Vinit Abha Upadhyay
Ranchi : अक्सर यह देखने को मिलता है कि सरकारी दफ्तरों में लेटलतीफी होती है. अपना काम करवाने के लिए लोगों को एक ही दफ्तर के चक्कर कई बार काटने पड़ते हैं. थक हार कर लोग किसी ऐसे प्रभावशाली व्यक्ति को तलाशते हैं, जो उनका काम जल्द करवा दें, भले ही इसके एवज में कुछ देन-लेन करनी पड़े. यह बात जगजाहिर है कि म्यूटेशन और अन्य कार्यों के लिए रांची के अंचल कार्यालयों (CO ऑफिस) में पैरवी की जरुरत पड़ती है. हाल के दिनों में यह देखने को मिल रहा है कि यह पैरवी वैसे लोग भी कर रहे हैं, जिनका सामाजिक कार्यों से कोई खास जुड़ाव नहीं है. कुछ अंचल कार्यालयों में बाकायदा पैरवी करने वालों का कोटा भी फिक्स है. म्यूटेशन, जाति प्रमाण पत्र, भूमि का सीमांकन समेत कई ऐसे कार्य हैं जो अंचल से ही होते हैं.
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ओरमांझी व कांके अंचल में में ज्यादा हुई खरीद-बिक्री
पिछले कुछ वर्षों में रांची के हेहल अंचल, बड़गाईं अंचल,नामकुम अंचल, रातू अंचल, नगड़ी अंचल, ओरमांझी अंचल और कांके अंचल में जमीन की खरीद-बिक्री ज्यादा हुई है. म्यूटेशन के ज्यादातर आवेदन इन्हीं अंचलों में आते हैं. जानकारी के मुताबिक, म्यूटेशन के लिए पैरवी करने वालों में एसीबी के अधिकारी, पुलिस अधिकारी, IAS अधिकारी, लोकल नेता (सभी पार्टियों के), पत्रकार, जिला मुख्यालय में कार्यरत अधिकारी और कर्मचारी सबसे आगे हैं.
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