Adityapur (Sanjeev Mehta) : आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र के फेज 6 में अवस्थित फोरम इंडिया को आवंटित 22 एकड़ जमीन को लेटलतीफी की वजह से रद्द किये जाने के बाद जियाडा द्वारा निकाली गई नोटिफिकेशन में उद्यमी खूब रुचि दिखा रहे हैं. कुल 22 एकड़ के प्लाट के लिए 175 से ज्यादा उद्यमियों ने आवेदन डाले हैं. इस बात से फोरम इंडिया चिंतित है. कंपनी के सीईओ निर्मल लुनावत ने कहा कि हमें तो 12 जून का इंतजार है. चूंकि उस दिन जियाडा के प्लॉट रद्द किये जाने के विरुद्ध दायर याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है. फोरम इंडिया के सीईओ को उम्मीद है कि फैसले उनके हक में आएंगे. उन्होंने इस पर भी आश्चर्य व्यक्त किया कि जो मामला अदालत में विचाराधीन है उसपर यहां के उद्यमी आवंटन के लिए इतने उतावले हैं.
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बता दें कि हाईकोर्ट से फोरम इंडिया को इस शर्त पर स्टे मिला है कि जियाडा आवंटन प्रक्रिया रोकेगी नहीं, बल्कि सुनवाई होने तक वह अंतिम आवंटन नहीं करेगी. इधर जियाडा के क्षेत्रीय निदेशक प्रेम रंजन ने कहा कि कोर्ट आर्डर में प्रक्रिया रोकने की नहीं केवल फाइनल आवंटन करने पर रोक लगाई है. उन्होंने बताया कि कोर्ट के आदेश में यह स्पष्ट है कि आवंटन प्रक्रिया जारी रखी जाए केवल फाइनल आवंटन कोर्ट के अंतिम फैसला आने तक स्थगित रखा जाय. उन्होंने बताया कि अंतिम आवंटन के फैसला के लिए हाई कोर्ट ने 12 जून 2023 की तारीख मुकर्रर की है.
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उन्होंने बताया कि जिस कदर आवेदन आ रहे हैं वे जून माह के प्रथम सप्ताह में प्रोजेक्ट क्लियरेंस कमेटी की बैठक कर आवंटन प्रक्रिया पूरी भी करेंगे और हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार करेंगे. बता दें की कोलकाता की अंतरराष्ट्रीय डेवलपर फोरम इंडिया को वर्ष 2006 में ही जियाडा (तत्कालीन आयडा) ने औद्योगिक क्षेत्र में मुख्य मार्ग के किनारे करीब 22 एकड़ जमीन पर 16 तल्ला सिटी सेंटर मॉल बनाने के लिए आवंटित किया था. यह प्रोजेक्ट अब तक फोरम इंडिया लंबित रखे हुए है. फोरम इंडिया के इस नकारात्मक रवैये के वजह से जियाडा ने फोरम इंडिया के आवंटन को येन केन प्रकारेण रद्द कर अब उसे सामान्य या कमर्शियल उपयोग के लिए री आवंटन करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. जियाडा के इस निर्णय को फोरम इंडिया ने हाई कोर्ट में चुनौती दी है.
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इससे पूर्व भी फोरम हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का चक्कर लगा चुकी है. इधर फोरम इंडिया के सीईओ निर्मल लुनावत का आरोप है कि जियाडा ने हमें सिंगल विंडो का झांसा देकर जमीन दी लेकिन प्रोजेक्ट स्थापित करने में कोई सपोर्ट नहीं किया, लिहाजा ग्राउंड वाटर और पर्यावरणीय क्लियरेंस लेने में उसे काफी समय लगा, अब जबकि सारा क्लियरेंस मिल चुका है तो हमारे बिल्डिंग प्लान को मंजूरी नहीं दी जा रही है. वहीं कोर्ट के आदेश के बावजूद जियाडा ने अपने नोटिफिकेशन को जारी रखते हुए उद्योग लगाने के इच्छुक उद्यमियों से आवेदन लेना जारी रखे हुए है.
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