रूप से बेच दी है.
सीएनटी जमीन पर दान एग्रीमेंट करा कर जमीन की लेनदेन जारी
सिर्फ खासमहल लीज की जमीन ही नहीं, जिले में भारी पैमाने पर आदिवासियों की जमीन सीएनटी एक्ट का उल्लंघन कर गैर आदिवासियों द्वारा कब्जा कर लिया गया है. उद्योग-व्यवसाय, दुकान-गोदाम के नाम पर आदिवासियों की जमीन दान-एग्रीमेंट कर गलत तरीके से लेकर हड़प ली गई है. गांधी टोला करणी मंदिर ट्रस्ट की जमीन की भी अवैध रूप से खरीद-बिक्री हुई है और वर्तमान में भी अवैध खरीद-बिक्री जारी है. शहर में सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा कर कई मुहल्ले कॉलोनी बस चुके हैं.