Ranchi: सुप्रीम कोर्ट ने सारंडा को Sanctuary घोषित करने के मामले की सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार पर अपनी नाराजगी का इजहार किया है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा 29 अप्रैल 2025 को दिये गये आदेश के बाद सेंक्चुरी घोषित करने के मामले में मुख्य सचिव द्वारा समिति गठित करने को न्यायालय की अवमानना माना. उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया और आठ अक्तूबर को सशरीर कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया है. हालांकि कोर्ट द्वारा जारी ऑनलाईन आदेश में झारखंड की जगह गलती से उत्तराखंड टाईप हो गया.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी ऑनलाइन आदेश में दो जगह टाइपिंग की गलती से झारखंड की जगह उत्तराखंड सरकार लिख दिया गया है. आदेश के पहले बिंदु में झारखंड की जगह उत्तराखंड लिख दिये जाने की वजह से ऐसा लगता है कि सारंडा को Sanctuary घोषित करने के मामले में टालमटोल करने की नीति पर न्यायालय ने अपनी नाराजगी का इजहार उत्तराखंड सरकार के प्रति की है. 17 सितंबर 2025 को हुई सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने टालमटोल की नीति अपनाये जाने पर झारखंड सरकार के प्रति अपनी नाराजगी का इज़हार किया था.
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान 29 अप्रैल 2025 को दिये गये अपने आदेश का अनुपालन नहीं होने पर नाराजगी का इजहार किया था. साथ ही इसे न्यायालय की अवमानना करार देते हुए झारखंड के मुख्य सचिव के खिलाफ Contempt Proceeding शुरू करने की बात कही थी. आठ अगस्त को सुबह 10.30 बजे झारखंड के मुख्य सचिव को कोर्ट में हाजिर रहने का निर्देश दिया था. साथ ही यह भी कहा कि अगर सरकार 29 अप्रैल 2025 को दिये गये अपने शपथ पत्र में कही बातों को पूरा नहीं करती है तो कोर्ट परम आदेश (Mandamus) जारी कर राज्य को अपना वायदा पूरा करने के लिए निर्देशित करेगी.
उल्लेखनीय है कि 29 अप्रैल 2025 को वन सचिव अबुबकर सिद्दीकी ने शपथ पत्र दायर कर यह कहा गया था कि 57,519.41 हेक्टेयर को Sanctuary घोषित करने के लिए WII को प्रस्ताव भेजा गया है. WII की रिपोर्ट मिलने के बाद सरकार Sanctuary घोषित करने के लिए आगे की कार्रवाई करेगी. 17 सितंबर को सुनवाई के दौरान कोर्ट को यह जानकारी दी गयी कि झारखंड सरकार के मुख्य सचिव ने सारंड को Sanctuary घोषित करने मामले पर विचार करने के लिए एक समिति का गठन कर दिया है. न्यायालय ने इसे अवमानना माना और मुख्य सचिव को आठ अक्तूबर को कोर्ट में हाजिर होने का निर्देश दिया.
हालांकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के 19 वें बिंदु में झारखंड के मुख्य सचिव के बदले उत्तराखंड का मुख्य सचिव टाईप हो गया. इससे कोर्ट द्वारा 19वें बिंदु में दिये गये आदेश का यह अर्थ हो गया कि अगर 29 अप्रैल 2025 को दिये गये आदेश का अनुपालन निर्धारित समय में कर दिया जाता है तो उत्तराखंड के मुख्य सचिव को कोर्ट में हाजिर होने से छूट दी जायेगी.
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