Ranchi : झारखंड के किसानों के लिए खुशखबरी है. अब लैंप्स (LAMPS) और पैक्स (PACS) के माध्यम से कामकाज करना आसान होगा. राज्य में करीब 2700 लैंप्स हैं, जिनमें से 1500 पैक्स को नाबार्ड के सहयोग से डिजिटाइज किया जा चुका है. शेष लैंप्स और पैक्स को भी कंप्यूटरीकृत किया जा रहा है.
सभी सुविधाएं सुगमता से होंगी उपलब्ध
सहकारी समितियों के कामकाज में पारदर्शिता, दक्षता और जवाबदेही सुनिश्चित करना सरकार का मुख्य उद्देश्य है. कंप्यूटरीकरण के बाद किसानों को ऋण, बीज, खाद और अन्य सेवाएं अधिक सुगमता से उपलब्ध होंगी.
क्या है लैंप्स और पैक्स?
लैंप्स : वृहद-क्षेत्रीय आदिवासी बहुउद्देशीय सहकारी समितियां, जो मुख्यत आदिवासी इलाकों में कार्य करती है. ये किसानों को ऋण के साथ-साथ अन्य आवश्यक वस्तुएं और सेवाएं भी उपलब्ध कराती है.
पैक्स : प्राथमिक कृषि ऋण समितियां, जो ग्रामीण स्तर पर किसानों को अल्पकालिक और मध्यम अवधि के ऋण कम ब्याज दर पर प्रदान करती है.
कंप्यूटरीकरण का उद्देश्य
दक्षता और पारदर्शिता बढ़ाना : मैनुअल एंट्री के बजाय डिजिटल रिकॉर्ड से कार्य में तेजी आएगी.
किसानों को बेहतर सेवाएं : ऋण प्रक्रिया सरल होगी और लागत कम होगी.
व्यापार में विविधता : पैक्स को सामान्य सेवा केंद्र (CSC) जैसे अन्य आर्थिक कार्यों से जोड़ा जाएगा.
ऑनलाइन कनेक्टिविटी : सभी पैक्स को नाबार्ड, राज्य सहकारी बैंकों और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों से जोड़ा जाएगा. इसके बाद इसे एकीकृत सॉफ्टवेयर से सभी समितियों का रिकॉर्ड व्यवस्थित और एकरूप होगा.
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