Ranchi : भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने हजारीबाग में अवैध जमाबंदी से जुड़े एक बड़े मामले में नेक्सजेन ऑटोमोबाइल के मालिक विनय कुमार सिंह को गिरफ्तार किया है. यह गिरफ्तारी 25 सितंबर की शाम हुई.
विनय कुमार सिंह पर सरकारी अधिकारियों के साथ आपराधिक षड्यंत्र रचकर गैर-मजरूआ खास और जंगल-झाड़ी किस्म की भूमि की अवैध जमाबंदी कराने का आरोप है. इसको लेकर एसीबी हजारीबाग थाना में यह मामला कांड संख्या- 11/25 के तहत दर्ज किया गया है.
इसमें विनय कुमार सिंह पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 120B, 420, 467, 468, 471 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (PC Act) की धारा 13(2) R/W 13(1)(d) के तहत आरोप लगाए गए हैं.
यह मामला 2013 का है, जब डीसी कार्यालय, हजारीबाग ने पांच प्लॉटों की अवैध जमाबंदी को रद्द कर दिया था. इस फैसले को राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, झारखंड सरकार ने भी उसी साल सही ठहराया था.
वन प्रमंडल पदाधिकारी, हजारीबाग पूर्वी वन प्रमंडल के पत्र संख्या 2612, पांच दिसंबर 2012 के अनुसार, यह स्पष्ट किया गया था कि अधिसूचित वन भूमि पर किसी भी तरह का गैर-वानिकी कार्य या अतिक्रमण भारतीय वन अधिनियम, 1927 और वन संरक्षण अधिनियम, 1980 का उल्लंघन है. इस पत्र में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के टी गोदावरमन बनाम भारत सरकार मामले में 12 दिसंबर 1996 के आदेश का भी हवाला दिया गया था. जिसमें जंगल-झाड़ी दर्ज भूमि का गैर-वानिकी उपयोग के लिए भारत सरकार की पूर्व अनुमति आवश्यक बताई गई थी.
गैर-मजरूआ खास और जंगल खाते की भूमि की अवैध जमाबंदी कराई
जांच में यह पाया गया कि रद्द की गई जमाबंदियों के बावजूद, विनय कुमार सिंह ने अधिकारियों के साथ मिलकर इसी तरह की गैर-मजरूआ खास और जंगल खाते की भूमि की अवैध जमाबंदी कराई.
उन्होंने आपराधिक षड्यंत्र रचकर अनुचित लाभ प्राप्त किया और एक गंभीर संज्ञेय अपराध किया. इस मामले में विनय कुमार सिंह को लाभार्थी क्रेता के रूप में पाया गया है, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है. इस गिरफ्तारी से हजारीबाग में भूमि घोटाले से जुड़े अन्य मामलों के खुलासे की भी उम्मीद है.
विनय कुमार सिंह और उनकी पत्नी के नाम पर अवैध रूप से दाखिल-खारिज कर दिया गया था
हजारीबाग जिला में 'गैर मजरुआ खास किस्म जंगल' प्रकृति की जमीन, जिसे डीम्ड वन की श्रेणी में रखा गया है, उसमें हुए एक बड़े घोटाले का एसीबी की जांच में खुलासा हुआ था.
यह जमीन सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेशों के तहत संरक्षित वन क्षेत्र मानी जाती है. लेकिन इसे विनय कुमार सिंह और उनकी पत्नी स्निग्धा सिंह के नाम पर अवैध रूप से दाखिल-खारिज कर दिया गया.
यह काम तब हुआ, जब विनय चौबे हजारीबाग में डीसी के पद पर पदस्थापित थे. एसीबी की जांच में करोड़ों की इस सरकारी जमीन की बंदरबांट में कथित लाभार्थी विनय कुमार सिंह की मिलीभगत की पुष्टि हुई है. यह मामला तत्कालीन हजारीबाग डीसी विनय कुमार चौबे के कार्यकाल से जुड़ा हुआ है.
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