
ACB के पास नहीं था ट्रैप केस का एक भी आई विटनेस, इसलिए बरी हो गये BDO साहब

Vinit Abha Upadhyay Ranchi : धनबाद एसीबी की स्पेशल कोर्ट ने ACB द्वारा ट्रैप किये गये तत्कालीन बीडीओ गिरजानंदन किस्कू को इसलिए बरी कर दिया, क्योंकि ACB की ओर से पेश किये गये सात गवाहों में से किसी ने भी बीडीओ को घुस लेते हुए नहीं देखा था. ACB कोर्ट ने अपने आदेश में जिन तथ्यों का जिक्र किया है, उसके मुताबिक, ACB ने अनिल कुमार सिन्हा, डॉ धर्मेंद्र कुमार वर्मा, ACB टीम के सदस्य इंद्रदेव राम, राहुल देव बड़ाइक, राजेश्वर प्रसाद मुंशी, विनोद रवानी और रामेष्वर राम को गवाह के रूप में कोर्ट में पेश किया. अनिल कुमार सिन्हा और डॉ धर्मेंद्र कुमार ने अपनी गवाही में यह कहा कि ट्रैप उनके सामने नहीं हुआ था और वे इस ट्रैप के चश्मदीद (आई विटनेस) नहीं है, न ही उन्होंने गिरजनन्दन किस्कू को घुस लेते हुए देखा है. इतना ही नहीं इस केस में बीडीओ को ट्रैप करने वाली टीम का अहम हिस्सा रहे ACB के इंस्पेक्टर इंद्रदेव राम ने अपनी गवाही में यह कहा कि उन्होंने बीडीओ को रिश्वत लेते नहीं देखा. इंस्पेक्टर इंद्रदेव की गवाही के बाद कोर्ट में ACB के डीएसपी राहुल देव बड़ाइक की गवाही दर्ज करवाई गयी. अपनी गवाही में उन्होंने यह स्वीकार किया कि ट्रैप के दौरान जिस जगह वह खड़े थे, वहां से घटनास्थल दिखाई नहीं दे रहा था. इसलिए वे बीडीओ को रिश्वत लेते नहीं देख पाये. डीएसपी के बाद कोर्ट में इस केस के सूचक राजेश्वर प्रसाद मुंशी की गवाही हुई. उन्होंने अपने बयान में कोर्ट को बताया कि वो बीडीओ को 2-2 हजार के 25 नोट दिये थे और उन पैसों पर केमिकल लगा हुआ था. इन सभी गवाहों के बाद बाघमारा के तत्कालीन डीएसपी विनोद रवानी का बयान दर्ज हुआ. उन्होंने कोर्ट को बताया कि एसीबी द्वारा बीडीओ को ट्रैप किये जाने के संबंध में थाना के स्टेशन डायरी में इस घटना का कोई जिक्र नहीं किया गया. वहीं इस ट्रैप के बाद एफएसएल रिपोर्ट तैयार करने वाले अधिकारी कोर्ट में अपना बयान दर्ज करवाने ही नहीं पहुंचे. जिसका लाभ आरोपी को मिला और कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में तत्कालीन बीडीओ गिरजानंदन किस्कू को बरी कर दिया.