- बुंडू में कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर (CHC) निर्माण के लिए मिले पैसों को निजी खातों में रख कर लाभ उठाने का आरोप.
- निजी खाते में पैसा रखने व इससे हुई देरी के कारण निर्माण की लागत 5 करोड़ से बढ़ कर 8.50 करोड़ हो गई.
- तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायाधीश आनंदा सेन की पीठ ने दिया था जांच का आदेश.
Ranchi : एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने रांची के तत्कालीन जिला अभियंता केसी सिंह सहित अन्य के खिलाफ PE दर्ज करने की अनुमति मांगी है. हाईकोर्ट के निर्देश के दो साल बाद ACB ने इस दिशा में पहल की है. जबकि हाईकोर्ट ने तीन महीने में जांच करने का आदेश दिया था. जिन इंजीनियरों के खिलाफ PE दर्ज करने की अनुमति मांगी गयी है उन पर कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर (CHC) निर्माण के लिए मिले पैसों को निजी खातों में रख कर लाभ उठाने का आरोप है.
ACB की ओर से निगरानी मंत्रिमंडल को लिखे गये पत्र के मुताबिक तत्कालीन सहायक अभियंता केसी सिंह और कनीय अभियंताओं के विरूद्ध बुंडू अनुमंडल अस्पताल के निर्माण में अनियमितता बरतने का आरोप लगाया गया है. इसमें कहा गया कि निर्माण के लिए सरकार से मिली राशि को निजी बचत खाते में रखकर अधिक से अधिक सूद की राशि लेने के लिए निर्माण कार्य में देर किया गया. यह मामला जनहित याचिका से संबंधित है.
याचिकादाता द्वारा दोषी इंजीनियरों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर उचित कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया है. पुलिस अधीक्षक द्वारा मामले की स्क्रूटनी के बाद PE दर्ज कर जांच की अनुशंसा की गयी है. सहायक लोक अभियोजक ने भी इस मामले में PE दर्ज करने की राय दी है. ACB ब्यूरो प्रमुख ने भी इसे अनुमोदित किया है. इसलिए इस मामले में PE दर्ज कर जांच करने की अनुमति दी जाये.
क्या है पूरा मामला
जानकारी के मुताबिक वर्ष 2019 में एक जनहित याचिका दायर की गयी थी. इसमें यह आरोप लगाया गया था कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा CHC निर्माण के लिए दी गयी राशि को इंजीनियरों ने सरकारी खाता के बदले निजी खाता में रखा. साथ ही अधिक से अधिक सूद का लाभ लेने के लिए निर्माण कार्य देर की. इससे निर्माण की लागत पांच करोड़ रुपये से बढ़ कर 8.50 करोड़ रुपये हो गयी.
याचिका में यह भी कहा गया था कि सरकार ठेकेदारों को दी जाने वाली मुनाफे की राशि बचाने के लिए विभागीय तौर पर काम कराने का फैसला करती है. लेकिन इंजीनियरों द्वारा बैंक में पैसा रखकर लंबे समय तक काम नहीं करने की वजह से लागत बढ़ता है. इससे सरकार को नुकसान होता है.
सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कई शपथ पत्र दायर किये गये. लेकिन याचिकादाता संतुष्ट नहीं हुआ. इसके बाद 3 जुलाई 2023 को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायाधीश आनंदा सेन की पीठ ने अपना फैसला सुनाया. न्यायालय ने याचिकादाता को आदेश की प्रति के साथ शिकायती पत्र भी सौपने का निर्देश दिया था. साथ ही ACB को यह निर्देश दिया था कि वह इसकी जांच करे. न्यायालय ने इसके लिए तीन महीने का समय देते हुए याचिका निष्पादित कर दिया.
ACB द्वारा लंबे समय तक कोई कार्रवाई नहीं करने के बाद 2025 में एक दूसरी जनहित याचिका दायर की गयी. इसमे पहली याचिका में दिये गये निर्देश का हवाला दिया गया. इसके बाद ACB की ओर से कोर्ट में शपथ पत्र दायर किया गया. इसमें न्यायालय को इस बात की जानकारी दी गयी कि PC Act में संशोधन के बाद सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ PE दर्ज करने के लिए सरकार से अनुमति लेना आवश्यक है. ACB मे इस प्रावधान के आलोक में सरकार से PE दर्ज करने की अनुमति मांगी है.


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