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चंदवा : 10 महीने तक पटना में बंधुआ मजदूर बन प्रताड़ना की शिकार होती रही आदिवासी महिला

  • प्रताड़ना जब सहा नहीं गया तो भागकर किसी तरह पहुंची घर 
  • टिकट कटाने तक के पैसे नहीं थे, एक ऑटो वाले ने पहुंचाया स्टेशन
  • महिला ने बताया, उस घर में दो और लड़कियां 5-6 साल से है कैद 
Rajeev Oraon Chandwa : चंदवा प्रखंड के हुटाप पंचायत की एक महिला मानव दस महीने तक पटना में बंधुआ मजदूर बनी रही. प्रताड़ना जब सहा नहीं गया तो वह एक दिन मौका पाकर भाग निकली. किसी तरह भूखे-प्यासे बिना टिकट के पटना से रांची पहुंची और फिर रांची से चंदवा. अपने घर पहुंचने के बाद उसने राहत की सांस ली. मगर इस दौरान वह टूट गई और घरवालों को अपनी आपबीती बताते-बताते फूट-फूटकर रोने लगी.

क्या है पूरा मामला 

चंदवा प्रखंड क्षेत्र के हुटाप पंचायत के असनाही गांव की रहने वाली आदिवासी समुदाय की एक गरीब महिला कुंती देवी गांंव में काम नहीं मिलने की वजह से चंदवा के एक होटल में दाई का काम करने लगी. किसी तरह वह अपना और अपने परिवार का गुजारा कर रही थी. कुंती ने बताया कि होटल में काम करने के दौरान ही मानव तस्कर श्रीकांत की नजर उसपर गड़ हुई. एक दिन मौका पाकर श्रीकांत ने होटल मालिक से महिला को ले जाने की बात की. फिर उसे अपनी चिकनी-चुपरी बातों में फंसाया. बेहतर जीवन का सपना दिखाया और कहा कि महीना आठ हजार रुपए और रहना खाना-पीना फ्री में मिलेगा. ज्यादा काम भी नहीं करना होगा. भोली-भाली कुंती उसकी बातों में आ गया और बेहतर जीवन के सपने संजोय उसके साथ चला गया. श्रीकांत अपने साथ कुंती देवी को पटना के गोला रोड ले गया. वहां रहने वाली पुनम सिंह के हाथों उसे बेचकर फरार हो गया. मगर कुंती यह समझ नहीं पाई. वह वहां रहकर घर का सारा काम करने लगी. काफी दिन बीत गये, मगर जब कुंती ने पैसे की मांग की तो उसके साथ मारपीट शुरू कर दी गई. उसे प्रताड़ित किया जाने लगा. तब उसे खुद को मानव तस्करी के शिकार होने का अहसास हुआ. करीब 10 महीने तक वह पटना में बंधुआ मजदूर बनकर रही और प्रताड़ना सहती रही.

ऑटो वाले की मदद से पहुंची दीघा स्टेशन 

कुंती ने बताया कि बीते 5 जुलाई को वह मौका पाकर घर से भाग निकली. उसके पास न तो पैसे थे, न खाने को कुछ. एक ऑटो वाले की मदद से वह दीघा स्टेशन पहुंची. वहां से पटना जंक्शन और फिर वहां से ट्रेन पकड़कर रांची पहुंची. रांची से वह किसी तरह चंदवा पहुंची. घर पहुंचने के बाद उसने अपनी आपबीती परिजनों को बताई. शनिवार को कुंती ने लगातार डॉट इन और शुभम संदेश संवाददाता से अपनी आपबीती बताई. कुंती ने बताया कि वह वहां अकेली बंधुआ मजदूर नहीं थी. उसकी तरह दो और लड़कियां वहां प्रताड़ना झेल रही है. एक का नाम मुक्ती कुमारी, मां किना देवी ग्राम बिजूपाड़ा चान्हो और दूसरी किरन कुमारी है. किरन के गांव-ठिकाने का उसे पता नहीं है. दोनों के साथ भी उसी के जैसा व्यवहार किया जाता है. पैसे मांगने पर मुक्ती कुमारी को इतना मारा कि उसका एक हाथ टूट गया.दो माह पहले ही उसका प्लास्टर खुला है.

क्या कहती हैं श्रम अधीक्षक 

उपरोक्त मामले को लेकर जब शुभम संदेश की टीम ने लातेहार के श्रम अधीक्षक लक्ष्मी कुमारी से बात की तो वह कहती हैं कि मामला बिहार का है, यह मेरे क्षेत्राधिकार से बाहर है. लेकिन बंधुआ मजदूर की बात है तो महिला का आवेदन मिलने पर देखेंगे, क्या कुछ कर सकती हैं.

क्या कहते हैं चंदवा बीडीओ 

मानव तस्करी और प्रताड़ना की शिकार महिला के संबंध में पूछे जाने पर चंदवा बीडीओ ने कहा कि उपरोक्त महिला की समस्या के बाबत पूछे जाने पर चंदवा बीडीओ ने कहा कि मामला संज्ञान में नहीं था. वैसे यह मामला मजदूरी से संबंधित है, यह श्रम विभाग का मामला है. बाकी अगर वह काम करना चाहती हैं तो रोजगार कार्ड बनवाकर कर उन्हें गांव में ही काम दिलवाया जायेगा.
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