प्राकृतिक संरक्षण पर विशेष जोर
कार्यक्रम में वक्ताओं ने `जल, जंगल और जमीन` की महत्व को रेखांकित करते हुए प्रकृति की रक्षा का संकल्प दोहराया. धर्मगुरु बंधन तिग्गा ने कहा कि प्रकृति की रक्षा करना ही सच्ची भक्ति है. सरहुल हमें प्रकृति से जुड़ने और उसे संरक्षित करने की प्रेरणा देता है. सीसीएल के निदेशक (वित्त) पवन कुमार मिश्रा ने कहा, हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपनी परंपराओं को संजोए रखें और आने वाली पीढ़ियों के लिए हरा-भरा पर्यावरण छोड़ें. वृक्षारोपण और जल संरक्षण के उपाय अपनाकर ही हम प्रकृति के ऋण को चुका सकते हैं.लोकगीतों और नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति
सांस्कृतिक कार्यक्रम में झारखंड के विभिन्न जनजातीय समुदायों द्वारा पारंपरिक लोकगीत और नृत्य प्रस्तुत किए गए. झूमर पाइका और छऊ नृत्य की शानदार प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों और उपस्थित दर्शकों ने पर्यावरण संरक्षण की शपथ ली. सीसीएल की सरना समिति के तत्वावधान में आयोजित इस आयोजन ने न केवल सांस्कृतिक चेतना जगाई, बल्कि प्रकृति संरक्षण का संदेश भी दिया. समारोह का समापन पारंपरिक गीतों और उल्लासपूर्ण वातावरण में हुआ, जिसने सभी को प्रकृति और अपनी सांस्कृतिक विरासत के प्रति सम्मान और जिम्मेदारी का एहसास कराया. इसे भी पढ़ें – इंडियन">https://lagatar.in/indian-express-100-powerful-indians-pm-modi-number-one-rahul-at-ninth-place-hemant-soren-at-40/">इंडियनएक्सप्रेस के 100 पावरफुल भारतीय, पीएम मोदी नंबर वन, राहुल नवें स्थान पर, 40 पर हेमंत सोरेन
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