Vinit Abha Upadhyay/ Saurav Singh
Ranchi : ACB फ़िलहाल IAS विनय चौबे के हजारीबाग डीसी रहते हुए वहां हुए दो भूमि घोटालों की जांच कर रही है. पहला मामला सेवायत भूमि की नियमविरुद्ध खरीद-बिक्री से जुड़ा हुआ है, जिसकी कांड संख्या 9/2025 है. यह मामला एसीबी ने जुलाई महीने में दर्ज किया था. इस केस में विनय चौबे के साथ उनके करीबी माने जाने वाले ऑटोमोबाइल कारोबारी विनय सिंह आरोपी हैं.
दूसरा मामला वन भूमि की नियम विरुद्ध खरीद-बिक्री और म्यूटेशन का है जिसकी कांड संख्या 11/2025 है. इस केस में विनय सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया है और तत्कालीन सीओ अलका कुमारी के कबूलनामे के बाद IAS विनय चौबे की मुश्किलें बढ़ना भी तय माना जा रहा है. अपनी इस खबर में हम आपको बता रहे हैं कि दोनों ही मामलों में एसीबी की जांच में विनय चौबे और विनय सिंह की भूमिका को लेकर क्या बातें सामने आयी है.
विनय चौबे के विरुद्ध ये तथ्य मिले एसीबी को
ACB की अब तक की जांच में यह बात सामने आयी है कि जिस सेवायत भूमि की खरीद-बिक्री 23 लोगों को कर दी गयी है. विनय चौबे ने डीसी रहते उसकी रजिस्ट्री का आदेश पारित किया था और इस कार्य के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के पत्र संख्या 1346 को हथियार बनाया गया था.
यह पत्र 15 मई 2010 को जारी हुआ था. ACB को यह भी जानकारी मिली है कि खास महल भूमि के मामले में हाईकोर्ट ने छोटानागपुर नार्थ डिवीजन को यह स्पष्ट आदेश दिया था कि उक्त भूमि का ट्रांसफर किसी के नाम से ट्रांसफर करने का आदेश नहीं दिया जाये.
विनय सिंह के विरुद्ध ये तथ्य मिले एसीबी को
मौजा बभनभे, थाना नंबर-252 के अन्तर्गत खाता संख्या-95, प्लॉट नंबर-848, रकवा- 28 डी० और खाता संख्या-73. प्लॉट संख्या -812, रकवा-72 डी०, कुल एक एकड भूमि बिनय कुमार और उनकी पत्नी स्निग्धा सिंह, को दस्तावेज संख्या-1710 दस फरवरी 2010 द्वारा खरीदगी से हासिल है. इसका म्यूटेशन नामांकन वाद संख्या -481/2010-11 द्वारा हुआ है.
इस वाद का निष्पादन विनय कुमार चौबे के डीसी रहते हुआ. खाता संख्या-73, प्लॉट संख्या-812 रैयती खाते की भूमि है, जबकि खाता संख्या -95, प्लॉट संख्या-848 गैर मजरूआ खाता, किस्म जंगल की भूमि है. सुप्रीम कोर्ट के द्वारा WPC (202/95) 12 दिसंबर 1996 में पारित आदेश में गैर मंजरूआ खास किस्म जंगल भूमि deemed forest land की श्रेणी में आता है.जिसका दाखिल खारिज तरीके से किया गया है.
इसके लिए सदर अंचल, हजारीबाग के तत्कालीन राजस्व कर्मचारी संतोष कुमार वर्मा, तत्कालीन अंचल निरीक्षक राजेन्द्र प्रसाद सिंह और तत्कालीन अंचल अधिकारी अलका कुमारी के साथ साथ विक्रेता (पावर ऑफ एटनी होल्डर) दानीन्द्र कुमार निरंजन कुमार और क्रेता बिनय कुमार सिंह और उनकी पत्नी स्निग्धा सिंह, को प्रथम दृष्टया दोषी पाया गया है.
एसीबी की जांच में पाया गया कि सरकारी पदाधिकारियों और कर्मियों के द्वारा पद का दुरूपयोग हुए हज़ारीबाग जिला के अन्तर्गत गैर मजरूआ खास जंगल किस्म की जमीन को भूमि माफिया से निर्गत कर अवैध तरीके से हासिल और जमाबंदी किये जाने का प्रत्यक्ष साक्ष्य पाया गया है. इसके साथ-साथ विक्रेता और अन्य व्यक्ति भी धोखाधडी और मिलीभगत कर उपरोक्त जमीन का खरीद बिक्री में दोषी हैं. तय अपराध की श्रेणी में आता है.
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