Ranchi : झारखंड की उच्च शिक्षा प्रणाली इन दिनों गंभीर संकट के दौर से गुजर रही है. राज्य में विश्वविद्यालय आयोग जैसी नियामक और निगरानी संस्था का अब तक गठन नहीं हो सका है, जिससे विश्वविद्यालयों की शैक्षणिक और प्रशासनिक व्यवस्था लगभग ठप होती जा रही है.
अबुआ अधिकार मंच की ओर से छात्र नेता अभिषेक झा ने बयान जारी करते हुए कहा कि राज्य के अधिकांश विश्वविद्यालयों में वर्षों से नियुक्तियाँ रुकी हुई हैं. प्रमोशन की CAS फाइलें विभाग और राजभवन के बीच अटकी हैं.
रजिस्ट्रार, परीक्षा नियंत्रक जैसे महत्त्वपूर्ण पदों पर लंबे समय से प्रभारी व्यवस्था चल रही है. उन्होंने कहा कि इसका सीधा दुष्प्रभाव योग्य शिक्षकों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों पर पड़ रहा है. न तो उन्हें अवसर मिल रहा है, न ही न्याय.
200से नहीं हुई कोई स्थायी नियुक्ति
अभिषेक झा ने कहा कि वर्ष 2008 के बाद से JPSC द्वारा किसी भी विश्वविद्यालय में स्थायी प्रोफेसरों की नियुक्ति नहीं हुई है.यह न केवल योग्य अभ्यर्थियों के साथ अन्याय है, बल्कि राज्य की उच्च शिक्षा प्रणाली के अस्तित्व पर एक गहरी चोट है. जिससे शोध और शैक्षणिक गुणवत्ता प्रभावित हो रहे है. विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर स्तर के शिक्षक बहुत कम हैं. वहीं दूसरी ओर NET, JRF, Ph.D. जैसी कठिन योग्यता प्राप्त की है, वे आज बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं.
आयोग के गठन की मांग
अबुआ अधिकार मंच और छात्र नेता अभिषेक झा ने झारखंड सरकार से अविलंब झारखंड राज्य विश्वविद्यालय आयोग के गठन की मांग की है. कहा कि यदि सरकार इस मुद्दे को प्राथमिकता नहीं देती, तो छात्र, शिक्षक और शोधार्थी मिलकर व्यापक जनांदोलन के लिए बाध्य होंगे.]