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रांची: पुस्तक मेला में किताब की भरमार, दुकानदारों को भीड़ का इंतजार

Ranchi: जिला स्कूल मैदान में साहित्य प्रेमियों, प्रतियोगी परिक्षार्थियों और स्कूल कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए राष्ट्रीय पुस्तक मेला का आयोजन शुरू हो चुका है. इसमें दो हजार से अधिक लेखकों, साहित्कार की किताबें औऱ नोवेल की भरमार है. यहां पर अच्छे प्रकाशन और डिस्ट्रीव्यूशन का भी स्टॉल लगाया गया है. स्टॉलों में 20 से 50 प्रतिशत डिस्काउंट भी दिया जा रहा है. इसके बावजूद पुस्तक प्रेमी मेला में कम पहुंच रहे हैं. इस अवसर पर प्रकाश प्रकाशन के मनोज शर्मा ने बताया कि विद्यार्थियों में पढ़ने की संस्कृति नहीं दिख रही है. यहां पर 25 हजार किताबें हैं. दो हजार अलग-अलग लेखकों की किताबे हैं. लेकिन एक दिन में एक सौ से डेढ़ सौ किताब बिक रही है. https://lagatar.in/wp-content/uploads/2025/01/7-21.jpg">

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पुस्तक के प्रति छात्रों का रूझान घटाः ओझा

दिल्ली के रीतेश बुक एजेंसी के मालिक राजेश ओझा ने कहा कि मेला में किताब लेने वाले लोगों की कमी दिख रही है. पिछली बार की अपेक्षा इस बार कम किताबें बिक रही हैं. प्रत्येक दिन किताब की बिक्री नहीं हो रही है. किसी दिन एक भी किताब नहीं बिकता है. दो हजार टाइटल का किताब बेचने के लिए आये थे. सात दिन में पांच हजार ही सेल हुआ है. आने जाने में डेढ़ लाख रुपए दुकान में लगाये हैं. कम से कम दो लाख की किताबे यहां पर बिक जानी चाहिए थी. डिजिटल इंडिया के कारण भी लोग किताब नहीं खरीद रहे हैं. क्योंकि सबकुछ मोबाइल में ही पढ़ना पसंद कर रहे हैं. https://lagatar.in/wp-content/uploads/2025/01/8-15.jpg">

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सेवानिवृत औऱ शोधार्थी ही खरीद रहे हैं किताबेंः सीताराम

क्राउन पब्लिक प्रकाशन के कर्मचारियों ने कहा कि पुस्तक मेला में 70 से 80 किताब की स्टॉल लगनी थी, लेकिन नहीं लगी. नेशनल पुस्तक ऐजेसिंयों की कमी दिख रही है. मैट्रिक और इंटर की परीक्षा भी सामने है. विद्यार्थी अपनी तैयारी कर रहे हैं. यह पुस्तक मेला दिसम्बर में लगना था. क्योंकि इस समय शिक्षण संस्थानों में छुट्टी रहती है. लोग घर में रहते हैं. स्कूल कॉलेज तक प्रचार प्रसार नहीं हुआ. विद्यार्थियों का ध्यान आकर्षण करने के लिए जिला स्कूल के मुख्य गेट के सामने पुस्तक मेला का तोरणद्वार बनना था. नहीं बनने की वजह से भी विद्यार्थी मेला तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. सेल रकब पुथी सेंटर के सीताराम सिंह ने कहा कि राष्टीय पुस्तक मेला में 32 जनजातीय समाज की किताबें हैं. सभी भाषाओं में हैं. इन सभी का बाजार में वैल्यू और स्टैंडर्ड्स भी है. ज्यादातर लोग सेवानिवृत कर्मचारी और शौधार्थी ही किताब खरीद रहे हैं. इसे भी पढ़ें – मोकामा">https://lagatar.in/gang-war-in-mokama-heavy-firing-between-anant-singhs-supporters-and-sonu-monu-gang/">मोकामा

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