Ranchi : 13 सितंबर को सीने में दर्द की शिकायत के बाद 65 साल की रसदा बेगम को ओरमांझी के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया. इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. मौत के बाद परिजनों का आरोप है कि अस्पताल के डॉक्टरों की लापरवाही के उनके मरीज की मौत हुई है. परिजनों ने इस संबंध में ओरमांझी थाने में मेदांता हॉस्पिटल प्रबंधन और डॉक्टर्स के खिलाफ मामला दर्ज़ कराया है. परिजनों का आरोप है कि मामले में ओरमांझी पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है. 5 दिन बाद भी अबतक सिर्फ जांच करने की बात कही जा रही है. रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर शमीम ने बताया कि 13 सितंबर को हमने अपनी मां को मेदांता में भर्ती कराया. डॉ नीरज प्रसाद ने जांच के बाद बताया कि अभी हालत अच्छी है. इनको लंग्स इन्फेक्शन है. ट्रीटमेंट के बाद ठीक हो जाएंगी. फिर कुछ समय के बाद मोबाइल पर उन्हें बताया गया कि मरीज़ की तबीयत अचानक गंभीर हो गई है. हमलोग हॉस्पिटल पहुंचे तो उन्हें बताया गया कि मरीज़ को सीसीयू से एमआईसीयू में रेफर किया जा रहा है. आरोप है कि आनन-फानन में डॉ. द्वारा परिजनों से बांड भी भराया गया. कहा गया कि मामला क्रिटिकल है. मरीज़ को वेंटिलेटर सपोर्ट देना होगा. इसपर आपत्ति जताते हुए परिजनों ने कहा कि एक घंटे पहले मरीज अच्छे से बातचीत कर रही थी. अचानक कोमा में कैसे चली गई. परिजनों की इस बात पर डॉक्टर्स भड़क गए और दुर्व्यवहार भी किया.
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परिजनों को देखने नहीं दिया गया, फिर पता चला मरीज की मौत हो गई
शमीम का आरोप है कि डॉक्टरों ने परिजनों को मरीज को देखने तक नहीं दिया, फिर बताया कि मौत हो गई. शमीम का आरोप है कि उन्होंने अचानक भर्ती वार्ड के शीशे से देखा तो डॉक्टर्स उनकी मां को पंप कर रहे हैं. उन्हें पता चल गया कि मां अब नहीं रही. इसके बावजूद डॉक्टर्स ने जबरदस्ती बांड भरवाया और एमआईसीयू में भर्ती करने लगे, ताकि मरीज की मौत के बाद भी भारी भरकम बिल बनाया जा सके. परिजनों ने आरोप लगाया कि मेदांता के चिकित्सकों ने मानवीय व चिकित्सा धर्म के विपरीत कार्य करते हुए मेरी मां की जान ले ली. परिजनों का आरोप है कि लापरवाही के कारण मेरी मां की मौत सीसीयू में हो चुकी थी, लेकिन एक साजिश के तहत जबरन एमआईसीयू में भर्ती कराने की कोशिश की जाती रही. इसका सीसीटीवी फुटेज हॉस्पिटल में ही मौजूद है. परिजनों ने ओरमांझी पुलिस पर भी कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया है. शमीम ने बताया कि इस बाबत सीनियर एसपी और डीज़ीपी को भी लिखित रूप से अवगत करा दिया गया. मेदांता की करतूतों से मेडिकल कौंसिल ऑफ़ इंडिया को भी अवगत कराया जायेगा.
आरोप बेबुनियाद, डॉक्टरों की प्राथमिकता मरीजों की जान बचाना है : मेदांता प्रबंधन
मेदांता अस्पताल के पीआरओ जावेद ने कहा कि मरीज का इलाज डॉक्टरों के द्वारा किया जा रहा था. उन्हें प्रॉबलम था. दुर्व्यवहार की ऐसी कोई बात नहीं है. हमारी प्राथमिकता मरीज की जान बचाने की थी, लेकिन अफसोस है कि हम उन्हें नहीं बचा सके. इलाज में लापरवाही की कोई बात नहीं है.
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