Search

पान दुकान से भी बदतर एक सरकारी कार्यालय जहां कोई दस्तावेज नहीं

LAGATAR EXPOSE
  • झारखंड सरकार का यह अनोखा दफ्तर गुमला के जिला आयुष चिकित्सा पदाधिकारी का है.
  • लाखों की सामग्रियों की खरीद होती है. लेकिन ना तो कैश बुक है और ना ही स्टॉक रजिस्टर.
  • आयुष कार्यालय, गुमला पर आरोप है कि 35 लाख रुपये की सामग्री बिना टेंडर के ही खरीद ली.

Ranchi :   गांव में पान की दुकान पर एक छोटी सी कॉपी होती है. जिसे दुकानदार संभाल कर रखता है. इसी कॉपी में उसके दुकान की आमदनी और खर्च का हिसाब लिखा होता है. लेकिन झारखंड में एक सरकारी कार्यालय ऐसा भी है जहां कोई दस्तावेज नहीं है. इस दफ्तर से लाखों की सामग्रियों की खरीद होती है. लेकिन दफ्तर में ना तो कैश बुक है और ना ही स्टॉक रजिस्टर. सरकार का यह अनोखा दफ्तर गुमला के जिला आयुष चिकित्सा पदाधिकारी का है.

 

गुमला जिला आयुष चिकित्सा पदाधिकारी के कार्यालय द्वारा गलत तरीके से 35 लाख रुपये की दवाईयां सहित अन्य सामग्रियों की खरीद की शिकायत जिला प्रशासन को मिली थी. उपायुक्त ने इस शिकायत की जांच का आदेश दिया. जांच के दौरान यह पाया गया कि इस अनोखे कार्यालय में ना तो कैश बुक है और ना ही स्टॉक रजिस्टर. इसलिए जांच में इस बात का पता नहीं लगाया जा सका कि आयुष कैंप के नाम खरीदी गयी सामग्रियां वास्तव में आयुष कार्यालय में पहुंची थी या सिर्फ कागजी कार्रवाई हुई थी. जांच अधिकारी भी इस अनोखे कार्यालय को देख कर आश्चर्यचकित हो गये थे. क्योंकि अब तक की सेवा काल में उन्होंने सैकड़ों जांच किये थे. लेकिन यह पहला कार्यालय मिला जहां  कैश बुक और स्टॉक रजिस्टर ही नहीं है.

 

उपायुक्त के आदेश पर शिकायत की जांच करने पहुंचे अधिकारी ने पाया कि आयुष निदेशालय ने मई 2025 में आदेश जारी कर राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत कार्यक्रम आयोजित करने का निर्देश दिया था. साथ ही पैसों का आवंटन भी दिया था. निदेशालय द्वारा दिये गये आदेश के आलोक में उपायुक्त ने कार्यक्रम आयोजित करने के लिए दवाईयां सहित अन्य सामग्रियों की खरीद की अनुमति दी थी. उपायुक्त के आदेश के आलोक में आयुष कार्यालय में 35 लाख रुपये की सामग्री बिना टेंडर के ही खरीद ली. सामग्रियों की खरीद सिर्फ टेबल टेंडर के सहारे किया गया, जो वित्त विभाग द्वारा सामग्रियों की खरीद से संबंधित जारी किये गये आदेश के खिलाफ है. जांच के दौरान कार्यालय में दवाईयों सहित अन्य सामग्रियों की खरीद के लिए सिर्फ PUBLIC FINANCIAL MANAGEMENT SYSTEM (PFMS) से 35 लाख रुपये के भुगतान की जानकारी मिली.

 

खरीदी गयी सामग्रियां आयुष कार्यालय पहुंची या नहीं. इस बात की जांच के लिए स्टॉक रजिस्टर की मांग की गयी, तो पता चला कि स्टॉक रजिस्टर है ही नहीं. आयुष निदेशालय से मिले पैसों के खर्च का हिसाब किताब जानने के लिए जांच अधिकारी ने कैश बुक की मांग की. लेकिन कैश बुक नहीं मिला. कर्मचारियों के सिलसिले में की गयी जांच में पाया गया कि आयुष कार्यालय में एक भंडारपाल सह लिपिक पदस्थापित हैं. विकास शर्मा नाम का यह लिपिक जांच के समय भी दफ्तर से गायब पाया गया. उसकी उपस्थिति की जांच के दौरान पाया गया कि वह नियमित रूप से कार्यालय भी नहीं आता है. वह ना तो उपस्थिति पंजी और ना ही बायोमेट्रिक सिस्टम से नियमित उपस्थिति दर्ज करता है. बायोमेट्रिक्स में अगर किसी आने की सूचना दर्ज है तो जाने की सूचना नहीं है. मामले की गंभीरता को देखते हुए इस कार्यालय का स्पेशल ऑडिट कराने की अनुशंसा की गयी है.

Comments

Leave a Comment

Follow us on WhatsApp