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आम जनमत पार्टी ने 700 करोड़ के धरना-प्रदर्शन व चुनावी खर्च का फर्जी हिसाब बना रखा था

LAGATAR EXPOSE

Ranchi :  राजनीतिक चंदा के नाम पर टैक्स चोरी करने में शामिल आम जनमत पार्टी ने 700 करोड़ रुपये के खर्च का फर्जी हिसाब किताब बना रखा था. झारखंड आयकर (अनुसंधान) विभाग द्वारा जारी जांच के दौरान इस बात की जानकारी मिली है. इस राजनीतिक दल के पास हिसाब किताब में दिखाये गये इस खर्च को प्रमाणित करने के लिए किसी तरह का दस्तावेज नहीं है.

 

गुजरात की आम जनमत पार्ट की ठिकानों पर छापामारी के दौरान जब्त किये गये दस्तावेजों की जांच के दौरान इस फर्जी खर्च के सबूत मिले हैं. जांच के दौरान पाया गया कि झारखंड- बिहार-नेपाल बार्डर के आस पास के युवा प्रोफेशनल द्वारा दिये गये 2000 करोड़ रुपये को अपने हिसाब किताब में राजनीतिक चंदा (Donation) के रूप में दिखाया था. इसमें से 700 करोड़ रुपये का राजनीतिक कार्यक्रमों पर खर्च दिखाया था.

 

पार्टी ने अपने हिसाब किताब में धरना, प्रदर्शन, जुलूस, राजनीतिक सभा, चुनाव प्रचार जैसे कार्यों पर 700 करोड़ रुपये का खर्च दिखाया था. धरना, प्रदर्शन, जुलूस जैसे कार्यक्रमों के लिए टेंट, गाड़ी का किराया, धरना में शामिल लोगों के लिए भोजन आदि पर खर्च दिखाया था. टेंट, माइक वगैरह ऐसे संस्थानों से किराये पर लेने का उल्लेख किया गया था जिसका कहीं अस्तित्व ही नहीं है. यानी खर्च के सारे दस्तावेज मनमाने तरीके से सिर्फ खानापूर्ती के लिए तैयार किये गये थे.

 

दस्तावेजों की जांच से यह भी पता चला है कि किसी भी चीज को किराये पर लेने और किराया भुगतान से संबंधित कोई बिल उपलब्ध नहीं था. इसके आलावा जिन अस्तित्वविहीन संस्थाओं से सामग्रियों की खरीद दिखायी गयी थी, उसके GSTN नंबर का भी उल्लेख नहीं किया गया था. पार्टी ने राजनीतिक खर्च के रूप में जिन संस्थानों को नकद भुगातन दिखाया था, उन संस्थानों को भुगतान के दौरान TDS की कटौती नहीं की थी. जबकि नक़द भुगतान के दौरान TDS काट कर सरकारी खजाने में जमा कराने का कानूनी बाध्यता है.

 

जांच में पाया गया कि आम जनमत पार्टी ने युवा प्रोफेशनल से मिली रकम में से 5% प्रतिशत कमीशन काट कर बाकी पैसा लौटाने पर पर्दा डालने के लिए उसे राजनीतिक कार्यक्रमों पर खर्च करने का फर्जी दस्तावेज तैयार किया गया था. पूछताछ के दौरान पार्टी के पदाधिकारियों ने युवा प्रोफेशनल से राजनीतिक चंदा लेने और 5% प्रतिशत कमीशन काट कर उन्हें लौटाने की बात स्वीकार की थी. साथ ही यह भी स्वीकार किया था कि राजनीतिक खर्चे के रूप में हिसाब किताब में दिखायी गयी रकम वास्तव में युवा प्रोफेशनल को विभिन्न माध्यमों से लौटायी गयी रकम है.

 

जांच के दौरान विभिन्न लोगों से हुई पूछताछ और छापामारी में मिले दस्तावेज के आधार पर यह पाया गया कि इस राजनीतिक दल का रजिस्ट्रेशन ही टैक्स चोरी के उद्देश्य से किया गया था. जांच के दौरान आम जनमत पार्टी द्वारा कहीं भी किसी तरह के राजनीतिक कार्यक्रमों के आयोजन का सबूत नहीं मिला. इस पार्टी द्वारा सिर्फ आयकर अधिनियमन 1961 की धारा 80GGB/80GGC का गलत इस्तेमाल कर युवाओं को टैक्स चोरी में मदद करने में लिप्त पाया गया.

 

इस पूरे प्रकरण का सबसे मजेदार पहलू यह है कि पूछताछ के दौरान युवा प्रोफेशनल ने आम जनमत पार्टी को बहुत ही बेहतर बताया. साथ ही पार्टी द्वारा जनहित में किये गये कार्यों को देखते हुए अपनी आमदनी का एक बड़ा हिस्सा पार्टी का चंदा के रूप में देने की बात कही. हालांकि बाद में युवा प्रोफेशनल से यह स्वीकार कर लिया कि इनकम टैक्स बचाने के उद्देश्य से उन्होने पार्टी के नाम पर पैसा दिया था. पार्टी ने अपना कमीशन काट कर उन्हें पैसा लौटा दिया.

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